चालान से लगा चूना तो डीएल बना दोगुना
- 2019 में डीएल बनवाने का बढ़ा क्रेज, बीते साल में बने 35713 हजार डीएल
GORAKHPUR: टै्रफिक रूल्स की अगर बात करें तो 2019 में इसमें भी काफी बदलाव आए। जिससे पब्लिक ना चाहते हुए भी अवेयर हो गई। अब ट्रैफिक नियमों को तोड़ने के बाद लगने वाले चालान को ही देख लिजिए। पहले चालान बहुत ही नॉमिनल था तो इसकी परवाह भी पब्लिक को जरा भी नहीं थी। पब्लिक के अंदर चालान को लेकर कभी कोई डर नहीं रहता था। वे रूल्स को तोड़कर हंसते-हंसते चालान की रकम जमा करा देते थे। लेकिन 2019 में इसी चालान को दोगुना कर दिया गया तो आरटीओ में लंबी-लंबी कतार लग गई। हर कोई अपने डॉक्युमेंट सही कराने में लग गया। जिसका नतीजा ये रहा कि 2018 के मुकाबले 2019 में दोगुने डीएल आरटीओ में बनाए गए। बने 55441 लर्निग डीएलपहले जैसे-तैसे काम चलाने वाली पब्लिक चालान के डर से रूल्स को फॉलो करने लगी है। इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि जहां 2018 में 28419 हजार लर्निग और 17284 हजार परमानेंट डीएल बनाए गए थे। वहीं 2019 में चालान के खौफ के कारण 35713 हजार परमानेंट और 55441 लर्निग डीएल बनाए गए। इसके साथ ही बीते साल में 906 नॉन गेयर डीएल बनाए गए। आरटीओ के 2019 आकड़े बयां कर रहे हैं कि 2018 के मुकाबले करीब दोगुने अधिक डीएल बनाए गए।
कागज से कार्ड तक का सफर पहले आरटीओ में कागज वाले डीएल बनाए जाते थे, जिसमें आसानी से फर्जीवाड़ा हो जाता था। सूत्रों की मानें तो काफी लोग 30-50 रुपए में फर्जी डीएल बनवाकर अपना काम चलाते थे। चेकिंग होने पर यही कागज दिखाकर वे बच निकलते थे। लेकिन कार्ड वाले डीएल में फर्जीवाड़ा कर पाना आसान नहीं है। कार्ड वाले डीएल में एक चिप लगी रहती है। जिसके जरिए डीएल धारक की सारी डिटेल इंडिया में कहीं भी निकल सकती है। इससे आरटीओ और ट्रैफिक पुलिस को भी चेकिंग में आसानी हो गई। अब तो पॉल्युशन भी रखते जेब में चालान की मार किस तरह पब्लिक पर पड़ी है, इसका अंदाजा यूं ही लगाया जा सकता है कि पहले गोरखपुर में शायद ही किसी के पास पॉल्युशन सर्टिफिकेट हुआ करता था। लेकिन जब 2019 में पॉल्युशन सर्टिफिकेट ना होने पर कई गुना चालान का प्रावाधान बना तो लोग धूप में घंटों खड़े होकर इसे बनवाने लगे। 55 की उम्र में याद आया डीएलआरटीओ में इस समय 55 साल तक के आवेदकों की संख्या भी ठीक-ठाक है। डेली टेस्ट के लिए आने वाले डीएल आवेदकों में 55 से अधिक उम्र के लोग भी अब डीएल बनवाने आ रहे हैं। इससे पहले भगवान भरोसे इनका काम चल रहा था।
डीएल की डेट के लिए वेट हालत ये थी कि डीएल के आवेदकों की संख्या बढ़ने के कारण पहली बार ऐसा हुआ कि टेस्ट के लिए डेट ही नहीं मिल पा रही थी। कई लोगों को डेट मिल भी रही थी तो डेढ़ से दो महीने तक की थी। 2018 में बने डीएल लर्निग डीएल- 28419 परमानेंट डीएल-17284 2019 में बने डीएल लर्निग डीएल- 55441 परमानेंट डीएल- 35713 नॉन गेयर डीएल- 900 वर्जन बीते साल में डीएल बनवाने वालों की संख्या बहुत रही। इसके कारण दो-दो महीने तक की डेट टेस्ट आवेदकों को मिल रही थी। श्याम लाल, आरटीओ प्रशासन