-माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के गठन की मांग को लेकर गरजे प्रतियोगी

-इंतजार की घडि़यां बढ़ने से बढ़ा आक्रोश

ALLAHABAD: माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के गठन की मांग को लेकर लंबे समय से प्रतियोगी संघर्ष कर रहे हैं। इसके बाद भी अभी तक चयन बोर्ड के गठन को लेकर स्थिति साफ नहीं हो सकी। ऐसे में प्रतियोगियों में भारी आक्रोश है। लंबे समय से रुकी विभिन्न भर्ती प्रक्रिया को लेकर अभी तक असमंजस की स्थिति बनी हुई है। इससे प्रतियोगी खुद को बेबस मान रहे हैं। बोर्ड के शीघ्र गठन को लेकर सोमवार को बड़ी संख्या में प्रतियोगी मोर्चा के अंतर्गत सड़क पर उतरे और प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रतियोगियों ने कहा कि 26 जनवरी से 31 जनवरी तक प्रतियोगियों ने आमरण अनशन किया था। उस समय एडीएम अतुल सिंह ने अनशन स्थल पर आकर अपर मुख्य सचिव संजय अग्रवाल से बात कराई थी। संजय अग्रवाल ने एक सप्ताह में बोर्ड के गठन का भरोसा दिलाया था। उसके बाद भी अभी तक बोर्ड का गठन नहीं हो सका।

बोर्ड के गेट पर प्रतियोगियों का ताला

बोर्ड के शीघ्र गठन की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे प्रतियोगियों ने बोर्ड के गेट पर ताला जड़ दिया। प्रतियोगियों ने कहा कि सरकार वादाखिलाफी कर रही है। सूबे में सत्ता परिवर्तन के बाद प्रतियोगियों को उम्मीद थी कि भर्ती प्रक्रियाएं सुचारू ढंग से पूरी होगी, लेकिन बोर्ड भंग होने के कई माह बीतने के बाद अभी तक बोर्ड का गठन नहीं हो सका है। इससे प्रतियोगियों का भविष्य अंधकार में है। यही कारण है कि प्रतियोगी सड़क पर उतरने को मजबूर हो गए हैं। अगर एक या दो दिन के अंदर बोर्ड का गठन नहीं किया गया तो प्रतियोगी आंदोलन को प्रदेशव्यापी करेंगे। इस मौके पर मोर्चा अध्यक्ष शेर सिंह ने कहा कि यदि सरकार अति शीघ्र चयन बोर्ड का गठन नहीं कर देती तो हम प्रतियोगी छात्र उप चुनाव का विरोध करेंगे। इसके बाद प्रतियोगी छात्र 40-40 का ग्रुप बनाकर घूम-घूमकर अपनी बात लोगों के सामने रखेंगे। इस मौके पर सुनील यादव, अंकुश यादव, अनिल कुमार पाल, भोला वर्मा, सुनील भारतीया, ओपी यादव, अजीत पटेल, धर्मेन्द्र शर्मा समेत अन्य लोग मौजूद रहे।

अटकी हैं ये भर्ती प्रक्रियाएं

- 2011 में लगभग 1800 टीजीटी व पीजीटी के पद। इनकी लिखित परीक्षा हो चुकी है। परिणाम बाकी है।

- 2016 में लगभग 9500 पद हैं, जिनकी लिखित परीक्षा होना बाकी है।

-2011 में प्रिंसिपल पदों पर कानपुर मंडल का इंटरव्यू छोड़कर हो चुका है, परिणाम रुका है।

- 2013 प्रिंसिपल पदों के साक्षात्कार की प्रक्रिया अभी तक लंबित है।

कॉलिंग

सरकार को प्रतियोगियों की अगर चिंता होती तो लंबे समय से बोर्ड के गठन की मांग को अब तक पूरा कर लिया होता। सरकार बेरोजगार प्रतियोगियों को लेकर चिंतित नहीं है।

-रोहित कुमार

जिस तरीके से प्रदेश की सरकार चयन बोर्ड के गठन को लेकर प्रतियोगियों को लगातार गुमराह कर रही है। उससे प्रतियोगियों में काफी गुस्सा है। इसका खामियाजा फूलपुर के उपचुनाव में चुकाना होगा।

-विक्की खान

बड़ी संख्या में प्रतियोगी ओवर एज होने की स्थिति में आ चुके हैं। ऐसे में सरकार की तरफ से बोर्ड के गठन में की जा रही देरी का असर प्रतियोगियों के भविष्य पर पड़ेगा।

-अनिल कुमार पाल

सरकार की तरफ से सिर्फ आश्वासन ही दिया जा रहा है। जमीन पर कोई काम नहीं दिख रहा है। अन्य बोर्ड व आयोग का गठन हो गया है तो चयन बोर्ड के गठन में देरी क्यों?

दीपक कुमार

प्रतियोगी पूरे साल कड़ी मेहनत करते हैं। लेकिन सरकारी तंत्र के लचर रवैये के कारण प्रतियोगियों का भविष्य अंधेरे में है।

-शमशेर सिंह

Posted By: Inextlive