जाके पॉंव न फटे बिवाई, वह क्या जाने पीर पराई..
व्यापारियों ने कही दिल की बात, कहा, हमें भी चाहिए स्पेश
आगाज साबित होगा व्यापारियों को एकजुट करने में मील का पत्थरALLAHABAD: व्यापारी खुल कर व्यापार करना चाहता है। लेकिन टैक्स के बोझ तले इतना दबा है कि व्यापार नहीं कर पाता है। वह टैक्स भी देता है, फिर भी उसे परेशान किया जाता है। नोटबंदी ने तो व्यापार को पूरी तरह चौपट कर दिया है। 100 परसेंट एफडीआई से बढ़ रही मॉल पद्धति छोटे व्यापारियों और फेरी वालों से रोजी-रोटी का सहारा छीन रही है। वहीं राजनेताओं ने केवल व्यापारियों का शोषण ही किया है। विधानसभा-लोकसभा में व्यापारियों का प्रतिनिधित्व करने वालों ने भी धोखा ही किया है। लेकिन अब व्यापारियों को भी राजनीति में हिस्सेदारी चाहिए। इसलिए आगाज-2017 जरूरी है। व्यापारियों को संगठित होकर ताकत दिखाने की जरूरत क्यों हुई इस सवाल के साथ शनिवार को आई नेक्स्ट ने चौक मार्केट में व्यापारियों के बीच चर्चा आयोजित की।
धैर्य की सीमा हुई समाप्तशुरुआत करते हुए प्रयाग व्यापार मंडल के अध्यक्ष विजय अरोड़ा ने कहा कि नोटबंदी के मुद्दे पर सरकार ने कहा कि 50 दिन के बाद समस्या खत्म हो जाएगी। जनता ने धैर्य के साथ समस्याओं को झेला, लेकिन समस्या कम नहीं हुई। छोटे उद्योग और व्यापार चौपट हो गए हैं। व्यापारियों का राजनैतिक दल और नेता हमेशा से शोषण करते आए हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। इसलिए हम एक ऐसे बड़े मंच पर जा रहे हैं। जहां से हर दल से ये सवाल किया जाएगा कि हमें यानी व्यापारियों को राजनीति में कितनी हिस्सेदारी मिलेगी? जो दल व्यापारियों को हिस्सेदारी देगा, व्यापारी उसी के साथ जाएगा। अगर व्यापारियों की अपेक्षा हुई तो व्यापारी अकेले दम पर आगे बढ़ेगा।
राजनीति में व्यापारियों को मिले आरक्षण चर्चा को आगे बढ़ाते हुए व्यापारी नेता सुहैल अहमद ने कहा कि आज व्यापारियों की समस्याओं पर बात इसलिए नहीं होती है, क्योंकि लोकसभा-विधानसभा में व्यापारियों के हित की आवाज ही नहीं उठाई जाती। क्योंकि वहां पर कोई व्यापारी प्रतिनिधित्व ही नहीं है। इसलिए हमारी मांग है कि विधानसभा में जिस तरह से सिख-इसाई व अन्य जातियों के लिए जगह आरक्षित है, उसी तरह व्यापारियों को भी राजनीति में और विधानसभा में आरक्षण दिया जाना चाहिए। व्यापारियों की मांग एक सप्ताह में 24 हजार रुपये विद ड्रा करने की सीमा को बढ़ाई जाय जिन व्यापारियों का सीसी एकाउण्ट 20 लाख तक है, उन्हें 60 दिन की विशेष छूट दी जाए। जीएसटी में कारावास की व्यवस्था नहीं होनी चाहिए।महिलाओं के एकाउण्ट में अचानक पैसा जमा किया तो उनसे पूछा जाएगा कि अचानक ट्रांजेक्शन क्यों? इस नियम को भी बदला जाए
राजनैतिक दलों के चंदे लाए जाएं आरटीआई के दायरे में। जीएसटी के नियमों में किए जाएं संशोधन गांव के व्यापारियों को मैनुअल रिकार्ड तैयार करने का दिया जाए अधिकार व्यापारियों की समस्याएं सरकार कैशलेस की बात करती है, लेकिन बैंकों से स्वैप मशीन नहीं मिल रही है। उद्योगपतियों को छूट दी जा रही है। छोटे व्यापारियों से भेदभाव हो रहा है सरकार ने कहा था कि ट्रांजेक्शन चार्जेज नहीं लगेगा, लेकिन अभी भी चार्ज लग रहा है। व्यापारियों से अरबों रुपये का टैक्स वसूला जाता है, वोट लिया जाता है, लेकिन राजनीति में हिस्सेदारी नहीं दी जाती है, आखिर क्यों? आरबीआई को केंद्र सरकार चला रही है। स्वतंत्र एजेंसियों का राजनीतिकरण क्यों? सरकार कैशलेस की बात कर रही है, लेकिन स्थिति यह है कि सर्वर ही काम नहीं करता है। जीएसटी लागू करने की तैयारी है, लेकिन गांव के व्यापारियों को इसकी जानकारी नहीं है। 70 प्रतिशत व्यापार गांव पर आधारित है। गांव के व्यापारी जीएसटी लागू होने के बाद आनलाइन काम कैसे कर पाएंगे। भीख नहीं, अधिकार चाहिएव्यापारियों की समस्याएं तो कई हैं, लेकिन वर्तमान समय में नोटबंदी सबसे बड़ी समस्या बन गई है। जिसने व्यापार को खत्म कर दिया है। बड़े उद्योगपतियों को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है, लेकिन छोटे उद्योग धंधे खत्म हो रहे हैं। व्यापारी परेशान है, कोई बोलने वाला नहीं है।
