थानेदार फेल, नहीं है स्कूलों की डिटेल
-थानों के पास नहीं है क्षेत्र में आने वाले कुल स्कूलों का सही डाटा
-डीजीपी के आदेश पर अधिकारी सजग पर थाने में नहीं दिख रहा असर ALLAHABAD: हरियाणा स्थित गुरुग्राम में रेहान इंटरनेशनल स्कूल की घटना के बाद सुरक्षा को लेकर संजीदा हुए अफसरों की पहल का असर यहां थानों पर तनिक भी नहीं दिख रहा है। सिटी के कई ऐसे थाने हैं जिनके पास क्षेत्र में आने वाले स्कूलों की सही डिटेल तक नहीं है। बता दें कि 12 सितंबर को स्कूलों में सुरक्षा व्यवस्था चाकचौबंद करने के लिए डीजीपी ने आदेश जारी किया था। डीजीपी के इस आदेश को धता बताने वाली यहां की पुलिस स्कूलों की पुरानी लिस्ट से ही काम चला रही है। पुरानी लिस्ट से चला रहे कामस्कूलों की स्थिति से सिटी के थाने कितने वाकिफ हैं, इस बात का पता लगाने के लिए दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने कई थानों पर हालात का जायजा लिया। हालात काफी चौंकाने वाले सामने आए। पता चला कि सिविल लाइंस थाने में दर्ज स्कूलों की संख्या महज 18 है। जबकि इस थाना क्षेत्र में छोटे व बड़े मिला कर दो दर्जन से अधिक स्कूल संचालित हैं। इसका कारण पूछने पर थाना प्रभारी ने जवाब दिया कि डीजीपी के आदेश पर स्कूलों की सूची फिर से तैयार करायी जा रही है। साथ ही स्कूलों में स्टॉफ के वेरीफिकेशन के लिए लेटर भेजा जा रहा है। मुट्ठीगंज में भी लगभग दो दर्जन स्कूल संचालित है। यहां के थाना प्रभारी ने बताया कि स्कूलों के प्रिंसिपल को बुलाकर मीटिंग की गई है। जिसमें वेरीफिकेशन कराने के साथ ही स्कूल में विजिटर रजिस्टर बनाने के लिए कहा गया है। इस रजिस्टर को सप्ताह में एक बार चेक करके समीक्षा की जाएगी। स्कूलों को सुरक्षा के जरूरी इंतजामात करने की सूचना दे दी गई है।
स्थिति पर एक नजर थाना स्कूलों की संख्या मुट्ठीगंज 23 सिविल लाइंस 18 जार्जटाउन 24 कर्नलगंज 20 फैक्ट फाइल - स्कूल का नाम - डीपी पब्लिक स्कूल कटरा - स्टूडेंट्स की संख्या - 1500 - स्टाफ की संख्या- टीचिंग व नॉनटीचिंग स्टाफ 110 - स्कूल का नाम - ऋषिकुलम्- स्टूडेंट्स की संख्या - 2200
- स्टाफ की संख्या - टीचिंग व नॉन टीचिंग स्टाफ 80 - स्कूल का नाम- इलाहाबाद पब्लिक स्कूल, चौफटका - स्टूडेंट्स की संख्या - 2800 - स्टाफ की संख्या - टीचिंग व नॉन टीचिंग स्टाफ 80 - स्कूल का नाम - बाल भारती स्कूल - स्टूडेंट्स की संख्या - 1500 - स्टाफ की संख्या - टीचिंग व सर्पोटिंग स्टाफ 85 से 90 के करीब स्कूलों में गार्ड लगे हुए दिखते हैं। लेकिन स्कूल के अंदर क्लासेस तक पैरेंट्स को भी जाने की इजाजत नहीं है। ऐसे में पैरेंट्स को क्या पता कि स्कूल में बच्चों की सेफ्टी के लिए क्या व्यवस्था है। -मनीष कुमार स्कूल कभी पैरेंट्स की सुनने के लिए तैयार नहीं होते हैं। जो पैरेंट्स ज्यादा हल्ला करते हैं, उनकी बात तो सुन लेते है, लेकिन जो शांति से रहते हैं, उनकी स्कूलों को कोई परवाह ही नहीं होती है। ऐसे में पैरेंट्स के सामने भी मजबूरी रहती है, कि वह चुप ही रहे। आखिर बच्चों के फ्यूचर भी तो देखना है। धीरेन्द्र कुमारस्कूलों की तो मत पूछिए जनाब, सारा अनुशासन पैरेंट्स के लिए ही है। आखिर जिनके बच्चे पढ़ रहे हैं, उनसे स्कूल की सुरक्षा के बारे में क्या छिपाना। हमें ये भी नहीं पता कि बच्चों की सिक्योरिटी को लेकर स्कूल में क्या इंतजाम किए गए हैं। पूछने में भी डर लगता है, कहीं बच्चे को परेशान करना शुरू कर देंगे तो क्या करेंगे?
- मनीष हरियाणा की घटना के बाद बच्चों की चिंता तो बनी रहती है, लेकिन कर भी क्या सकते हैं। पीटीएम में भी एक लिमिटेड स्थान तक ही पैरेंट्स को जाने की इजाजत है। जबकि स्कूलों को चाहिए कि वह कम से कम इस घटना के बाद तो पैरेंट्स को अपने यहां के सुरक्षा इंतजाम के बारे में दिखाए और उनकी भी बात सुने। - संतोष गुप्ता स्कूल वालों के साथ मीटिंग करके सुरक्षा मानकों की जांच की जाएगी। इसके लिए टीम बनाई जा रही है। - सिद्धार्थ, एसपी सिटी