GORAKHPUR : हाईटेक एरा और हाईटेक टेक्नोलॉजी बावजूद इसके पानी और ब्लड दो ऐसे कंपोनेंट हैं जिसका सब्सटीट्यूट आज तक नहीं बन सका और न बन पाएगा. यह दोनों ही कुदरत की ऐसी देन है जिसके बिना ह्यूमन लाइफ की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. एक तरफ जहां ब्लड बॉडी के लिए जरूरी है वहीं पानी बॉडी के साथ ही यूनिवर्स को बैलेंस करने में इंपॉर्टेंट रोल प्ले करता है. यह बातें शेयर की टीएम यूनिवर्सिटी भागलपुर से आए प्रो. एसपी रॉय ने जो यूनिवर्सिटी में 'वॉटर' टॉपिक पर ऑर्गेनाइज वर्कशॉप में बतौर गेस्ट लेक्चरर आए हुए थे.


जरूरी है वॉटर साइकिलवॉटर की इंपॉर्टेंस को शेयर करते हुए उन्होंने बताया कि बॉडी में ब्लड की जरूरत तो फूड मैटेरियल आदि पूरी कर देते हैं, लेकिन लगातार होने वाली पानी की कमी को दूर करना काफी मुश्किल है। इसके लिए जरूरी है वॉटर साइकिल का पूरा होना, लेकिन लगातार ताल और पोखरों को पाटने की वजह से न सिर्फ वॉटर कंजर्वेशन नहीं हो पा रहा है बल्कि इसके इवापोरेशन प्रॉसेस पूरी न होने की वजह से वॉटर साइकिल भी कंप्लीट नहीं हो पा रही है। अगर पानी की क्राइसिस से बचना है तो वॉटर साइकिल को मेनटेन करना ही होगा। लगातार यूज हो रहा है ग्राउंड वाटर


पानी की बात करें तो पीने के लिए ग्राउंड वाटर ही सेफ है, लेकिन जिस तरह से इसका यूज हो रहा है, इसकी क्राइसिस होना भी तय है। अब जरूरत है तो ग्राउंड वाटर को रीचार्ज करने की। इसके लिए वॉटर हारवेस्टिंग का बड़े पैमाने पर यूज किया जा रहा है, लेकिन सिर्फ इससे काम चलने वाला नहीं है। इसके लिए जरूरी है कि रेन हार्वेस्टिंग के साथ ही ताल और पोखरे को भी बचाया जाए, क्योंकि टोटल वॉटर का 98 परसेंट पानी तालाब, झील और पोखरों में ही है, बाकि का 2 परसेंट वॉटर ही सर्कुलेट होता है।

कैसे बचाएं पानी?प्रो। रॉय ने बताया कि पानी को बचाना न सिर्फ जरूरी बल्कि मजबूरी भी है, अगर इसको बचाया नहीं गया तो ह्यूमन लाइफ का एग्जिस्टेंस ही नहीं रह पाएगा। इसके लिए रेन हार्वेस्टिंग तो जरूरी है ही साथ ही जैव विविधता का संरक्षण करना होगा। सिर्फ इतना ही नहीं वॉटर साइकिल पूरी करने के लिए जितने भी पॉसिबल हो सकें पेड़ लगाने होंगे। वहीं वेट लैंड का भी संरक्षण करना होगा जिससे वॉटर क्राइसिस दूर की जा सके।पानी के लिए होगी वल्र्ड वार

प्रो। रॉय ने बताया कि अगर अब भी आदमी एक्टिव नहीं हुआ और उसने पानी को सेफ रखने के लिए कुछ नहीं किया, तो आगे खतरनाक रिजल्ट्स भुगतने होंगे। सदी के लास्ट तक पानी के लिए वल्र्ड वार होगी, वहीं पानी पर सेक्योरिटी फोर्सेज का पहरा होगा। जिसके पास पानी होगा, वह ही सबसे पॉवरफुल होगा। यही नहीं मौजूदा वक्त में इंडिया के कई स्टेट्स में वॉटर क्राइसिस है। राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और गुजरात में तो लोग पानी के लिए तरस रहे हैं। यहां पर नहाना धोना तो दूर पीने के लिए भी साफ पानी काफी मुश्किल से मिल रहा है। राजस्थान की बात करें तो यहां पर जमीन के 400 मीटर नीचे तक पानी नहीं है। वहीं अजमेर में तो लोगों को हफ्ते में एक बार ही पानी मिलता है। वहां के लोगों में वॉटर क्राइसिस की वजह से किडनी की बीमारियां हो रही है, इससे कई लोगों की मौत भी हो चुकी है।

Posted By: Inextlive