समान अपराध तो सजा अलग क्यों
हाई कोर्ट ने दोनों आरोपियों को समान सजा का दिया आदेश
सेवा बर्खास्तगी आदेश संशोधित वेतनमान कम करने पर विचार का निर्देश इलाहाबाद हाईकोर्ट ने समान आरोप में दो आरोपियों को अलग-अलग दी गयी सजा को रद कर दिया है और कहा है कि गंभीर अपराध पर कम सजा और हल्के अपराध पर कड़ी सजा सही नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने सेवा बर्खास्तगी को संशोधित करते हुए सह आरोपी ड्राइवर-कांस्टेबल सीआरपीएफ वाराणसी सुरेन्द्र कुमार को मिली सजा याची कांस्टेबल को देने पर 6 हफ्ते में विचार करने का निर्देश दिया है। संयुक्त जांच के बाद हुई थी कार्रवाईयह आदेश जस्टिस एसपी केशरवानी ने सुरेन्द्र कुमार शर्मा की याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए दिया है। याची 25वीं वाहिनी सीआरपीएफ पहडि़या मण्डी वाराणसी में कांस्टेबल नर्सिग पद पर तैनात था। वह अन्य सिपाही सुरेन्द्र कुमार के साथ मोटर साइकिल से जा रहा था। दुर्घटना में कांस्टेबल श्याम एच वैरेल की मौत हो गयी। घटना की संयुक्त जांच हुई। आरोप पत्र दिये गये। सेवा में लापरवाही का दोषी करार दिया गया। याची को बर्खास्त कर दिया गया और मोटरसाइकिल चला रहे कांस्टेबल को तीन साल के लिए वेतनमान कम करने का दंड दिया गया। याची का कहना था कि जब आरोप एक समान है। संयुक्त जांच में लापरवाही का दोनों को दोषी पाया गया तो एक को वेतनमान घटाने व दूसरे को बर्खास्त करने का आदेश अपराध से अधिक है। याची को भी वेतनमान कम करने का दंड मिलना चाहिए।