100वार्ड हैं नगर निगम प्रयागराज सीमा में20वार्डों में नहीं है पानी सप्लाई पाइप लाइन1700किमी पाइप बिछी है शहर के 80 वार्डों में236384टोटल भवनों शहरी एरिया में है संख्या1845772टोटल पापुलेशन है शहरी क्षेत्र के अंदर214732कनेक्शन वाटर सप्लाई के हैं शहर में12घंटे की कुल पानी सप्लाई का है दावा11मोटर पम्पों हैं सुचारु रूप से135मिलियन लीटर रोज फिल्ट्रेशन प्लांट की है क्षमता90एमएलडी यमुना का पानी फिल्टर बाद होता है सप्लाई342बड़े व 322 मिनी नलकूप भी हैं शहर में312.00एमएलडी पानी की नलकूपों से है सप्लाई402.00एमएलडी पानी की कुल रोज होती है सप्लाई08से 10 एमएलडी पानी रोज बर्बाद होने का है विभागीय अनुमान65टैंकरों भी हैं इमरजेंसी जलापूर्ति के लिए58पानी की टंकियों में 47 से डायरेक्ट सप्लाई

प्रयागराज ब्यूरो ।क्या आप जानते हैं कि शहर में पानी का विकराल संकट उत्पन्न होने वाला है? हम और आप यदि पानी की सुरक्षा को लेकर सजग व गंभीर नहीं हुए तो एक वक्त ऐसा आएगा जब बूंद-बूंद पानी के लिए संघर्ष करना होगा। अंधाधुंध दोहन व स्वच्छ पेयजल के मिसयूज से शहरी एरिया में भू-गर्भ जल स्तर तेजी से नीचे खिसक रहा है। हालात यही रहे तो आने वाले दस से बीस वर्षों बाद हालात काफी बदतर हो जाएंगे। हम आप को यह बात डराने के लिए नहीं बता रहे। दरअसल यह एक ऐसी सच्चाई है, जिससे मुंह नहीं मोड़ा जा सकता। क्योंकि शहर में पानी की जो तस्वीर हम आप को बताने जा रहे हैं वह, भू-गर्भ जल विभाग के सर्वे व जलकल विभाग की रिपोर्ट पर आधारित है।

08 से 10 एमएलडी पानी रोज बर्बाद
सबसे पहले हम आप को शहरी एरिया में वाटर सप्लाई की स्थिति से अवगत कराते हैं। नगर निगम सीमा क्षेत्र में अब कुल 100 वार्ड हो चुके हैं। इनमें से विस्तारित एरिया के 20 वार्डों में अभी जलकल की वाटर सप्लाई पाइप नहीं है। केवल पुराने 80 वार्डों में करीब 1700 किलो मीटर की वाटर सप्लाई पानी जलकल विभाग के द्वारा बिछाई गई है। जिसके जरिए कुल 18 लाख 45 हजार 772 की आबादी को पानी की सप्लाई की जाती है। शहरी एरिया में जल कल विभाग से दो लाख 14 हजार 732 घरों में ही वाटर कनेक्शन हैं। जबकि शहर में कुल भवनों की संख्या दो लाख 36 हजार 384 बताई जाती है। जलकल विभाग द्वारा हर रोज शहर में विभिन्न माध्यमों से कुल 402 एमएलडी पानी की सप्लाई की जा रही है। चूंकि तमाम लोग निजी श्रोतों जैसे हैंड पम्प व सबमर्सिबल से भू-गर्भ जल का दोहन करते हैं। लिहाजा 402 एमएलडी की जा रही जलापूर्ति पर्याप्त होता है। इसमें भी रोज करीब 08 से 10 एमएलडी पानी पाइप लीकेज से लेकर लोगों के द्वारा मिसयूज से बर्बाद होकर नालों में बह जाता है। यह अनुमान जलकल विभाग के जिम्मेदारों का है। चूंकि सप्लाई पाइप में कहीं मीटर तो लगा नहीं लिहाजा, पानी की बर्बादी का इक्जैक्ट डाटा बता पाना विभाग के बस में भी नहीं है।


