गोरखपुर जिला अस्पताल परिसर में 1.30 करोड़ रुपए की लागत से तैयार हुआ सीनियर सीटिजन वार्ड एमआरआई भवन और प्लास्टिक सर्जरी भवन सालों से शुरू नहीं हो सका. यह भवन सफेद हाथी साबित हो रहे हैं. इसमें पैसे तो बेइंतेहा खर्च हो गए हैं लेकिन इसका फायदा अब तक लोगों को नहीं मिल पाया है. शासन ने 12 साल पहले प्लास्टिक सर्जरी वार्ड तैयार कराया लेकिन चालू नहीं होने की वजह से इसकी उम्र पूरी हो चुकी है. संसाधन और मैनपॉवर के लिए लगातार प्रपोजल भेज गए लेकिन उसे शुरू नहीं किया जा सका है. यह भवन भूतबंगला में तब्दील होता जा रहा है.


गोरखपुर (सुनील त्रिगुणायत).सर्जरी वार्ड -2008 में शासन स्तार पर जिला अस्पताल में 45 लाख 10 हजार की लागत से सर्जरी वार्ड निर्माण कार्य शुरू हुआ।-2010 में कार्यदायी संस्था सीएनडीएस ने जिला अस्पताल प्रशासन को हैंडओवर की थी बिल्डिंग -प्लास्टिक सर्जरी और स्टाफ के इंतजार में बीत गए 12 साल, देखरेख के अभाव में जर्जर हो गई बिल्डिंग -प्लास्टिक सर्जरी वार्ड में बेड संख-6 मानव संसाधन के लिए भेजी गई थी डिमांड -प्लास्टिक सर्जन-01मेडिकल ऑफिसर-02एनेस्थिस्टिक-02स्टाफ नर्स-14वार्ड ब्वाय-10स्वीपर-06काउंसलर-01ओटी असिस्टेंट-01अस्पताल का एमआरआई भवन -जिला अस्पताल में एमआरआई जांच के लिए डेढ़ साल पहले 97 लाख रुपए की लागत से भवन तैयार हुआ।-2018 में जिला अस्पताल परिसर में भवन निर्माण का कार्य शुरू -फरवरी 2021 में भवन बनकर तैयार -जिला अस्पताल प्रबंधन ने जब एमआरआइ माश्ीन के लिए प्रमुख सचिव से बात की तो उन्होंने उसकी उपयोगिता पर उठाए सवाल


-एमआरआइ के लिए केवल 10 से 15 मरीजों की संख्या -प्रमुख सचिव ने कहा था कि मरीजों की इतनी कम संख्या पर 70 करोड़ रुपए की मशीन लगाने का कोई औचित्य नहीं है। -बीआरडी मेडिकल कॉलेज एमआरआइ सेंटर पर कराई जाए मरीजों की जांच सीनियर सिटीजन वार्ड में लटका ताला

-सीनियर सिटीजन की सुविधा के लिए एनएचएम की की ओर से आठ लाख रुपए की लागम से परिसर में वार्ड तैयार किए गए-यह वार्ड आधुनिक सुविधाओं से लैंस हैं-यहां आधुनिक मशीनें लगाई गई हैं जो हार्ट बीट व बीपी की रीडिंग करता है-मानव संसाधन नहीं होने की वजह से बंद पड़ा है वार्ड टीएमटी व इको मशीन खराब एक साल से खराब है टीएमटी व इको मशीन -हृदय मरीजों की जांच के लिए लगाई गई मशीन -मशीन खराब होने की वजह से कक्ष में लटका है ताला अस्पताल में मानव संसाधन की काफी कमी है। जिसकी वजह से भवन चालू नहीं किए गए। कई बार प्रस्ताव भेजे गए, लेकिन अभी तक इस पर विचार नहीं किया जा सका है। वहीं जांच मशीन नहीं मिले की वजह से भी दिक्कत आई है। शासन से मंजूरी मिलने की बाद सुविधाएं बहाल कर दी जाएंगी। - डॉ। राजेंद्र ठाकुर, एसआईसी जिला अस्पताल

Posted By: Inextlive