तस्दीक होने पर ईद का ऐलान कर सकती है शहर की चांद कमेटियां

माहे मुबारक रमजान की विदाई अब चंद कदम की दूरी पर है। 29 रोजों के मुताबिक बुधवार की शाम को चांद देखा जा सकता है। इस स्थिति में ईद गुरुवार को मनायी जाएगी। इसी के अनुसार तैयारियां भी चल रही हैं। ईद का मार्केट वैसे तो तैयार है लेकिन खरीदार कम हैं। गारमेंट मार्केट पर पूरी तरह से ताला लगा होने की वजह से त्योहार का जोश कम दिख रहा है।

गले मिलकर नहीं देंगे बधाई

देवबंद और आइसीआई, इम्पार आदि शीर्ष संगठनों ने घरों में नमाज पढ़ने और गले न मिलने की सलाह दी है। शहर काजी सहित नगर की छोटी-बड़ी मस्जिदों के आलिमों की ओर से कहा गया है कि लॉकडाउन में जिस तरह जुमे (अलविदा) की नमाज घर में पढ़ी गई, उसी तरह ईद की नमाज भी अदा करें। इस्लामिक सेंटर आफ इंडिया की ओर से भी कहा गया है कि ईद के दिन भी लॉकडाउन का मुस्तैदी से पालन करते हुए किसी के घर न जाएं और न ही गले मिलें। देवबंद से जारी एडवाइजरी में भी घरों में नमाज पढ़ने की अपील की गई है।

नहीं कर पाए खरीदारी

कोरोना संक्रमण ने ईद पर दुकानदारों की कमाई को भी संकट में डाल दिया है। रमजान महीने की शुरुआत के समय लॉकडाउन की संभावना कम थी तो दुकानदारों ने माल मंगवा लिया था। लेकिन दूसरे अशरे से लॉकडाउन लग जाने की वजह से दुकानें बंद हो गई और माल डंप हो गया। अब चोरी छिपे ही दुकानें खुली हैं लेकिन यहां भी खरीदार बेहद कम हैं। चौक एरिया में जरूर थोड़ी दुकानें लगी दिखीं लेकिन कम से कम सौ मीटर पैदल चलने की अनिवार्यता के चलते कम ही लोग मार्केटिंग के लिए पहुंचे।

ईद की नमाज के बाद खुत्बा अल्लाह के नबी की सुन्नत है, साथ ही तक्बीराते ईद का एहतेमाम जरूर करें। अपने परिवार के साथ घर के अंदर ईद का त्योहार सादगी से मनाएं।

खलिद अंसारी,

अध्यक्ष, इंडियर मुस्लिम ऑफ प्रोग्रेस एवं रिफार्म

ईद के दिन अपने घर में नमाज अदा करें। कोविड-19 के जल्द खात्मे, पूरी दुनिया में अमन कायम होने, अपनी और मुल्क तथा कौम की तरक्की और खुशहाली की खास दुआ करें।

बिलाल अहमद

अपनी सेहत और सरकारी गाइड लाइन का ध्यान रखते हुए घरों में ही नमाज पढना बेहतर है। लोगों को चाहिए जिस तरह माह भर घर में इबादत की है, ईद भी घर में रहकर मनाएं।

अरहम खान

अल्लाह पाक दिलों के हालात को जानते हैं, वह माफ करने वाले हैं, ईद के दिन यदि हम सामूहिक परंपराओं से दूर रहेंगे तो यह समाज हित में होगा। हमें नियमों का पालन करना होगा।

अलीम अहमद

सदका ए फित्र वाजिब है

मौलाना नादिर हुसैन ने बताया कि हदीस शरीफ में उल्लिखित है कि बंदा जो रमजान भर इबादत करता है। उसमें जो भी कमी या कोताही हुई होती है। सदका ए फित्र की बरकत में वह पूरी हो जाती है। एक हदीस में आया है कि बंदे की तमामतर इबादत जो उसने रमजान में की हे। वो जमीन और आसमान के दरम्यानी मोअल्लक यानी लटकी हुई होती है। जब तक वो सदका ए फित्र न अदा कर ले। किताबों में आया है कि सदका ए फित्र मुस्तहब यानी बेहतर है। ईद की नमाज अदा करने से पहले इसे अदा करें।

प्रयागराज में 60 रुपए सदका ए फित्र है मुकर्रर

मौलाना नादिर हुसैन ने बताया कि प्रयागराज में सदका ए फित्र की रकम 60 रुपए मुकर्रर है। किसी भी शहर में इसकी रकम वहां पर 2 किलो 45 ग्राम गेंहू या आटा से लगाया जाता है। उन्होंने बताया कि मंगलवार को आखिरी शबे कद्र की रात रोजेदारों ने पूरी रात खुदा की इबादत में अपना समय बिताया। अल्लाह से रमजान के दौरान इबादत में किसी प्रकार की हुई कोताही के लिए माफी मांगी साथ ही आइंदा तमाम गुनाहों से बचने की तौकीफ की।

Posted By: Inextlive