नशेबाजों के लिए लक्ष्मण रेखा बनी 'यलो लाइन'
150 संस्थानों को करना है तंबाकू फ्री
40 संस्थानों को घोषित किया जा चुका है 400 संस्थान और 70 स्कूल जुड़े हैं -सरकारी और प्राइवेट संस्थानों को तंबाकू निषेध परिसर बनाने के लिए शुरू हुई प्रक्रिया PRAYAGRAJ: तंबाकू, गुटखा और बीड़ी-सिगरेट का सेवन करने वालों के लिए यलो लाइन कैंपेन लक्ष्मण रेखा साबित हो रही है। शासन के आदेश पर सरकारी और प्राइवेट संस्थानों को तंबाकू मुक्त परिसर बनाने के लिए यह कवायद शुरू की गई है। किसी संस्थान को एक बार तंबाकू मुक्त घोषित करने के बाद अगर यहां नियमों का उल्लंघन होता पाया गया तो जुर्माने की कार्रवाई की जाएगी। 150 संस्थानों को करना है टोबैको फ्रीप्रयागराज में स्वास्थ्य विभाग को कुल 150 सरकारी और प्राइवेट संस्थानों को तंबाकू मुक्त परिसर बनाना है। अभी तक 40 संस्थानों को तंबाकू मुक्त घोषित किया जा चुका है। इनमें बकायदा यलो लाइन खींचकर उस पर तंबाकू निषेध परिसर लिखा गया है। इनमें सरकारी कार्यालय, होटल, रेस्टोरेंट और कुछ मॉल्स को भी शामिल किया गया है। इस कैंपेन से जिले में 70 स्कूल और 400 संस्थान जुड़े हैं और इन्होंने तंबाकू मुक्त परिसर होने का वादा भी किया है। हालांकि इनसे अभी अंडर टेकिंग लिया जाना बाकी है।
तो ओनर की होगी जिम्मेदारीयलो लाइन कैंपेन में काम कर रही एनसीडी सेल की वर्कर डॉ। सुमनलता त्रिपाठी कहती हैं कि एक बार टोबैको फ्री परिसर घोषित होने के बाद इसका पालन ओनर की जिम्मेदारी होती है। उसे बकायदा जुर्माने की रसीद भी दी जा रही है। वह चाहे तो तंबाकू का सेवन करने वालों के खिलाफ 200 रुपए तक का फाइन ऑन स्पॉट कर सकता है। ऐसा नहीं करने पर स्वास्थ्य विभाग ओनर के खिलाफ फाइन की कार्रवाई करेगा।
वसूले गए थे 90 हजार हाल ही में विभाग की ओर से कैंपेन के तहत सिविल लाइंस एरिया में अभियान चलाकर 90 हजार रुपए का फाइन वसूला गया था। इसमें टीम ने दुकानों पर जाकर चेक किया और तंबाकू का सेवन होते पाए जाने पर जुर्माना वसूला गया। जो लोग सार्वजनिक स्थलों पर तंबाकू का सेवन कर रहे थे उनसे कम से कम 10 और अधिकतम 200 रुपए तक की वसूली गई। वर्जन यह एक बड़ा अभियान है, जिसमें हम पहले संस्थानों को अपने साथ जोड़ रहे हैं और फिर उन्हें तंबाकू निषेध परिसर घोषित किया जा रहा है। एक बार तंबाकू फ्री घोषित होने के बाद यहां तंबाकू किसी भी रूप में बैन होगी वर्ना जुर्माना होगा। -डॉ। वीके मिश्रा नोडल, एनसीडी सेल स्वास्थ्य विभाग