-बरेली में लगातार बढ रहा है डिप्थीरिया का प्रकोप

फैक्ट एंड फिगर

16- डिप्थीरिया के मरीज इस साल अभी तक मिल चुके हैं

3-बच्चे फरीदपुर सीएचसी से इलाज कराने के बाद हुए स्वस्थ

3-बच्चों की डिप्थीरिया से हो गई मौत

22- केस डिप्थीरिया के 2019 में आए थे सामने

93-परसेंट वैक्सीनेशन का काम जिले में हो चुका है पूरा

बरेली:

बरेली में डिप्थीरिया का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। यह रोग जेड सब्दलपुर के आसपास के गांव में अधिक फैलता जा रहा है। जिला अस्पताल में भी इस रोग से पीडि़त 5-6 बच्चे आ चुके हैं, वहीं अच्छी बात यह कि फरीदपुर सीएचसी से इलाज कराने के बाद तीन स्वस्थ भी हो चुके हैं। इस बीमारी से बचने के लिए सावधानी रखना आवश्यक है.अस्पताल के ईएनटी डॉ। एल सक्सेना ने बताया कि डिप्थीरिया एक गंभीर बैक्टीरियल संक्त्रमण होता है, जो नाक और गले की श्लेष्मा झिल्ली को प्रभावित करता है। डिप्थीरिया आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है, लेकिन दवाएं लेने और सावधानी बरतने से बचा जा सकता है।

डिप्थीरिया के लक्षण

शुरूआती चरणों में डिप्थीरिया को गला खराब, हल्का बुखार और ग्रंथियों में सूजन इसके शुरुआती लक्षण होते हैं। डिप्थीरिया में विषाक्त पदार्थ व्यक्ति की नाक, गले या सांस लेने वाली नलिकाओं में एक मोटी परत बनाते हैं, जबकि अन्य संक्त्रमणों में गला खराब होता है और ऐसी कोई परत नहीं बनती। यह परत आमतौर पर ग्रे या काले रंग की होती है जिससे सांस लेने में दिक्कत और निगलने में कठिनाई हो सकती है। यह बीमारी टॉवेल या खिलौने एवं संक्त्रमित घाव को छूने से भी डिप्थीरिया हो सकता है। अगर किसी व्यक्ति को डिप्थीरिया बैक्टीरिया से संक्त्रमण हुआ है और उनका इलाज नहीं किया जाता है, तो कोई लक्षण नजर न आने के छह सप्ताह तक भी वे किसी डिप्थीरिया के प्रति संवेदनशील असक्त्रंमित व्यक्ति में बीमारी फैला सकते हैं।

संपूर्ण वैक्सीनेशन जरूरी

जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ। आरएन सिंह ने बताया कि इस साल अभी तक 16 डिप्थीरिया के मरीज मिले हैं। जिसमें से सब्दलपुर गांव में जिन तीन बच्चों की डिप्थीरिया से मौत हुई थी। वह विरोधी परिवार था उनके यहां बच्चों को इसका टीका नहीं लगाया गया था। सर्वे में पता लगाया गया था कि यह तीनों ही बच्चे 5 साल के ऊपर के थे। वहां आसपास टीकाकरण कराया जा रहा है। अब तक जिले में 93त्‍‌न वैक्सीनेशन पूरा हो चुका है। 2019 में 22 केस डिप्थीरिया के सामने आए थे। अगर किसी परिवार में या जानने वाले किसी व्यक्ति को डिप्थीरिया है या उसके लक्षण हैं या डिप्थीरिया होने का खतरा है, तो तुरंत अपने डॉक्टर के पास जाएं। इंफेक्शन खत्म करने के लिए डीएस इंजेक्शन लगाया जाता है। बच्चों को प्रतिरक्षा के लिए डेढ़ माह, ढाई माह, साढे तीन माह, 16 से 24 माह पर बूस्टरफर्स्ट, दूसरा बूस्टर 5 साल पर, 10 साल पर टीडी, आखरी टीका 16 साल की उम्र में में लगाया जाता है।

डिप्थीरिया के कारण क्या होते हैं

तीन तरह के बैक्टीरिया डिप्थीरिया फैला सकते हैं। हालांकि, हर प्रकार के बैक्टीरिया अलग तीव्रता से डिप्थीरिया करता है। बैक्टीरिया एक प्रभावशाली विषाक्त पदार्थ बनाता है जिससे शरीर के ऊतकों को नुकसान पहुंचता है। आमतौर पर यह बैक्टीरिया गले की सतह पर या उसके आस-पास ब?ता है।

तीन तरीकों से फैलता है --

हवा में मौजूद संक्त्रमित कीटाणु:

जब कोई व्यक्ति छींकता या खांसता है, तो हवा में कीटाणुओं से संक्त्रमित पानी की छोटी बूंदें ?ैल जाती हैं और आस-पास मौजूद लोग इन्हें सांस से शरीर के अंदर ले लेते हैं। डिप्थीरिया सबसे ?्यादा इसी तरीके से फैलता है, खासकर भी? वाली जगहों में। कभी-कभी संक्त्रमित व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल की गई वस्तुओं को छूने से या उनके झूठे बर्तन में खाने व पीने से डिप्थीरिया फैल सकता है।

क्या कहना है लाभार्थी का --

फरीदपुर सीएचसी के एमओआईसी डॉ। बासित अली ने बताया कि इस माह डिप्थीरिया बीमारी से ग्रसित 3 बच्चे गंभीर हालत में सीएचसी में भर्ती हुए थे जो एक घूंट पानी भी नहीं निगल पा रहे थे समय पर इलाज मिलने से वह बच्चे स्वस्थ होकर डिस्चार्ज हो चुके हैं। फरीदपुर निवासी नीरज ने बताया कि उनकी 7 वर्षीय बेटी झलक को गले में दर्द था और पानी भी नहीं निगल पा रही थी उन्होंने उसको सीएससी में भर्ती किया उसके बाद उसकी हालत में धीरे-धीरे सुधार हुआ और अब वह बिल्कुल ठीक है। वहीं पप्पू ने बताया कि उनकी बेटी स्वाति को बहुत जगह दिखाया लेकिन उसके गले में लाभ नहीं हो रहा था गला बहुत दर्द कर रहा था शरीर को सीएचसी में दिखाया तो वहां उसका पूरा इलाज हुआ अब ठीक है।

Posted By: Inextlive