विजय अरोड़ा अध्यक्ष प्रयाग व्यापार मंडल नोटबंदी से उबरने में व्यापारियों को एक साल से अधिक लग जाएगा। व्यापारी जो बेचेगा, वह खा जाएगा। उसके पास कुछ बचेगा नहीं। ऐसे में आगाज के जरिये हम सरकार पर यह दबाव बनाएंगे कि सरकार ऐसी नीति बनाए, जो व्यापार को जिंदा कर सके और आगे बढ़ा सके। सुहैल अहमद प्रयाग व्यापार मंडल आज व्यापार प्रभावित होने से ही देश का जीडीपी रेट 6 प्रतिशत पर पहुंच गया है। जिसे 5 प्रतिशत तक पहुंचने में देर नहीं लगेगी। जीडीपी गिरा तो विकास थम जाएगा। दो महीने तक अगर ऐसी स्थिति बनी रही तो आर्थिक संकट उत्पन्न हो जाएगी। मो। कादिर प्रयाग व्यापार मंडल केंद्र सरकार ने 100 परसेंट एफडीआई को मंजूरी देकर, छोटे व्यापारियों, फेरी वालों के पेट पर लात मारी है। सरकार को ऐसी नीति बनानी चाहिए थी, जिससे छोटे दुकानदारों को बढ़ावा मिले, वे खुल कर व्यापार कर सकें। सरकार ने हमारा पैसा जमा करा लिया, लेकिन हम अपना पैसा निकाल नहीं सकते हैं। ये कैसा नियम है?अरुण केसरवानी
प्रयाग व्यापार मंडल नोटबंदी की वजह से गांव का व्यापार सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। छोटे-छोटे बाजार के व्यापारियों के पास पैसे नहीं है कि वे हमारे पास आकर कपड़े खरीद सकें। जिससे हमारा बिजनेस भी प्रभावित हो रहा है। मनमाना तरीके से टैक्स वसूला जा रहा है। कपड़े पर सरकार ने टैक्स पर छू दे रखी है, फिर भी माल पकड़ कर टैक्स लगाया जा रहा है। आखिर ये कैसा नियम है? सरदार मंजीत सिंह कपड़ा व्यापारी नोटबंदी की वजह से व्यापार 40 से 50 परसेंट डाउन हुआ है। अब इनकम टैक्स और सेल टैक्स डिपार्टमेंट यह पूछेगा कि सेल क्यों कम हुई? आपने सेल कम दिखाया। ऐसे में व्यापारियों को एक साल की स्पेशल छूट दी जानी चाहिए। इनकम कम होती है, सेल कम होता है तो फिर सवाल पूछने के साथ ही जुर्माना न लगाया जाए? सरदार जितेंद्र सिंह कपड़ा व्यापारी 24 हजार रुपये में छोटे दुकानदार अपना परिवार चलाएं य फिर दुकान? सरकार को 24 हजार के लिमिट को खत्म करना चाहिए। राजनैतिक दलों से कहा जा रहा है कि वे चुनाव में आराम से पैसा खर्च करें। व्यापारियों पर सारा शिकंजा है। महमूद अहमद खां जब तक व्यापारी का प्रतिनिधि विधानसभा, लोकसभा, राज्य सभा में नहीं पहुंचेगा, तब तक व्यापारियों का कल्याण नहीं हो सकता। यही नहीं, व्यापारी खुल कर व्यापार नहीं कर सकता है। देश की प्रगति व्यापारी से है, और आज व्यापारी ही सबसे ज्यादा परेशान है। धर्मजीत सिंह रिंकू व्यापारी व्यापारी सबसे ज्यादा राजस्व देते हैं और पूरे देश में सबसे ज्यादा प्रताडि़त, दबे कुचले व्यापारी ही हैं। व्यापारियों की कोई आवाज नहीं है। कहीं भी हमारा कोई प्रतिनिधित्व नहीं है, ऐसे में हमारी सुनेगा कौन? व्यापारियों को भी आरक्षण मिलना चाहिए। यही हमारी मांग है। जिस पर आगाज में दमदारी से चर्चा होगी। गुरु चरण अरोरा सरकार जब कोई कदम उठाती है, निर्णय लेती है तो हमेशा बड़े व्यापारियों, उद्योगपतियों व पूंजीपतियों का ध्यान रखती है। छोटे दुकानदार तो सरकार की लिस्ट में होते ही नहीं है। नोटबंदी ने भी कुछ ऐसा ही किया है। दुकानदारी 20 हजार रुपये से घट कर सीधे दो हजार रुपये पर आ गई है। पप्पल अग्रवाल दुकानदार इलाहाबाद को स्मार्ट सिटी बनाने की तैयारी है, लेकिन जाम और अतिक्रमण से आज तक शहर को छुटकारा नहीं मिल पाया है। जीरो रोड, बहादुरगंज, रानी मंडी के साथ ही शहर के ज्यादातर इलाकों में जाम की समस्या है। जहां व्यापार केंद्रित है। -ओमप्रकाश अग्रहरि व्यापारी सबसे ज्यादा राजस्व व्यापारी देता है, लेकिन व्यापारी ही सुरक्षित नहीं है। चुनाव के दौरान ही नेता व्यापारियों के पास आते हैं, चुनाव जीतने के बाद कभी दिखाई भी नहीं देते हैं। हर कोई व्यापारियों को बस चूसने को तैयार है, फिर वो चाहे नेता हो या फिर अधिकारी या कर्मचारी। शानू यादव व्यापारी