सच ही कहा जाता है कि जहां चाह होती वहां राह होती है। इसका हालिया उदाहरण मुंबई का रहने वाला 20 साल का शशिकांत जायसवाल है। जो कभी न्‍यूजपेपर बेचता था लेकिन आज अपनी पूरी बिरादरी के लिए इतनी कम उम्र में रोल मॉडल हो गया। अब आप सोच रहे होंगे कि शशिकांत ने ऐसा क्‍या काम दिया तो आइए पढ़ें ये पूरी खबर...


दिहाड़ी पर कामजी हां 20 साल का शशिककांत जायसवाल आज बेहद खुश है। मुंबई के महात्मा फूले नगर यानी कि स्लम्स एरिये में रहने वाला शशिकांत जायसवाल आज पूरे इलाके के लोगों के लिए एक रोल मॉडल बन गया है। यह इलाका मुंबई आईआईटी से बिल्कुल सटा है। ऐसे में लोग उसकी तारीफ करते हुए नहीं थक रहे हैं। करें भी क्यों आखिर शशिकांत ने अपनी इतनी कम उम्र में मेहनत कर इतना बड़ा मुकाम जो हासिल किया है। शशिकांत आज से करीब 3 साल पहले न्यूजपेपर बेचते थे और दिहाड़ी पर काम करते थे। पूरे इलाके में छाए
इस दौरान महीने में भर में करीब 3000 रुपये मिलते थे, जब कि वह आज एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम कर रहे हैं। वह एक सॉफटवेयर कंपनी एक्वेंचर में एकाउंट रिप्रजेंटेटिव के पद पर कार्यरत हैं। इस दौरान उन्हें करीब 25,000 प्रतिमाह सैलरी मिल रही है। जिससे आज उनकी जिंदगी बदल गई है। शशिकांत ने कड़ी मेहनत के बल पर ही इतनी कम उम्र में इतना बड़ा मुकाम हासिल किया है। आज शशिकांत अपने पूरे इलाके में छाए हैं। इसके अलाव सोशल मीडिया पर भी उनकी काफी तारीफ हो रही है। रात से काम पर


वहीं इस मुकाम पर पहुंचे शशिकांत खुद कहते हैं कि वह उनका परिवार काफी परेशानियों में रहा है। उन्होंने आठवीं के बाद से ही पिता के साथ हाथ बंटाना शुरू कर दिया था। इस दौरान वह होने वाली कमाई से वह अपना और अपने परिवार का खर्च निकालते थे। न्यूजपेपर बेचने के अलावा वह अपनी पढा़ई भी करते थे। वह आधी रात से काम पर जाते थे और सुबह न्यूजपेपर बेचने के बाद दिन में पढ़ाई करते थे। शशिकांत का कहना है कि उनके वह बेसिकल महाराष्ट्र के औरंगाबाद इलाके के रहने वाले है। दुनिया की सबसे महंगी जींस जिन्हें पहने भले ही नहीं देख तो सकते हैंबिजनेस में शामिल नहीं

शशि के पिता जी उनके बाबा की पहली पत्नी के बेटे थे। जिससे बाबा ने उनके पिता को खानदानी बिजनेस में शामिल नहीं किया। जिसकी वजह से उनके परिवार को काफी परेशानी झेलनी पड़ी। उनके पिता शादी के बाद एक स्लम्स एरिया में रहने को मजबूर हुए। शशिकांत अब आगे स्लम्स एरिया के बच्चों के लिए कुछ करना चाहते हैं। उनका कहना है कि वे वहां के बच्चों के लिए कुछ खास कर सकें। उन्हें एक बेहतर शिक्षा मिल सके। जिससे बच्चे अपनी लाइफ में अपने सपने पूरे कर सकें और मुकाम को हासिल कर सकें।सिक्के पर होते हैं टॉयलेट सीट से ज्यादा कीटाणु, ऐसी हैं करेंसी से जुड़ी रोचक बातें

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Posted By: Shweta Mishra