हमका का पता कऊन खड़ा है
मुद्दा न प्रत्याशी, अखिलेश, मोदी, माया और राहुल का चला जादू
घूंघट और बुरके के भीतर से मिला जवाब तो अचकचाये जानकार vikash.gupta@inext.co.in ALLAHABAD: अबकी बार विधानसभा चुनाव का अंदाज कुछ अलग नजर आया। लोग वोट तो अपने क्षेत्र के नेता को देने पहुंचे थे, लेकिन ज्यादातर का हाल ये था कि उनमें इलाके के नेता से ज्यादा पार्टी को हराने या जिताने में दिलचस्पी थी। ओवरऑल जो लोगों का मूड नजर आया वह क्षेत्रीय नेता से ज्यादा पार्टी के लीडिंग लीडर के चेहरे पर फिदा दिखा। हमार मन चाहे जेका बोट देईकई मतदान केन्द्र ऐसे रहे, जहां पूरे दिन लगा रहा लोगों का जमावड़ा मतदाताओं से यह पूछता नजर आया अमें केका बोट देबो। इनमें जो जान पहचान के लोग थे उन्हें तो मतदाता चुपके से जवाब कान में बता दे रहे थे, लेकिन कुछ ऐसे भी रहे, जो इस सवाल पर सन्नाटा मार गये। कुछ जो हमजोली के रहे उन्हें कुछ ऐसा जवाब सुनने को मिला हमार मन चाहे जेका बोट देई तुमसे का मतलब। इनमें जो महिलायें ग्रामीण इलाकों में घूंघट या बुरके में पहुंची, अव्वल तो उनसे ऐसा सवाल पूछने से पहले ही जानकार बचते दिखे। लेकिन फिर भी जिनमें कुलबुलाहट मची रही। उन्हें उनके ही अंदाज में जवाब भी मिला।
हम तो इनका देब, उनका देब
अधिकांश इलाकों में प्रत्याशी से ज्यादा पार्टी और पार्टी के बड़े चेहरों का ही बोलबाला दिखा। इनमें कोई साइकिल, कोई कमल तो हाथी और कोई पंजे पर दांव लगाने पहुंचा। आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने भी ऐसे लोगों से बात की तो उनका जवाब आया हम तो साइकिल का देब। किसी का कहना था कि ऊ तो मोदी का जितईहें तो कोई मायावती और किसी ने सीधे राहुल गांधी का नाम लिया। इनकी तुलना में इलाकाई नेता के नाम पर वोट देने वालों की खासी कमी दिखी। इसके पीछे का कारण भी साफ पता चला। बहुत सारे प्रत्याशी ऐसे हैं। जिनका नाम चुनाव से कुछ समय पहले ही फाइनल हो पाया। ऐसे में लोगों तक उन्हें पहुंचने में भी समय लगा। ज्यादातर एरिया ऐसे भी हैं, जहां मुख्य प्रत्याशी पहुंच ही नहीं सका। ऐसे में कईयों को तो अपने प्रत्याशी की सूरत तक नहीं पता थी। प्राथमिक विद्यालय सघनगंज में वोट देने पहुंची रामकली से पूछा गया कि कब से वोट दे रही हैं तो उनका जवाब आया भईया सब दै रहे हैं तो हमऊ दै रहे हैंजीतै कउनौ हमका का करना है। इनसे पूछा गया कि क्षेत्र का प्रत्याशी कौन है तो जवाब मिला हमका का पता कऊन खड़ा है, दबाये के चले आये बस अऊर का।
देखिये क्षेत्र के मुद्दे और विकास की बात तो तब करेंगे, जब कोई प्रत्याशी को करीब से जानता हो। जो पहले जीते थे, उनसे तो कभी मुलाकात हुई नहीं जो अब खड़े हैं। उनके भी दर्शन दुर्लभ ही रहे। ऐसे में हमारे इधर तो पार्टी के नाम पर ही वोट दिया जा रहा है। रमणेन्द्र कुमार, पीजी स्टूडेंट हम का जानी कऊन खड़ा है। लोगन के कहना रहा कि बोट दे चही तो दै रहे हैं। जीतै कऊनौ, गांव के विकास होये और का चाही। हम तो केवल जेका टीबी पर देख लेईत ही, वही का जानित ही। बाकी तो सब चुनावै के बखत आवत हैं। ऊ भी घर तक आये जायें तो बहुत बड़ी बात है। रामकली, ग्रामीण महिला