बरेली : टीन एजर्स कर रहे क्रेडिट कार्ड का मिसयूज, शो ऑफ तबाह कर रहा लाइफ
बरेली (ब्यूरो)। पैसा आज के टाइम में हर किसी की नीड बना हुआ है। हर कोई इसके पीछे भाग रहा है। इसी रेस में छोटे बच्चों से लेकर टीनएजर्स और यंग्सर्टस भी लगे हुए हैं। आज-कल लोग नीड और ग्रीड में फर्क ही नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में अपने पैरेंट्स का पैसा बिना कुछ सोचे-समझे पानी की तरह बहा रहे हैं और इसके लिए कई बार झूठ बोलने से भी नहीं कतरा रहे हैं। यहां तक कि ऐसा करके वे खुद को मेंटली इल तक बना ले रहे हैं।
पैसे कर रहे वेस्ट
डिस्ट्रिक हॉस्पिटल के मन कक्ष में कई ऐसे मामले आ रहे हैं, जहां टीनएजर्स शो ऑफ और खुद को दूसरे से सुपीरियर दिखाने के चक्कर में अपने पेरेंट्स के मेहनत से कमाए हुए पैसों को फिजूल में उड़ा रहे है। बाद में यह बोल कर बात टाल देते हैं कि हमें तो कुछ याद ही नहीं है। डॉ। आशीष ने बताया कि उनसे जब कुछ सेशन लिए गए तो पता चला कि वे झूठ बोल रहे हैं।
केस 1 :
राजेंद्रनगर में रहने वाले 15 साल के एक लडक़े ने अपने पापा के 3 लाख रुपए उनसे बिना पुछे खर्च कर दिए। जब बैंक की डिटेल्स निकाली गईं तो पता चला कि उनके अकाउंट से पैसे गायब हो गए थे। इस बारे में जब बच्चे से पूछा गया तो तरह-तरह के बहाने बनाने लग गया। उसका कहना था कि उसे कुछ याद ही नहीं है कि उसने ऐसा क्यों किया और बातों को घुमाने लग गया। इस बात को छिपाने के लिए उसने सिर दर्द और मेंटल सिकनेस करने की बात कही। इसके बाद उसके पापा उसे डिस्ट्रिक हॉस्पिटल लाए, जहां उसके कई सेशन्स हुए, जिसमें निकल कर आया कि उसे किसी तरह की प्रॉब्लम नहीं है और वह ये सब बातें सिर्फ अपनी गलती को छिपाने के लिए कह रहा है।
साइकोलॉजिस्ट डॉ। आशीष ने बताया कि उनके पास एक केस आया जिसमें 12 साल की एक लडक़ी ने अपने दोस्तों की देखा-देखी पापा के क्रेडिट कार्ड में से कई सारी चीजें उन्हें बिना बताए ऑर्डर कर ली। इसमें आईफोन के साथ ही 15-20 ड्रैसेज भी शामिल थीं। जब उसके सेशन लिए गए तो बात साममे आई कि वह शो ऑफ के चक्कर में अपने माता-पिता के कमाए हुए पैसे इस तरह खर्च कर गई।
शो ऑफ का चक्कर
लाइफ का एक अहम पार्ट दिखावा बनता जा रहा है। लोग इस वजह से अपनी फाइनेंशल कंडीशन नहीं देख रहे, बल्कि दूसरे के आगे खुद को कैसे सुपीरियर दिखाया जाए, इसमें बिलीव कर रहे हैं। जो चीज उन्हें अच्छी और सस्ती क्वालिटी की बाहर मिल सकती है, उसे अपने दोस्तों को दिखाने और शो ऑफ करने के चक्कर में अपना अकाउंट बैलेंस देखे बगैर ब्रांडेड लेने की कोशिश कर रहे हैं। इससे न सिर्फ वे अपने पैरेंट्स को ही एंबरैस कर रहे हैं, बल्कि उन्हें एक गिल्ट में भी डाल रहे हैं। हर पेरेंट्स चाहते हैं कि उनका बच्चा अच्छा पढ़े, अच्छा पहने। उसे कोई प्रॉब्लम न हो, लेकिन बच्चे कई बार ईगो पर ले लेते हैं और अपने ही माता-पिता को बुरा भला बोलने लगते हैं, जो पूरी तरह गलत है। हमें उनकी फीलिंग का ख्याल भी रखवी चाहिए।
लालच का मायाजाल
टीनएजर हो या अडल्ट हर कोई नीड और ग्रीड में फर्क ही नहीं कर पा रहे हैं और पैसों के माया जाल में फंसते चले जा रहे हैं। साइकोलॉजिस्ट डॉ। आशीष ने बताया कि युवाओं को हर चीज शॉर्टकट के जरिए चाहिए होती है। लाइफ में जब कोई आगे बढऩे के लिए मेहनत नहीं करना चाहता है तो शॉर्टकट अपनाता है। यह सिर्फ पढ़ाई-लिखाई तक सीमित नहीं रह गया है।
बच्चों को समझना चाहिए कि उनके इस काम से पेरेंट्स पर कितना असर पड़ता है। अस्पताल में कुछ सेशन लेकर इस बात का पता लगा कि वे दूसरों के आगे अपनी लाइफ को अच्छा दिखाने के लिए अपने पैरेंट्स को धोखा दे रहे हैं।
-डॉ। आशीष, साइकोलॉजिस्ट
-डॉ। खुशअदा, साइकोलॉजिस्ट