देभ भर में राम नाम की गूंज है. हर कोई भगवान राम के जीवन आदर्शों का स्मरण कर रहा है. गोरखपुर यूनिवर्सिटी में राम के महान चित्रण का गुणगान करने वाले कबीर को जोड़ा गया है.


गोरखपुर (ब्यूरो)। गोरखपुर यूनिवर्सिटी के इंग्लिश डिपार्टमेंट के एओडी डॉ। अजय कुमार शुक्ला के नेतृत्व में अश्विनी कुमार 'कबीर के राम शीर्षक पर रिसर्च कर रहे हैं। रिसर्च में संत कबीर के राम के निर्गुण एवं सगुण दोनों पक्षों पर अपने दोहों के माध्यम से प्रकाश डाला गया है। जिसमें राम को मुक्ति दाता कहा गया है। इसमें राम के प्रति भाव को व्यक्त करने वाले दोहे का रिसर्च में प्रयोग किया गया है। रिसर्च में राम के प्रति कबीर के विचारों पर प्रकाश डाला है। इसमें कबीर के विचार में राम एक चरित्र हैं, मर्यादा हैं, एक संस्कृति हैं जो कि आज के युग में हर मानव को सही मार्ग पर ले जाते हैं। कबीर ने सब को राम नाम की लूट में लग जाने को कहा है।सनातन धर्म तक सीमित नहीं श्री राम


कबीर के काव्यों का विश्लेषण करते हुए रिसर्च में बताया जाएगा कि राम केवल सनातन धर्म तक ही सीमित नहीं हैं। वे संपूर्ण विश्व के लिए कल्याण का मार्ग हैं। उनकी उपासना करें या न करें, उनके आचरण को धारण करें। संसार अपने आप सुखी हो जाएगा। क्योंकि राम किसी भी धर्म, मजहब, भाषा संस्कृति और सभ्यता की दीवारों से परे हैं।दोहों से स्नेह

कबीर ने राम में अपनी निष्ठा को लगभग सैकड़ों दोहों में दिखाया है। जिस पर शोध में गहन अध्ययन किया जाएगा। इसमें कबीर ने राम के प्रति स्नेह को दर्शाया है।एक राम का सकल पसारा, एक राम त्रिभुवन से न्यारा। तीन राम को सब कोई धयावे, चतुर्थ राम को मर्म न पावे।चौथा छाडि़ जो पंचम ध्यावे, कहे कबीर सो हम को पावे। बार- बार राम बोलने का महत्वरिसर्च में बताया गया कि कबीर राम को घट- घटवासी मानते हैं। उनके दोहों में प्रभु के लिए बार-बार राम शब्द का प्रयोग किया जाना यह दर्शाता है कि वे राम और ईश्वर को अलग नहीं मानते थे। रिसर्च में बताया जाएगा कि राम हर एक कालखंड में सभी के द्वारा स्वीकार्य हैं, चाहे निर्गुण हो या सदगुण। सगुण राम की उपस्थिति ही निर्गुण राम की परिकल्पना की जन्मदात्री है।राम नाम को वैश्विक स्तर पर ले जाने का पहलरिसर्च के सुपरवाइजर अजय कुमार शुक्ला ने बताया कि अंग्रेजी साहित्य में कबीर के राम के ऊपर कोई शोध कार्य नहीं हुआ है। अंग्रेजी में हो रहे इस शोध कार्य के माध्यम से कबीर के विचारों एवं राम की महिमा को वैश्विक स्तर पहुंचाने का कार्य किया जाएगा।

कबीर के दोहे हमेशा श्रीराम को समर्पित थे, जिसकी व्याख्या इस रिसर्च के माध्यम से की जाएगी। इंग्लिश लिट्रेचर में इस टॉपिक पर कभी रिसर्च वर्क नहीं हुआ है।- प्रो। अजय कुमार शुक्ला, एचओडी, इंग्लिश डिपार्टमेंट इंग्लिश डिपार्टमेंट के स्टूडेंट्स बहुत एक्टिव रहते हैं, ऐसे में कबीर के राम पर रिसर्च करना बहुत अच्छी बात है। अयोध्या में राम मंदिर बनने के बाद इस विषय का महत्व पहले से भी बढ़ गया है।प्रो। पूनम टंडन, वीसी, गोरखपुर यूनिवर्सिटी

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