- क्षमा, मेल-मिलाप, सहायता और त्याग का फेस्टिवल है गुड फ्राइडे

- सैटर्डे को निकलेंगी झांकियां, संडे को मनेगा ईस्टर

GORAKHPUR : बुराई पर भलाई, अन्याय पर न्याय, घृणा पर क्षमा और असत्य पर सत्य की जीत के पर्व गुड फ्राइडे को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। क्रिश्चियन कम्युनिटी के लोग पिछले करीब फ्8 दिन से चर्च में प्रभु यीशु से विशेष प्रार्थना कर रहे हैं। गुड फ्राइडे से पहले चालीस दिनों तक संयम और व्रत का पालन करते हैं। गुड फ्राइडे के दिन विशेष पूजा-अर्चना के लिए प्लानिंग की जा रही है।

सैटर्डे को निकाली जाएंगी झांकियां

सेंट जॉन चर्च, बशारतपुर के पादरी रेब्ह। संजय विनसेंट बताते हैं कि हर साल की तरह इस बार भी गुड फ्राइडे के बाद सैटर्डे रात क्ख् बजे से विभिन्न जगहों से झांकियां निकाली जाएंगी। पादरी बाजार, धर्मपुर, खरैया पोखरा, राप्तीनगर, सूड़ीबाग, खंजाची आदि जगहों से झांकियां निकाली जाएंगी। संडे को ईस्टर सेलिब्रेट किया जाएगा। मंडे को सेंट जॉन स्कूल, बशारतपुर प्ले ग्राउंड में मेला भी ऑर्गनाइज किया जाएगा।

ब्0 दिन तक चलता है उपवास

ईसाई धर्म का अनुसरण करने वाले गुड फ्राइडे से पहले चालीस दिनों तक संयम और व्रत का पालन करते हैं। इस अवधि को बोलचाल की भाषा में 'चालीसा' कहते हैं। यह चालीसा काल साल में एक बार आता है। डॉ। एसके लारेंस बताते हैं कि त्याग, तपस्या, उपवास, परहेज तथा प्रायश्चित के इन ब्0 दिनों की शुरुआत जिस दिन होती है, उसे 'राख बुध' कहा जाता है। इस दिन पादरी सभी श्रद्धालुओं के माथे पर राख मलते हुए कहते हैं, ' हे मनुष्य, तू मिट्टी है और एक दिन मिट्टी में ही मिल जाएगा.' यह जीवन की नश्वरता की याद दिलाता है, ताकि मनुष्य अपना समय अच्छे कार्य और व्यवहार में लगाए। इन दिनों में वे यीशु के जीवन पर मनन-चिंतन करते हैं और उसका आध्यात्मिक अर्थ समझने की कोशिश करते हैं। पूरे संयम के साथ दिन बिताने के बाद वे अपने गलत कार्यो और भूलों के लिए यीशु से क्षमा मांगते हैं।

क्या है गुड फ्राइडे

ईसाई धर्मग्रंथों के अनुसार जिस दिन ईसा मसीह ने प्राण त्यागे थे, उस दिन शुक्रवार था और इसी की याद में गुड फ्राइडे मनाया जाता है, लेकिन अपनी मौत के तीन दिन बाद ईसा मसीह पुन: जीवित हो उठे थे और उस दिन रविवार था। इस दिन को ईस्टर सण्डे कहते हैं। गुड फ्राइडे को होली फ्राइडे, ब्लैक फ्राइडे या ग्रेट फ्राइडे भी कहते हैं। इस दिन ईसा ने क्रॉस पर अपने प्राण त्यागे थे। निर्दोष होने के बावजूद जब उन्हें क्रॉस पर लटका कर मारने का दंड दिया गया तो उन्होंने सजा देने वालों को उलाहना नहीं दी, बल्कि प्रार्थना करते हुए यह कहा कि 'हे ईश्वर इन्हें क्षमा कर, क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं.' गोरखपुर कैथोलिक चर्च के बिशप थॉमस थुरुथिमट्टम बताते हैं कि गुड फ्राइडे को बुराई पर भलाई, अन्याय पर न्याय, घृणा पर क्षमा और असत्य पर सत्य की जीत का पर्व कहा जाता है।

Posted By: Inextlive