Allahabad : मेडिकल फील्ड में लगातार हो रहे नए एक्सपेरिमेंट बेहतर इलाज में मददगार साबित हो रहे हैं. स्टेट ऑफ द आर्ट भी गैस्ट्रोएन्ट्रोलॉजी के फील्ड में ऐसी ही एक टेक्निक है जिससे सुरक्षित एवं पीड़ाविहीन इलाज संभव है. ये बातें वेदांता द मेडिसिटी न्यू दिल्ली से आए सीनियर गैस्ट्रोलॉजिस्ट डॉ. राजेश पुरी ने कही. उन्होंने कहा कि लीवर पर ज्यादा बोझ न डालें. क्योकि ये हमारी बॉडी का अहम पार्ट है. एक बार अगर लीवर डैमेज हुआ तो ट्रांसप्लांट के अलावा पेशेंट के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं रहता है. वात्सल्य हॉस्पिटल की ओर से विशेष आमंत्रण पर सिटी पहुंचे डॉ. पुरी ने प्रेस कांफ्रेस के दौरान गैस्ट्र्रोलॉजी से जुड़ी बीमारियों पर खुलकर चर्चा की. उन्होंने हेपिटाइटिस एबीसीडी और ई से जुड़ी जानकारी भी डिटेल में शेयर की. इस दौरान वात्सल्य हॉस्पिटल के प्रबंध निदेशक डॉ. नीरज अग्रवाल व हॉस्पिटल की डायरेक्टर डॉ. कीर्तिका अग्रवाल भी मौजूद रही.


हेपीटाइटिस की सिरोसिस स्टेज है खतरनाक
हेपीटाइटिस बीमारी पर चर्चा करते हुए डॉ। पुरी ने कहा कि ये एक ऐसी बीमारी है, जिसके बारे में पेशेंट को इनीसियल स्टेज पर भी पता नहीं चलता है। इसके सिमटम्स भी सिरोसिस स्टेज पर पहुंचने के बाद ही दिखाई देते हंै। इस स्टेज में पहुंचने पर हेपीटाइटिस बेहद खतरनाक स्थित में आ जाता है। आज के दौर में हेपीटाइटिस बी की वैक्सीन मौजूद है। लेकिन हेपीटाइटिस सी की वैक्सीन अभी तक मौजूद नही है। इस बीमारी से बचने के लिए सावधानी ही सबसे बेहतर उपाय है। एड्स व हेपीटाइटिस सी के होने का कारण लगभग एक जैसा ही है। हेपीटाइटिस सी के प्रति अभी भी देश में लोगों में जागरूकता की कमी है। इसके पहले डॉ। पुरी ने इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन की ओर से ऑर्गनाइज वैज्ञानिक संगोष्ठी में भी शिरकत की। उन्होंने वहां लीवर रोगों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने  कोलेस्ट्राल व अन्य फैट के कारण लीवर पर पडऩे वाले प्रभाव व उसके उपचार पर व्याख्यान दिया।

Posted By: Inextlive