-आशा ज्योति केंद्र में चार साल में आए करीब 15 सौ घरेलू मामले

-'सखी' सेंटर पहुंचने के बाद अधिकांश मामलों में हुआ समझौता, कई के खिलाफ कार्रवाई

बरेली:

केस::-1

पति के लिए कॉफी बनाने में देर क्या हुई दोनों के बीच में इसी बात को लेकर टेंशन हो गई। मामला वर्ष 2019 में प्रेमनगर का है। दोनों के बीच विवाद बढ़ा तो पति ने पत्‍‌नी की परवरिश पर सवाल उठाए और मायके वालों को लेकर ताने मारे। पत्‍‌नी को यह सब गंवारा नहीं हुआ तो सीधा शिकायत लेकर वह महिला हेल्पलाइन पहुंची। जहां पर दोनों की काउंसलिंग की गई। दोनों को समझाया और अब दोनों ही एक साथ खुशी से रह रहे हैं।

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केस:2

-शहर के बारादरी निवासी एक महिला की शादी वर्ष 2019 में हुई थी। महिला का पति शहर से बाहर जॉब करने गया तो वहां पर उसके ऑफिस में किसी युवती से अफेयर हो गया। जब महिला को उसकी जानकारी मिली तो महिला ने विरोध किया। विरोध करने पर पति ने उसके साथ मारपीट की। जिस पर महिला ने 181 पर कंप्लेन की तो आशा ज्योति केन्द्र की टीम ने महिला को सेंटर पर बुलाकर काउंसलिंग की उसके पति को भी बुलाया लेकिन पति किसी भी तरह से उसके साथ रहने को तैयार नहीं था। जिसके बाद महिला की सहमति पर पति के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई।

केस::3

आवलां थाना क्षेत्र की महिला ने मई 2019 में पति से परेशान होकर कंप्लेन की। महिला ने बताया कि पति घर से निकलते ही फोन पर बात करते हैं उनकी वर्क प्लेस पर किसी महिला से अफेयर हो गया है। 181 पर कॉल आई तो टीम ने संबंधित थाना पुलिस की हेल्प ली और महिला व उसके पति को बुलाकर दोनों की काउंसंिलग की, जिसके बाद दोनों एक साथ रहने के लिए तैयार हो गए।

बरेली: छोटी-छोटी बातों को लेकर इगो, मारपीट और सोशल मीडिया पर बिजी रहने से पति-पत्नी के रिश्तों में दरार आ रही है। यह बात हम नहीं बल्कि आशा ज्योति 'सखी' सेंटर इंचार्ज का कहना है। शहर में वर्ष 2016 में आशा ज्योति केन्द्र बनाया गया था। तब से जनवरी 2020 तक करीब 15 सौ से अधिक मामले आ चुके हैं। जिसमें इसी तरह के केसेस सबसे अधिक सामने आए हैं। हालांकि 80 परसेंट से अधिक मामलों में समझौता करा दिया जाता है। जिन मामलों में समझौता नहीं हो पाता है उनमें एफआईआर दर्ज कराई जाती है।

इस तरह के आते हैं केसेस

-घरेलू हिंसा

-एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर

-दहेज उत्पीड़न

-यौन उत्पीड़न

-एसिड अटैक

-बाल विवाह

नई शादी में आती है शिकायतें

सात जन्म तक साथ निभाने का वायदे कई बार छोटे से इगो को लेकर टूट जाते हैं। इसमें सबसे अधिक मामले ऐसे कपल्स के आते हैं जिनकी शादी को एक वर्ष भी नहीं हुआ है। सबसे अधिक दहेज उत्पीड़न, एक्सट्रा मैरिटल अफेयर सहित समय न देने की भी शिकायतें आती है। वहीं एक्सपर्ट की मानें तो नए रिश्ते में खुद को एडजस्ट करना मुश्किल भरा होता है। ऐसे समय में इगो को ज्यादा तवज्जो न दें, कई बार इगो को लेकर ही रिश्ते बिखर जाते हैं। इस तरह की समस्या खासतौर पर नई शादी में खड़ी हो जाती है। बताया नए जोड़े इस तरह की शिकायतें लेकर सामने आते है। मायके वालों को लेकर कोई भी गलत बात लड़कियां बर्दाश्त नहीं कर पाती हैं। काउंसलिंग के दौरान पता चला कि कई रिश्ते सेल्फ रिस्पेक्ट पर चोट लगने से बड़े-बड़े परिवारिक विवाद में तब्दील हो जाते हैं।

थानों में ही निपटाएं मामले

हाल ही महिला आयोग की सदस्य ने सर्किट हाउस में महिलाओं से जुड़ी समस्याएं पूछी थीं। इस दौरान उन्होंने महिला थाना प्रभारी से कहा था कि थानों में पहुंचने वाले सभी परिवारिक मामलों को थाने में ही निपटाएं। जिससे पति-पत्‍‌नी के रिश्ते में समझौता करा कर उन्हें टूटने से बचाया जा सके। आशा ज्योति केंद्र की काउंसलर ने बताया कि पिछले चार सालों में घरेलू हिंसा के सबसे अधिक मामले सामने आए हैं।

किया जाता है फॉलोअप

आशा ज्योति केन्द्र पर जो भी पीडि़ता समस्या लेकर आती है तो उसका समझौता होने के बाद भी उसका सेंटर से फॉलोअप किया जाता है। फॉलोअप सप्ताह, 15 दिन या फिर मंथली किया जाता है। फॉलोअप छह माह से एक वर्ष तक केसेस के आधार पर सेंटर की टीम करती रहती है। ताकि पीडि़ता को दोबारा कोई कंप्लेन है तो वह बता सके।

आशा ज्योति सेंटर पर जो भी मामले आते हैं, उन मामलों में काउंसलिंग कराने के साथ समझौता कराने की कोशिश की जाती है। अधिकांश मामलों में समझौता हो जाता है। इसके बाद भी सेंटर की तरफ से फॉलोअप भी किया जाता है।

प्रिंसी सक्सेना, प्रभारी आशा ज्योति केंद्र

Posted By: Inextlive