शनिवार को इस वर्ष की दूसरी राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजने होने जा रहा है. जिसमें हजारों की संख्या में मामलों का निस्तारण किया जाना है. इसकी तैयारी भी जोर शोर से चल रही है. खुद जिला विधिक सेवा प्राधिकरण चाहता है अधिक से अधिक मामले इस अदालत में निस्तारण के लिए आएं. प्राधिकरण की सचिव प्रज्ञा सिंह द्वितीय ने दैनिक जागरण आई नेक्स्ट से राष्ट्रीय लोक अदालत की प्रासंगिकता को लेकर बातचीत की. उन्होंने कहा कि आपसी समझौते से मामले सुलझते हैं और साथ में संबंध भी मधुर होते हैं. पेश से उनसे बातचीत के मुख्य अंश....


प्रयागराज (ब्‍यूरो)। पिछले साल हमने तीन राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया था। कोरोना की वजह से एक अदालत कम आयोजित हुई। इस साल हमारी दूसरी राष्ट्रीय लोक अदालत है। पिछली लोक अदालत 12 मार्च को हुई थी और इसमें 53395 मामले निस्तारित हुए थे। उम्मीद है आज की अदालत में इससे दोगुने मामले हल हो सकते हैं।

50 साल पुराने मामले की आई है अप्लीकेशन


लोक अदालत में कई दशक पुराने मामले भी आते हैं। यह कई सालों से अदालत में लंबित रहते हैं और हल नहीं निकलने पर लोग दस्तक देते हैं। शनिवार को होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत में 50 साल पुराना एक सिविल का मामला भी आया है। उम्मीद है उसे हल करा लिया जाएगा जो एक बड़ी उपलब्धि हो सकती है। कोर्ट में लंबित पुराने मामलों को हल कराने के लिए वादी अप्लीकेशन दे सकता है। जबकि प्री लिटिगेशन मामलों में कोर्ट जाने से पहले प्राधिकरण में आवेदन किया जा सकता है। यहां निशुल्क सेवा होती है। इतना ही नही, लंबित मामले के लोक अदालत में निस्तारण पर न्यायालय शुल्क की वापसी की व्यवस्था की गई है।निर्णय पर नही होती है अपील

लोक अदालत के फैसलों के खिलाफ कोई अपील नही हो सकती है। यहां पर दो पक्षों के मध्य आपसी सुलह समझौते के आधार पर विवाद का निस्तारण किया जाता है। मेरी लोगों से अपील है कि वह अधिक से अधिक संख्या में आकर लोक अदालत का लाभ उठाएं। यहां पर चेक बाउंस से संबंधित धारा 138 एएनआई एक्ट के वाद, बैंक रिकवरी वाद, मोटर दुर्घटना प्रतिकर, श्रमवाद, बिजली और जल संबंधी, भूमि अध्याप्ति, रिटायरमेंट, राजस्व व सिविल वाद का हल लोक अदालत में निकाला जाता है।टूटने से बच गए कई परिवारऐसे कई परिवार हैं जहां पर आपसी मनमुटाव और विवाद के कारण रिश्ते टूटने की कगार पर आ गए थे। इससे पहले अलगाव होता, लोक अदालत के जरिए शुरुआती स्टेज पर ही रिश्ते बचा लिए गए। यही कारण है कि बड़ी संख्या में परिवारिक वाद यहां दस्तक देते हैं। इसी तरह अन्य प्रकार के मामलों का भी यहां निस्तारण किया जाता है। हर बार आने वाले वादों की संख्या यहां बढ़ जाती है। लोगों का लोक अदालतों पर भरोसा बढ़ता जा रहा है।

Posted By: Inextlive