इस दीपावली पूजा-अर्चना के लिए आपको गली-गली गाय का गोबर नहीं ढूंढना होगा. प्रशासन द्वारा आयोजित दीपावली मेला में आपको गोबर से बने लट्ठ और दीपक रीजनेबल रेट पर मिल जाएंगे. मेले में मौजूद ऐसे देशी आइटम निश्चित तौर पर दीवाली पर बाजार में बिक रहे विदेशी आइटम्स की बाजार को चैलेंज दे सकते हैं.


प्रयागराज (ब्यूरो)। आमतौर पर त्योहारों में पूजा, यज्ञ और हवन में गाय के गोबर के कंडों का इस्तेमाल होता है। अब शहर में गौ पालन को लेकर हो रही सख्ती के बाद आसानी से यह कंडे उपलब्ध नही हो पाते हैं। लोगों को पता भी नही चलता कि गोबर गाय का है या भैंस का। लेकिन इस मेले में नगर निगम के पशु धन विभाग की ओर से लगाए गए स्टाल में गाय के गोबर से बने लट्ठ उपलब्ध कराए गए हैं। जिनकी कीमत महज दस रुपए है। यह लट्ठ पूजा में काम आएगा।दीपक भी किसी से कम नहीं


इसी तरह मेले में गाय के गोबर और मिट्टी से बना दीपक भी मिल जाएगा। बताया गया कि दीवाली पर गाय के गोबर से बने दीपक का बहुत महत्व होता है। लेकिन आजकल लोग चाइनीज झालर और मोमबत्ती का उपयोग अधिक करते हैं। जिसकी वजह से दीपक की मार्केट को काफी नुकसान पहुंचा है। बता दें कि बाजार में बिकने वाले मिट्टी के दीपक की कीमत भी दो से तीन रुपए प्रति पीस है। जबकि मेले में बिक रहे गोबर के दीपक की कीमत भी दो रुपए ही रखी गई है।डेंगू से निजात दिला सकता है दीपक

विशेषज्ञों का कहना है कि समय के साथ लोग अपनी संस्कृति को भूल गए हैं। बारिश के बाद मक्खी, मच्छर और कीट पतंगों की संख्या तेजी से बढ़ती है। जिसमें से मक्खी हैजा, मच्छर डेंगू मलेरिया और कीट पतंग तमाम संक्रामक रोग फैलाते हैं। लेकिन दीपावली पर तेल के दीपक जलाने से उसके धुएं से यह सभी खत्म हो जाते हैं। हमारी संस्कृति में तेल का दीपक जलाने का इसीलिए प्रावधान किया गया था। गोबर के दीपक में सरसों के तेल का डालकर जलाने से वातावरण की शुद्धि भी होती है।लीजिए खाद, चलाइए साइकिलदीपावली मेले में जिला कृषि विभाग के स्टाल में आपको हरी भरी जैविक खाद भी मिल जाएगी। यह खाद दो किलो और 50 किलो के बैग में उपलब्ध है। इसकी कीमत क्रमश: 60 और 365 रुपए रखी गई है। यह खाद नगर निगम प्रयागराज कूड़ा ट्रीटमेंट प्लांट में बनाई जा रही है। इसी तरह स्मार्ट सिटी मिशन के स्टाल पर किराए पर साइकिल भी उपलब्ध है। मौके पर ही ऑनलाइन ऐप के जरिए साइकिल बुक कराई जा सकती है। खादी ग्रामोद्योग विभाग के स्टाल पर अचार, मुरब्बे और दवाएं भी उपलब्ध हैं।

हमारी संस्कृति में गाय के गोबर को अति शुद्ध माना गया है। जो आजकल आसानी से उपलब्ध नहीं है। हमारे स्टाल पर इस गोबर से बने लट्ठा और दीपक मिल जाएंगे। इससे पूजा, हवन और यज्ञ की शुद्धता बनी रहेगी और हमारी संस्कृति को भी बढ़ावा मिलेगा।नीरज कुमार सिंहपशु धन अधिकारी प्रयागराज

Posted By: Inextlive