-बनारस व आसपास के 10 जीआई उत्पादों की मार्केटिंग करेगा पर्यटन विभाग

-बनारसी लंगड़ा, आलू पापड़ और ठंडई को भी लघु उद्योग में लाने की तैयारी

देश-विदेश के टूरिस्ट्स को लुभाने वाले काशी और आसपास के इलाकों का हुनर भी जल्द ही दुनिया के सामने होगा। पर्यटन उद्योग से हुनर के बाजार को भी जोड़ने की कवायद शुरू हो गई है। ताकि लुप्त होती कलाओं के कारीगरों को उचित सम्मान और मेहनताना मिल सके। केंद्रीय पर्यटन राज्यमंत्री केजे अल्फोंज ने इसके लिए पहल की है।

पहली लिस्ट में 10 प्रोडक्ट

दो दिन के बनारस दौरे पर आए केंद्रीय राज्यमंत्री ने क्षेत्रीय उत्पादों को पर्यटन उद्योग से जोड़ने के लिए योजना बनाने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि गंगा घाट और सभी प्रमुख पर्यटन स्थलों पर वाराणसी की मशहूर कारीगरी को डिस्प्ले किया जाए। भीड़भाड़ वाली जगहों पर एलईडी और लाइव डिस्प्ले के जरिए इनका प्रचार-प्रसार किया जाए। पहली लिस्ट में बनारसी साड़ी, बनारसी ब्रोकेड, भदोही के कालीन समेत 10 जीआई प्रोडक्ट रखे जाएंगे।

15 लाख को मिलेगा रोजगार

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि क्षेत्रीय कलाओं को बढ़ावा देकर काशी और आसपास के क्षेत्रों के 15 लाख कारीगरों को रोजगार मुहैया कराया जा सकता है। उन्होंने बताया कि पर्यटन से हुनर के बाजार को जोड़कर सालाना 18 हजार करोड़ रुपये तक के लाभ का अनुमान है। इस धनराशि से क्षेत्रीय कलाओं को नया जीवन दिया जा सकेगा। इस कड़ी में गोरखपुर की चादरें, देवरिया का क्रोशिया और कुशीनगर का मुंज क्राफ्ट भी जोड़ा जाएगा।

यह प्रोडक्ट होंगे शामिल

बनारसी साड़ी और ब्रोकेड, भदोही की कालीन, बनारसी गुलाबी मीनाकारी, बनारस के लकड़ी के बर्तन और खिलौने, मिर्जापुरी दरी, निजामाबाद की ब्लैक पॉटरी, बनारसी मेटल क्राफ्ट, नकली मोती, गाजीपुर के जूट के पर्दे और सॉफ्ट स्टोन। इनके अलावा चुनार के पत्थर, बनारसी जरदोजी, चुनार की क्रॉकरी, बनारसी शहनाई और तबला, बनारसी पान, आलू पापड़ आदि को भी जोड़ा जाएगा।

Posted By: Inextlive