सरकारी इमारतों में दिव्यांग बेसहारा
i reality check
-विकास भवन में नहीं है दिव्यांगों के लिए रैंप और लिफ्ट की सुविधा - दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट के रियलिटी चेक में सामने आई हकीकत ------------ ऐसी है हालत 25 साल पुरानी इमारत 24 विभाग संचालित 01 हजार से अधिक कर्मचारी-अधिकारी 02 हजार से अधिक आते हैं विजिटर्स 01 दर्जन से ज्यादा आते हैं विकलांग ---------- vineet.tiwari@inext.co.inPRAYAGRAJ: मऊआइमा के रहने वाले अकरम मंगलवार को विकास भवन में अपनी माता के वृद्धावस्था पेंशन के आवेदन के सिलसिले में आए थे। उनके बाएं पैर की एड़ी की हड्डी में दिक्कत है। बचपन में एक एक्सीडेंट के बाद डॉक्टर ने उन्हें दिव्यांग घोषित कर दिया। तीसरी मंजिल पर स्थित समाज कल्याण अधिकारी ऑफिस तक पहुंचने में उनकी हालत खराब हो गई। क्योंकि न तो भवन में रैंप बना है और न ही लिफ्ट लगी है। यह हाल जिले का विकास करने वाले विकास भवन का है। यहां आने वाले दिव्यांग पिछले 25 साल से बेहाल हैं।
हकीकत देख पसीजा दिलदैनिक जागरण-आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने विकास भवन में दिव्यांगों को दी जाने वाली सुविधाओं का जायजा लिया। पता चला तीन मंजिला इमारत में ऊपरी तल तक पहुंचने के लिए केवल सीढि़यां ही हैं। एक भी जगह पर रैंप नहीं बना है। लिफ्ट तो यहां शुरू से ही नहीं है। बिल्डिंग में ऊपरी तल तक जाने क लिए तीन एंट्री प्वाइंट हैं। एक सीढ़ी सीडीओ ऑफिस के बगल, दूसरी बैंक ऑफ बड़ौदा बिल्डिंग के नीचे और तीसरे सीढ़ी ग्राम विकास विभाग के नीचे से है। इन तीनों में रैंप नहीं बना है। अगर दिव्यांग को तीसरी मंजिल पर जाना तो बिना किसी की हेल्प के नहीं जा सकता।
------------- सवाल-जवाब पाइप लाइन में है पांच साल पुरानी योजना शासन के अंतर्गत आने वाली सरकारी बिल्डिंगों में दिव्यांगों के लिए रैंप और लिफ्ट लगाने जैसी योजना पर अमल पिछले पांच साल में नहीं हो सका है। इस संबंध में हमने दिव्यांगजन सशक्तिकरण अधिकारी विपिन उपाध्याय से सवाल जवाब भी किया सवाल: दिव्यांगों के लिए विकास भवन में रैंप और लिफ्ट लगाने जैसी कोई योजना पर काम चल रहा है क्या? जवाब: सुगम भारत अभियान के तहत 2015 से सरकारी बिल्डिंगों में रैंप लगाने का काम शुरू हुआ है। इसमें प्रयागराज की 25 इमारतों में विकास भवन भी शामिल हैं। सवाल: पांच साल बीतने के बाद भी योजना पर अमल क्यों नहीं हो सका? जवाब: प्रयागराज जिला थर्ड फेज में रखा गया है। इसलिए इसका नंबर आने में देरी लग रही है।सवाल: योजना के तहत फंड को मंजूरी मिल गई है क्या?
जवाब: अभी नहीं। मथुरा की एक एनजीओ को एक्सेस ऑडिट का काम मिला था जो पूरा हो चुका है। रिपोर्ट और इस्टीमेट शासन को भेजी जा रही है। इसके आधार पर फंड को मंजूरी दी जाएगी। फंडिंग का काम भारत सरकार को करना है। सवाल: विकास भवन में दिव्यांगों के लिए क्या-क्या निर्माण प्रस्तावित हैं? जवाब: विकास भवन में दिव्यांगों की सुविधा के लिए रैंप बनाने के साथ दो लिफ्ट भी लगाई जाएंगी। सवाल: योजना के तामील होने में अभी कितना वक्त और लग सकता है? जवाब: यह तो फंडिंग पर निर्भर करता है। जितनी जल्दी एक्सेस ऑडिट की रिपोर्ट शासन को सौंप दी जाएगी। उतनी जल्द काम शुरू हो जाएगा। हमने इसके लिए संबंधित एनजीओ से बात भी की है। बॉक्स इन सरकारी भवनों में नहीं है रैंप -प्रधान डाकघर -प्रयागराज विकास प्राधिकरण -शिक्षा निदेशालय -आईजी पंजीयन -अपर पुलिस महानिदेशक -माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड -कमला नेहरू मेमोरियल हॉस्पिटल -जिला विद्यालय निरीक्षक -जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी -आबकारी आयुक्त -काल्विन हॉसिपटल -डफरिन हॉस्पिटल -एसआरएन हॉस्पिटल -टेलीफोन एक्सचेंज -जनपद न्यायालय -उच्च न्यायालय -राजस्व परिषद -महालेखाकार उप्र इलाहाबाद -लोक निर्माण विभाग -सीएमओ कार्यालय -एसएसपी कार्यालय -जिला सेवा योजन अधिकारी -लोक सेवा आयोग -जिला पूर्ति अधिकारी-उप्र राज्य सड़क परिवहन निगम
-सिविल लाइंस बस डिपो -जीरो रोड डिपो -रेलवे स्टेशन -सहायक परिवहन अधिकारी कार्यालय -तहसील सदर -कलेक्ट्रेट परिसर -विकास भवन -पीएचक्यू उप्र इलाहाबाद दिव्यांगों के कल्याण के प्रति सरकार काफी गंभीर है। जल्द ही विकास भवन में रैंप बनेगा और हाल ही में पांच हजार दिव्यांगों को चयनित किया गया है। इनको एलिम्को के साथ मिलकर उपकरण वितरण किए जाएंगे। -अरविंद सिंह, मुख्य विकास अधिकारी प्रयागराज