मणिपुर की मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला को आज कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. इंफाल की एक अदालत ने उनकी रिहाई का आदेश दिया है. कोर्ट ने मणिपुर पुलिस की चार्जशीट को खारिज कर दिया है. इरोम शर्मिला आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर्स एक्ट के विरोध में 14 सालों से अधिक समय से अनशन कर रहीं हैं.

अनशन स्थल से हटा दिया
इंफाल की एक अदालत ने आज मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला के केस में अपना फैसला सुनाया. जिससे आज इरोम शर्मिला को राहत मिली है. कोर्ट ने उनकी रिहाई के आदेश दे दिया है. कोर्ट ने मणिपुर पुलिस द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए खुदकुशी की कोशिश के आरोप को खारिज कर दिया है. इससे पहले अगस्त, 2014 में एक अन्य कोर्ट ने भी इरोम शर्मिला की रिहाई के आदेश दिए थे, लेकिन न्यायिक हिरासत से रिहा होने के बाद फिर से अनशन पर बैठीं थी. जिसके बाद मणिपुर पुलिस ने जबरन अनशन स्थल से हटा दिया था और उन्हें खुदकुशी की कोशिश के आरोप में दोबारा गिरफ्तार कर लिया गया था.

नली से खाना दिया जाता
आयरन लेडी' के नाम से पुकारी जाने वाली शर्मिला 5, नवंबर 2000 से आमरण अनशन पर हैं. वह पूर्वोत्तर राज्यों में लागू सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम, १९५८ को हटाने के लिए 14 सालों से अधिक से भूख हड़ताल पर हैं. इस कानून के तहत सुरक्षा बलों को किसी को भी देखते ही गोली मारने या बिना वारंट के गिरफ्तार करने का अधिकार है. ऐसे में इरोम शर्मिला इंफाल के एक गैर सरकारी संगठन के साथ्ा जुड़ भूख हड़ताल कर रही हैं. सरकार ने शर्मिला को आत्महत्या के प्रयास में गिरफ्तार कर किया था. अतः हर साल उन्हें रिहा करते ही दोबारा गिरफ्तार कर लिया जाता है, क्योंकि यह गिरफ्तारी एक साल से अधिक नहीं हो सकती. इतने सालों से भूख हड़ताल पर होने के बाद भी इरोम शर्मिला कमजोर नहीं पड़ी. नाक से लगी एक नली के जरिए उन्हें खाना दिया जाता है.

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Posted By: Satyendra Kumar Singh