Allahabad : पुलिस की लीला भी बड़ी अजीब है. वह कहती कुछ है और करती कुछ और है. एसटीएफ की सूचना थी. बालू के कांट्रैक्टर की हत्या की बदमाशों ने प्लानिंग की थी. उसकी भनक एसटीएफ को लग गई. एसटीएफ की मदद से क्राइम ब्रांच ने शूटरों को तमंचा और लाइसेंसी गन के साथ अरेस्ट कर लिया. लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई. कैंट पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज करने में गेम कर दिया. इसके चलते शूटर जेल तो गए लेकिन दो दिन बाद ही जमानत पर रिहा हो गए.


Arms act का आरोपी माना
20 नवंबर को क्राइम ब्रांच ने धूमनगंज के रहने वाले मोहम्मद आमिर व नौशाद और झूंसी के मोहम्मद शाहिद को अरेस्ट किया था। आमिर के पास पिस्टल और शाहिद के पास लाइसेंसी गन थी। एसटीएफ का दावा था कि तीनों बदमाशों ने जावेद की हत्या की प्लानिंग की थी। वारदात को अंजाम देने वाले थे, लेकिन उसके पहले ही पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया। पुलिस का दावा था कि उन्होंने अपनी एलर्टनेस से एक व्यक्ति की जान बचा ली। जब इस बात की जानकारी जावेद के घर वालों को हुई तो वे हैरान रह गए। लेकिन जब तीन दिन बाद जावेद के घर वालों को दोबारा धमकी मिलनी शुरू हो गई तो वे दंग रह गए। पता चला कि कैंट पुलिस ने पकड़े गए आरोपियों को मर्डर की प्लानिंग करने यानी साजिश रचने का आरोपी नहीं बनाया था। उन्हें सिर्फ आम्र्स एक्ट में जेल भेजा था। अब इस खेल के पीछे का राज क्या है, यह तो कैंट पुलिस ही बता सकती है।

Posted By: Inextlive