- ठीक होने में 15 दिन से ज्यादा लग रहा है वक्त

- डॉक्टर्स के पास पहुंच रहे मरीज, वायरस ने डवलप कर ली एंटी-बॉडीज

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AGRA। अब वायरल रूप बदलकर अपना असर दिखा रहा है। वायरल अब क्रॉनिक बन गया है यानि वो जल्दी ठीक नहीं हो रहा है। खांसी ठीक होने में दो हफ्ते से ज्यादा का समय ले रही है। जो बीमारियां पहले एक हफ्ते में ठीक हो जाती थीं अब उन्हें सही होने में ख्0-ख्0 दिन का समय लग रहा है। लोग डॉक्टर के यहां चक्कर लगाकर परेशान हो रहे हैं। दवाएं भी अपना असर नहीं दिखा पा रही हैं।

वायरल ने किया जोरदार अटैक

लोग बड़ी संख्या में वायरल फीवर की मार झेल रहे हैं। गर्मी हो अथवा सर्दी मौसम के बदलते ही यह बुखार आक्रामक रूप धारण कर लेता है। इसमें रोगी को बुखार के साथ-साथ सिर में भयंकर दर्द होने लगता है। पूरा बदन दर्द से टूट जाता है। नाक से पानी बहने लगता है। खास बात ये है कि वायरल फीवर में किसी भी एंटी-बायोटिक का प्रभाव नहीं होता।

वायरस है जिम्मेदार

डाक्टर्स का मानना है कि छूत की बीमारियों जैसे फ्लू, इंफ्लूएंजा आदि के लिए ख्00 प्रकार के नॉन स्पेसिफिक वायरस जिम्मेदार हैं। आमतौर से वायरस सभी नहीं होते। ये अचानक ठंडे वातावरण के सम्पर्क में आ जाते हैं तो एक्टिव हो जाते हैं। ठंडी चीजों का सेवन करने से यह वायरस एक्टिव हो जाते हैं। शरीर की रोग सहने की क्षमता को बुरी तरह से प्रभावित कर देते हैं। वायरल फीवर होने का कोई विशेष समय तय नहीं माना जाता। एक बार इसका शिकार व्यक्ति कई बार साल में दो-तीन बार भी पीडि़त हो जाता है।

मच्छर भी दे रहे टेंशन

मौसम में बदलाव के कारण वायरल फीवर का प्रकोप बढ़ रहा है। मच्छरों की अधिकता से लोगों की नींद उड़ी हुई है। सरकारी और प्राइवेट दोनों ही अस्पतालों में भारी संख्या में पेशेंट्स पहुंच रहे हैं।

नहीं समझ आ रहा मौसम

सर्द और गर्म मौसम की स्थिति बनने से लोगों में सर्दी-खांसी और बुखार की शिकायत देखी जा रही है। मौसम विभाग का कहना है कि आने वाले दिनों में तापमान में इसी तरह उतार-चढ़ाव बना रहेगा। हालांकि आने वाले दिनों में रात के तापमान में भी बढ़ोतरी होने की संभावना है।

खतरनाक है ख्8 डिग्री तापमान

वायरल का असर लोगों के स्वास्थ्य पर कितना है इसका अंदाजा अस्पताल में मरीजों की बढ़ती संख्या से लगाया जा सकता है.मौसम बदलने से वायरल फीवर के मरीजों की संख्या बढ़ने लगती है। ख्8 डिग्री सेल्सियस तापमान पर मानव शरीर आरामदायक स्थिति में रहता है। इसी तापमान पर वातावरण में बैक्टीरिया, वायरस व पैरासाइट भी पनपने लगते हैं।

अब वायरल हो गया क्रॉनिक

क्रॉनिक होना उसे कहते हैं जब बीमारी अपनी लिमिट से ज्यादा लोगों को परेशान करे। इसीलिए वायरल के आगे अब क्रॉनिक जोड़ दिया गया है। डाक्टर्स बता रहे हैं कि वायरल के लिए जिम्मेदार वायरस ने एंटीबॉडीज बदल दी हैं। इसलिए उस पर एंटीबायोटिक्स काम ही नहीं कर रही हैं। यही वजह है कि एक हफ्ते में ठीक होने वाला वायरल अब क्भ् दिन में भी ठीक नहीं हो रहा है।

वायरल फीवर के लक्षण

- भयंकर सिर दर्द होने लगता है तथा पूरे बदन में दर्द होने लगता है। नाक में खराश होने लगती है तथा पानी भी गिरने लगता है।

- गले में खराश होने लगती है भूख लगनी कम हो जाती है।

- सप्ताह भर तक यह स्थिति बनी रहती है।

क्या करें इस दौरान

- फीवर होने पर उबला पानी ही पिएं।

- गरम खाना ही खाएं।

- पेशेंट बीमारी के दौरान किसी भी तरह की एक्सरसाइज ना करे।

- दवाओं का कोर्स पूरा करें।

यह बात सही है कि इस बार मरीजों को ज्यादा दिक्कत हो रही है। बुखार या खांसी ठीक होने में ज्यादा समय लग रहा है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि वायरल ने अपना स्वभाव बदल लिया है। इसीलिए लोगों को ज्यादा परेशानी हो रही है।

- डॉ। सुनील बंसल, फिजीशियन

लोग एंटीबायोटिक्स खा-खाकर परेशान हो गए हैं। मेरे पास आने वाले कई मरीज ऐसे हैं जो पहले एलोपैथी में अपना इलाज करा चुके हैं। लेकिन हैवी दवाओं से उन्हें दिक्कत हो रही है, इसलिए मेरे पास आ रहे हैं। लेकिन इस बार वायरल सही होने में काफी वक्त ले रहा है- डा। पार्थसारथी शर्मा, होम्योपैथी फिजीशियन

इस समय वायरल की मार कुछ ज्यादा ही है। हमारे पास ऐसे कई लोग आ रहे हैं जो डायरेक्ट अपने लिए खांसी या जुकाम की दवा लेने आ रहे हैं। कई लोग तो ऐसे हैं जो पिछले क्भ् दिन से लगातार आ रहे हैं। लेकिन उन्हें आराम नहीं मिल रहा है- आशीष शर्मा, कैमिस्ट

Posted By: Inextlive