साहब...मेरा भी कारोबार ठप हो गया है. मेरी भी रोजी-रोटी छिन रही है. राय बहादुर विशंभर नाथ धर्मशाला परिसर में स्थापित 8 दुकानों के दुकानदार भी हादसे के बाद से परेशान हैं. इन दुकानदारों ने 26 जनवरी के बाद से ही दुकानों को नहीं खोला है. वहीं कारोबार ठप होने का संकट भी इन्हें सता रहा है. दुकानदार धर्मशाला के फ्रंट में बनी दुकानों में किराएदार हैं.


अखिल दीक्षित
आगरा(ब्यूरो)। साहबमेरा भी कारोबार ठप हो गया है। मेरी भी रोजी-रोटी छिन रही है। राय बहादुर विशंभर नाथ धर्मशाला परिसर में स्थापित 8 दुकानों के दुकानदार भी हादसे के बाद से परेशान हैं। इन दुकानदारों ने 26 जनवरी के बाद से ही दुकानों को नहीं खोला है। वहीं, कारोबार ठप होने का संकट भी इन्हें सता रहा है। दुकानदार धर्मशाला के फ्रंट में बनी दुकानों में किराएदार हैं।


किराए पर हैं दुकानें
धर्मशाला परिसर में स्थित फर्नीचर की दुकान के संचालन कमल ने बताया कि हादसे के दिन से ही हमारी दुकान बंद है। हमारे सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। उन्होंने बताया कि 2005 में यह दुकान मैंने राजू मेहरा से किराए पर ली थी। कमल की तरह अन्य दुकानदार भी परेशान हैं। बता दें कि धर्मशाला परिसर में फ्रंट पर 8 दुकानें स्थापित हैं, जिसमें ज्यादातर फर्नीचर कारोबारी, कारोबार को संचालित कर रहे हैं।


शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बन रहा था
दुकानदार पवन किशोर ने बताया कि इस धर्मशाला के मैनेजर से मेरी बात होती थी। मैनेजर का कहना था कि यहां शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बनेगा। एडीए से एप्रूव एक नक्शा भी दिखाया था। कहा गया था कि यहां कॉम्प्लेक्स बनने के बाद एक-एक दुकान आवंटित करने का भरोसा दिया था। इसके एवज में उनकी दुकान का आधा हिस्सा पीछे से घेर लिया गया है। दुकानदार मनोज, प्रमोद अग्रवाल की दुकान भी इसी परिसर में है। उनकी पीड़ा भी कुछ इसी तरह की है।

Posted By: Inextlive