Allahabad : सबकी अलग-अलग भावनाएं और सबकी अलग-अलग प्रतिक्रिया. जो हाल स्टूडेंट्स का रहा वही हाल पैरेट्स का भी था. किसी ने इसे अपने कॅरियर का टर्निंग प्वाइंट बताया तो किसी ने कहा कि यही है जो अब उनके आगे की राह तय करेगा. जी हां इंडियन इंटेलिजेंस टेस्ट आईआईटी का जादू ही कुछ ऐसा रहा कि जो भी इसमें शामिल हुआ वह खुद की फीलिंग्स को आई नेक्स्ट से शेयर करने से रोक नहीं पाया. एग्जाम से पहले और एग्जाम के बाद स्टूडेंट्स ने आई नेक्स्ट से जो फीलिंग शेयर की वह काबिलेगौर रही. जानते हैं कैसा रहा स्टूडेंट्स का एक्सपीरिएंस...


हमारी कैपेबिलिटी जानने का जो बेस्ट तरीका हो सकता था, पेपर भी ठीक वैसा ही डिजाइन किया गया था। मुझे पूरा यकीन है कि हमारी एबिलिटी का आंकलन इससे बेहतर तरीके से होगा। -शिवानी, बीबीएस इंटर कालेजक्वैश्चंस कुछ इस तरह के थे कि इसे साल्व करना खुद की समझ पर ही निर्भर था। इसमें किसी की मदद ली ही नहीं जा सकती थी। मेंटल लेवल जांचने का शायद यही सही तरीका है। इससे हमें बहुत ऊर्जा मिली है।मो। मेराज शरीफ, बीबीएस इंटर कालेजहमने ग्रुप में स्टडी और एक-दूसरे से इंट्ररैक्शन किया था। यही रीजन है कि मेरा और मेरे फ्रेंडस का पेपर काफी अच्छा हुआ है। मुझे पूरी उम्मीद है कि मैं जरूर विनर की कैटेगरी के लिए सेलेक्ट होऊंगा। आकिब, बीबीएस इंटर कालेज
बेहतरीन एक्सपीरिएंस रहा। खास बात यह रही कि पेपर में इंटेलिजेंसी को बारीक से टेस्ट करने के लिए क्वेश्चन के रूप में हर पहलू को शामिल किया था।मशोराज, महर्षि पतंजलि विद्या मन्दिरएग्जाम बहुत बेहतर रहा। हमारी मेधा का आंकलन सही तरीके से हो जाए और हमें इसके जरिए फ्यूचर का रास्ता भी दिख जाए। इससे बढ़कर और क्या चाहिए।नीलेश, मां शान्ति बहुगुणा कालेज


मैने तो जितना सोच रखा था। एग्जाम उससे काफी बढ़कर रहा। मेरे लिए तो पेपर को हल करना आसान नहीं रहा। फिर भी अपनी पूरी कोशिश मैने कर दी है। अब देखना है रिजल्ट क्या आता है। वैष्णवी, महर्षि विद्या मन्दिरमुझे तो बहुत मजा आया। इससे पहले इस तरह का एग्जाम नहीं दिया था। यही रीजन है कि इसे लेकर इंट्रेस्ट भी बहुत था। मुझे पहले से कुछ और एक्सपीरियंस होता तो ज्यादा सैटिस्फैक्शन होता।अश्वनी, सेंट एंथोनी स्टूडेंट्स का फ्यूचर वाकई में ब्राइट बनाना है तो इस तरह के आयोजन होते रहने चाहिए। एडवाइज तो बहुत दी जाती है। मगर बच्चा क्या सोचता है? उसका सही आंकलन इसी तरह से किया जा सकता है। शिवांगी पांडेय, सेंट मेरीज मैं तो इस अयोजन के लिए सभी को धन्यवाद दूंगी। पेपर देखकर लगता है कि इसे तैयार करने में कितनी मेहनत की गई होगी। अब हमारी मेहनत भी साकार हो जाए तो क्या कहने। श्वेता, जीएचएसमेरा तो कई दिन और रातें इसकी तैयारी में गुजरी हैं। हमारे फ्रेंडस का भी कुछ ऐसा ही हाल है। पूरी उम्मीद है कि गु्रप एक साथ विनर बनेगा। हमारे बीच से कोई भी नम्बर वन बना तो इससे बड़ी खुशी कुछ नहीं होगी। अर्चिता, बिशप जानसन स्कूल

एग्जाम का इंतजार था। अब जब एग्जाम हो गया है तो रिजल्ट का इंतजार रहेगा। मेरे सभी साथियों में भी इसे लेकर उत्सुकता थी। एग्जाम से पहले काफी डर भी लग रहा था।अंशु, जीआईसी एप्टीट्यड टेस्ट और मल्टीपल इंटेलिजेंसी का कांसेप्ट अच्छा रहा। इससे यह आसानी से पता चल सकेगा कि स्टूडेंट्स की योग्यता क्या है और उसका रुझान किस तरफ है। जाह्नवी, सेंट मेरीज -पेपर के प्रश्न तो बेहद कठिन थे। लेकिन, इसको सॉल्व करने का एक्सपीरिएंस अच्छा रहा। रिशु तिवारी, आरआरबी-ओएमआर सीट को यूज करना अलग एक्सपीरिएंस था। ऐसा मौका पहली बार मिला। अभी तक तो सिम्पल आंसर सीट ही यूज करते थे।तनु केसरवानी, मेरी लूकस-ऐसा एग्जाम कभी नहीं दिया था। फस्र्ट टाइम ऐसे किसी एग्जाम में बैठने का चांस मिला। आगे भी ऐसे एग्जाम में जरूर बैठूंगा।अंजली सिंह, सेंट जोसफ-टाइम कम था, लेकिन जो समझ में आया वही किया। फस्र्ट टाइम ऐसे एग्जाम में बैठे तो डर भी लग रहा था। -कृतार्थ शुक्ल, बीएचएस

Posted By: Inextlive