-एसआरएन हॉस्पिटल में एक-एक स्ट्रेचर के लिए मरीजों में होती है खींचतान

-स्ट्रेचर और व्हील चेयर के लिए मोबाइल तक गिरवी रखते हैं मरीज

हाल-ए-एसआरएन

1000

से ज्यादा है हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों की संख्या

3000

तक है हर रोज ओपीडी में आने वाले मरीज

60

मरीज करीब रोज भर्ती किए जाते हैं हॉस्पिटल में

vineet.tiwari@inext.co.in

PRAYAGRAJ: मंडल के सबसे बड़े हॉस्पिटल एसआरएन में मरीजों को डॉक्टर मिल जाएगा। दवा भी मिल सकती है, लेकिन स्ट्रेचर और व्हील चेयर आसानी से नहीं मिलेगी। इसके लिए वार्डब्वॉय की खुशामद करनी पड़ती है। आधार कार्ड के साथ मोबाइल और घड़ी तक गिरवी रखनी पड़ सकती है। कभी-कभी तो मरीजों के परिजन आपस में खींच-तान करते भी नजर आ जाते हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के रियलिटी चेक में सच सामने आया

छिपाकर रखते हैं स्ट्रेचर

दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर से मरीज का परिजन बताकर स्ट्रेचर की मांग की। इस पर उन्होंने ड्यूटी नर्स से बात करने के लिए कहा। जब नर्स से स्ट्रेचर मांगा तो उन्होंने प्यून के पास जाने को कहा। इसके बाद प्यून का जवाब और हैरान करने वाला था। उसने कहा कि हमारे पास स्ट्रेचर नहीं है, आएगा तो ले लेना। रिपोर्टर द्वारा दबाव बनाने पर वह बरामदे में लेकर गया। उसने कहा कि यह स्ट्रेचर इमरजेंसी के लिए छिपाकर रखी गई है। सभी को नहीं मिलती। आप पहुंच वाले लगते हैं इसलिए ले जाइए।

आसानी से नहीं मिलती

अगर आपका मरीज भर्ती है तो उसे स्ट्रेचर दिलाने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ सकती है। कटरा के रहने वाले दिवाकर के फूफा हड्डी विभाग में भर्ती हैं। उनको एक्सरे जांच के लिए ले जाना था। स्ट्रेचर के लिए उन्हें वार्ड ब्वॉय से मिन्नत करनी पड़ी। बदले में आधार कार्ड मांगा गया जो मौके पर उलब्ध नहीं था। ऐसे में उन्हें अपनी रिस्ट वाच जमानत के तौर पर रखवानी पड़ी। बाद में वार्ड ब्वॉय को सुविधा शुल्क भी देना पड़ा। एक अन्य मामले में प्रतापगढ़ के राम आसरे को अपना मोबाइल जमा कराना पड़ा।

देखकर पसीज जाता है दिल

बिना स्ट्रेचर या व्हील चेयर मरीज को ओपीडी या वार्ड में ले जाता देख दूसरों का दिल पसीज जाता है। सीरियस मरीज को ओपीडी तक ले जाने के दौरान स्ट्रेचर नहीं मिलने पर परिजन उन्हें गोद या कंधे पर ले जाते हैं। इससे काफी कठिनाई होती है। पार्किंग नियमित नहीं होने पर जहां-तहां गाड़ी खड़ी होती हैं। इससे स्ट्रेचर लेकर जाने में भी मुसीबत का सामना करना पड़ता है।

स्ट्रेचर कम, डिमांड ज्यादा

जानकारी के मुताबिक इमरजेंसी वार्ड में बमुश्किल 10 स्ट्रेचर और इतनी ही संख्या में व्हील चेयर हैं। जबकि जरूरत कहीं ज्यादा है। ऐसे में सुविधाओं की दरकार काफी मरीजों को होती है। कई बार परिजन मरीजों को हाथ से पकड़कर या कंधे पर टांगकर भी ले जाते हैं।

इतने बड़े हॉस्पिटल में स्ट्रेचर की कमी होना शर्म की बात है। अगर सरकार के पास बजट नहीं है तो प्राइवेट संस्थाओं से को दान करना चाहिए। मरीजों को तो सहूलियत मिले।

-अमजद अली

कई बार देखा गया कि मरीज को कंधे पर लादकर परिजन ले जा रहे हैं। स्ट्रेचर या व्हील चेयर नहीं मिलने पर उनको ऐसा करना पड़ता है। इस पर रोक लगाई जानी चाहिए।

-बबलू

सरकार हर चीज का बजट देती है तो क्या स्ट्रेचर का बजट नहीं उपलब्ध कराती? अगर ऐसा है तो गलत है। सुविधा नही होने से मरीजों को ओपीडी तक ले जाने में काफी दिक्कत होती है।

-सरताज

वर्जन

हॉस्पिटल में पर्याप्त मात्रा में स्ट्रेचर और व्हील चेयर हैं। लोग इन्हें वापस उचित स्थान पर नहीं पहुंचाते हैं। इसीलिए दूसरों को सुविधा से वंचित होना पड़ता है। जल्द ही नए स्ट्रेचर भी मंगाए जाने हैं।

-प्रो। एसपी सिंह

प्रिंसिपल, एमएलएन मेडिकल कॉलेज

Posted By: Inextlive