फाइव एनेमी
इन पांच दुश्मनों से बचकर रहिए
- वायरल इंफेक्शन के चलते हो रही कई तरह की diseases - लगातार बढ़ रहे हैं पेशेंट, सावधानी बरतने से मिल सकता है छुटकारा ALLAHABAD: मार्च का महीना स्वास्थ्य के लिए हॉर्मफुल माना जाता है। मौसम में तेजी से बदलाव होता है। फिजा में ठंड कम होने से तापमान में बढ़ोतरी होने लगती है। ऐसे में जाहिर है कि बॉडी की इम्युनिटी कमजोर हो जाए और वायरस आप पर अटैक कर दें। कुछ ऐसा ही इस समय चल रहा है। बदलते मौसम का फायदा उठाकर वायरस तेजी से लोगों को अपनी चपेट में ले रहे हैं। किसी को फीवर है तो कोई छींक और खांसी से परेशान है। स्किन डिजीजेज भी परेशानी बढ़ाने में पीछे नहीं हैं। ऐसे ही पांच वायरल इंफेक्शन से होशियार रहने की जरूरत है, जो कभी भी आपको अपना शिकार बना सकते हैं। स्ट्रांग हैं वायरसजिस तरह से तापमान में बदलाव हो रहा है, ऐसे मौसम में वायरस स्ट्रांग हो जाते हैं। बॉडी की इम्युनिटी जरा भी कमजोर होने पर यह अपना असर दिखाना शुरू कर देते हैं। यह सिलसिला मौसम के सामान्य होने तक चलता रहेगा। डॉक्टरों की मानें ंतो हर साल मार्च के महीने में ऐसे पेशेंट्स की संख्या बढ़ जाती है। बेहतर होगा कि भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचा जाए। चिकन पॉक्स जैसी डिजीज में तो वायरल कई सालों तक बोन मैरो में रहते हैं और मौका मिलते ही वापस पेशेंट को अपनी चपेट में लेने लगते हैं।
दुश्मन नंबर एक वायरल फीवर- डाइट में लापरवाही या कोल्ड-हीट के एक्सपोजर के चलते अचानक लोग फीवर की चपेट में आ रहे हैं। इसकी मियाद तीन से पांच दिन होती है। इस दौरान पेशेंट काफी ज्यादा कमजोरी महसूस करता है। लक्षण - तेज फीवर - बदन दर्द - आंखों में जलन - नाक बहना और बार-बार छींक आना बचाव - धूप से आने के बाद तुरंत कूलर या एसी के सामने जाने से बचें। - साफ-सुथरा खानपान रखें। - इंफेक्टेड पर्सन से दूरी बनाए रखें। - ठंडे पेय पदार्थों का कम उपयोग करें। दुश्मन नंबर दो खांसी- हॉस्पिटल्स में खांसी से परेशान पेशेंट्स की संख्या बढ़ती जा रही है। बदलते मौसम में सांस की नलियां हाइपर सेंसेटिव हो जाती हैं और इसकी वजह से जकड़न महसूस होती है। लोगों को लंबे समय तक खांसी की शिकायत होती है। लक्षण - सुबह और शाम खांसी आना। - गले में सरसराहट महसूस होना। - खांसी के साथ बलगम आने की शिकायत।- कभी-कभी सीने में दर्द होना।
बचाव - देर रात तक घूमने से परहेज करें। - रूम का टेम्परेचर सामान्य रखें। - एक साथ गरम और ठंडा खाने से बचें। दुश्मन नंबर तीन चिकन पॉक्स-ये हाइली इंफेक्टेड डिजीज है। अगर लाइफ में एक बार हुआ है तो दोबारा होने चांसेज होते हैं। इस सीजन में इसके पेशेंट बढ़ रहे हैं। इसमें पेशेंट को बहुत ज्यादा इरीटेशन फील होता है। लक्षण - तेज फीवर - बदन दर्द - पूरे शरीर में दाने हो जाना - बेतहाशा कमजोरी फील होना बचाव - इंफेक्टेड पर्सन से दूरी बनाए रखें। - वैक्सीनेशन करवाएं। - वायरल एक्सपोजर से बचें। - साफ-सफाई बरतें। दुश्मन नंबर चार हरपीस-डॉक्टर्स की मानें तो चिकन पॉक्स और हरपीस, दोनों डिजीज के लिए एक ही वायरस जिम्मेदार हैं। अगर किसी को चिकन पॉक्स हुआ है तो फ्यूचर में हरपीस होने के पूरे चांसेज हैं। इसके पेशेंट भी बढ़े हैं। लक्षण - शरीर के किसी एक हिस्से में दाने होना। - दानों में बेतहाशा दर्द होना। - आसपास की नसों में खिचाव महसूस होना। बचाव - वैक्सीनेशन करवाना जरूरी। - डॉक्टर से मिलकर एंटी वायरल यूज करें। - पहले कभी चिकन पॉक्स हुआ है तो डॉक्टर से कंसल्ट करें। दुश्मन नंबर पांचआई इंफेक्शन- हॉस्पिटल्स की ओपीडी में आंखों में एलर्जी के पेशेंट भी बढ़े हैं। इसका असर सात से आठ दिनों तक रहता है। धूल के संपर्क में अधिक रहने से ये डिजीज चपेट में ले सकती है।
लक्षण - आंखों का लाल होना। - पानी निकलने के साथ जलन और दर्द - सिर में भी भारीपन महसूस होना बचाव - धूप, धुएं और धूल से बचें। - आंखों की साफ-सफाई का ख्याल रखें। - बाहर निकलते समय हेलमेट या गॉगल का इस्तेमाल करें। ओपीडी में वायरल फीवर के पेशेंट बढ़ते जा रहे हैं। सभी के लक्षण एक से हैं। हाइली इंफेक्टेड होने की वजह से जरा सी लापरवाही लोगों को बीमार बना रही है। ऐसे में होशियार रहने की जरूरत है। डॉ। ओपी त्रिपाठी, फिजीशियन कुछ मरीजों में चिकन पॉक्स और हरपीस खुद ठीक हो जाते हैं तो कुछ मेडिसिन नहीं लेने पर सीरियस कंडीशन में पहुंच जाते हैं। लोगों में अवेयरनेस की कमी के चलते ऐसी डिजीज तेजी से इस मौसम में बढ़ रहे हैं। इसलिए डॉक्टर से जरूर कंसल्ट करें। डॉॅ। शक्ति बसु, स्किन स्पेशलिस्टअगर कोई सीओपीडी या अस्थमा का पेशेंट है तो उसे इस सीजन में होशियार रहने की जरूरत है। जिनको सुबह या शाम खांसी आ रही है तो वह इसे अवॉयड न करें। उन्हें डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
डॉ। आशुतोष गुप्ता, चेस्ट फिजीशियन जलन होने के साथ पानी आ रहा है तो आंखों की केयर करना जरूरी है। वायरल इंफेक्शन के चलते लोग परेशान हो रहे हैं। धूल से बचाव करने के लिए आंखों की साफ-सफाई का ध्यान रखें। डॉ। एसएम अब्बास, आई स्पेशलिस्ट