इन मोहल्लों में स्थिति है चिंताजनक
इस शहर के कई ऐसे इलाके हैं जहां पर पानी की बर्बादी और अति दोहन के कारण हालात काफी चिंता जनक हैं। भू-गर्भ जल विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार यहां ऐसे करीब एक दर्जन मोहल्ले हैं। जहां के लोग पानी सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं हुए तो स्थितियां आने वाले दिनों में काफी खराब हो जाएंगी। इन मोहल्लों में खासकर बेली अस्पताल ग्राउंंड वाटर लेवल 20.50, पीपलगांव ग्राउंंड वाटर लेवल 24.50, गल्र्स पालिटेक्निक ग्राउंंड वाटर लेवल 21.80 व न्यू कटरा ग्राउंंड वाटर लेवल 25.16, उच्चतर प्रावि न्यू कटरा ग्राउंंड वाटर लेवल 25.16, तेलियरगंज ग्राउंंड वाटर लेवल 20.60, आईईआरटी ग्राउंंड वाटर लेवल 25.30, एडीए कालोनी नैनी ग्राउंंड वाटर लेवल 22.95, सदर तहसील 25.30 और तुलापुर ग्राउंंड वाटर लेवल 22.40 मीटर डाउन हुआ है।


शहर में यहां पर है सामान्य है स्थिति
ऋषिकुल जूनियर हाई स्कूल अशोक नगर एरिया में 13.68 मीटर है ग्राउंड वाटर लेवल
श्याम लाल इंटर कॉलेज कसारी मसारी 13.09 मीटर है ग्राउंड वाटर लेवल
खुल्दाबाद में मात्र 15.75 मीटर है ग्राउंड वाटर लेवल
इसी तरह जलकल विभाग खुशरूबाग 9.40 मीटर है ग्राउंड वाटर लेवल
जूनियर हाई स्कूल उपरहार बमरौली 15.75 मीटर है ग्राउंड वाटर लेवल
इरीगेशन कालोनी गोविंदपुर 14.80 मीटर है ग्राउंड वाटर लेवल
पुलिस स्टेशन इंडस्ट्रियल एरिया नैनी 11.79 मीटर है ग्राउंड वाटर लेवल
जीजीआईसी फाफामऊ 13 मीटर है ग्राउंड वाटर लेवल
प्राइमरी स्कूल साउथ मलाका 4.65 मीटर है ग्राउंड वाटर लेवल
महर्षि वाल्मीकि इंटर कॉलेज बलईपुर 6.05 मीटर है ग्राउंड वाटर लेवल
गंगा बाल विद्या मंदिर रसूलबाद 13.35 मीटर है ग्राउंड वाटर लेवल
प्राइमरी स्कूल नीवा 3.20 मीटर पर है ग्राउंड वाटर लेवल
भू-गर्भ जल विभाग की इस रिपोर्ट के अनुसार अधिकारी इन इलाकों की स्थिति सामान्य मान रहे हैं।


जानिए पानी बर्बादी के फैक्ट्स
भूगर्भ जल वैज्ञानिकों के मुताबिक जिस एरिया की पापुलेशन जितनी अधिक घनी होगी, वहां पानी का कंजम्प्शन भी अधिक होता है, जो एरिया नदी के आसपास होंगे वहां पर अक्सर वाटर लेवल बेहतर होता है। बाजार और इंडस्ट्रियल एरिया में पानी की खपत अधिक होती है। जहां वाटर लेवल अधिक नीचे है वहां निजी सबमर्सिबल पंप, हैंडपम्प की संख्या अधिक होने के साथ पानी का मिसयूज भी ज्यादा होता है।


भू-गर्भ जल विभाग को है एक्शन का पॉवर
जलकल विभाग के अफसरों की मानें तो निजी हैंडपम्प या सबमर्सिबल अथवा अन्य स्रोतों से पानी निकाल रहे लोगों पर कार्रवाई का अधिकारी उनके पास नहीं है। कुछ वर्ष पूर्व इसके लिए जलकल से एनओसी लिए जाने का नियम था पर अब खत्म हो गया है। इसलिए विभाग के पास ऐसे लोगों के सर्वे का न तो अधिकार है और न ही संख्या। भू-गर्भ जल विभाग के अफसरों की मानें तो 28 संस्थाओं जिनमें होटल, आरओ वाटर प्लांट, हॉस्पिटल जैसी संस्थाओं को पिछले वर्ष चिन्हित किया गया था। इनमें से अधिकांश को कारण बताओ एक नहीं दो नोटिस दी जा चुकी है। अब तीसरी नोटिस जिलाधिकारी की तरफ से भेजा जाना है।


शहर में डिमांड के अनुरूप वाटर सप्लाई की जा रही है। मौजूदा समय में रोज 402 एमएलडी वाटर की सप्लाई विभिन्न माध्यमों से किया जा रहा है। कुछ एरिया में थोड़ी बहुत समस्याएं हैं, जो महाकुंभ के पूर्व पम्पिंग स्टेशन की स्थापना होने के बाद खत्म हो जाएगी। सबमर्सिबल या हैंडपम्प से पानी निकालने वालों पर कार्रवाई का अधिकार अब विभाग के पास नहीं है।
- शिवम मिश्रा, अधिशाषी अभियंता जलकल

Posted By: Inextlive