यूपीएससी के सिविल सर्विसेज एप्टिट्यूड टेस्ट सीसैट के दूसरे क्‍वेश्‍चन पेपर में इंग्लिश मीडियम वाले छात्रों को सहूलियत मिलने के खिलाफ आंदोलन काफी बढ़ गया है. इधर सड़क पर छात्र प्रदर्शन करे हैं तो उधर दोनों सदनों में भारतीय भाषाओं के मुकाबले अंग्रेजी को तरजीह पर चिंताओं के सुर बुलंद हुए.


IIT स्टूडेंट्स को मिला बढ़ावासंघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा सी-सैट और अन्य नियमों के बदलाव को लेकर आंदोलन जोर पकड़ रहा है. प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों का आरोप है कि यूपीएससी में जबसे वरिष्ठ अधिकारी आईआईटी के नियुक्त हुए हैं, तबसे यूपीएससी के परीक्षा परिणाम में शहरी छात्रों और आईआईटी के छात्रों का बोलबाला बढ़ा है. ये अधिकारी स्वयं आईआईटी से जुड़े हैं, इसलिए इन्होंने 2011 में सी-सैट लागू किया है, जिससे ग्रामीण इलाकों से आए छात्रों की संख्या घटी है.हिंदी मीडियम हो रहा दरकिनार
फाइट यूपीएससी फोरम के सदस्य सुनील कुमार ने बताया कि हम सड़कों पर अंग्रेजी के विरोध में नहीं उतर रहे बल्कि अपना हक मांगने के लिए उतर रहे हैं. यदि आंकड़ों पर गौर करें तो देखेंगे कि जबसे यूपीएससी में आईआईटी में पढ़ाई करके अधिकारी आएं हैं, तबसे न केवल ग्रामीण इलाकों से आए छात्रों का प्रतिनिधित्व घटा है बल्कि अंग्रेजी छोड़कर अन्य सभी भारतीय भाषाओं के छात्रों का प्रतिनिधित्व घटा है. यही नहीं, बीए पास छात्रों की अपेक्षा इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों की संख्या बढ़ी है. इन सभी छात्रों का माध्यम अंग्रेजी ही है. प्रतियोगी छात्रों का कहना है कि सी-सैट भारतीय भाषाओं के छात्रों के लिए बड़ी बाधा है क्योंकि इसका पाठ्यक्रम जीमैट, कैट व मैट के अनुकूल है. यह वो परीक्षाएं हैं, जिसे इंजीनियरिंग के छात्र भी मैनेजमेंट में जाने के लिए देते हैं.क्या कहते हैं आंकड़ेंआर्ट्स मीडियम से IAS बने छात्रों का आंकड़ासाल- परसेंट 2006- 28.862007- 29.572008- 30.002009- 33.002010- 222011- 15.28इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर IAS बने छात्रों का आंकड़ा2006- 29.892007- 28.572008- 30.002009- 40.002010- 41.002011- 50.00

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari