जेल में बढ़ गई तादाद, कैसे काबू करें हालात
-बैरकों के भीतर बंदियों में वर्चस्व की लड़ाई
-माफिया गुटों के इकट्ठा होने से बढ़ रही प्रॉब्लम GORAKHPUR: जिला पुलिस के अभियान से माफिया, गुंडों और बदमाशों की भीड़ जेल में बढ़ती जा रही है। वीआईपी और कुख्यात बंदियों की भीड़ बढ़ने से जेल अधिकारियों के सामने सुरक्षा व्यवस्था को दुरुस्त रखने की चुनौती खड़ी हो गई है। माफिया गुटों के आमने-सामने होने से बवाल की आशंका बढ़ती जा रही है। पूर्व में हुई घटनाओं को देखते हुए जेल प्रशासन हालात से निपटने का दावा कर रहा है। हालांकि गुटबाजी और विवाद की आशंका वाले बंदियों पर शिकंजा कस पाना आसान नहीं है। जेल अधिकारियों का कहना है कि कुख्यात बंदियों की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है। उनसे मिलने जुलने वालों का ब्यौरा तैयार कराया जा रहा है। पांच संवेदनशील जेलों में शामिल गोरखपुरप्रदेश की संवेदनशील जेलों में मंडलीय कारागार गोरखपुर पांचवें नंबर है। इसलिए यहां की सुरक्षा व्यवस्था तीन लेवल में की गई है। बंदियों से मुलाकात के लिए पहुंचने वाले लोगों के साथ-साथ बंदी रक्षकों की तलाशी कराई जाती है। इसके बाद भी सबको जेल में इंट्री करने का नियम बनाया गया है। तलाशी के लिए मेन गेट पर डेढ़ सेक्शन पीएसी तैनात रहती है। पीएसी के अलावा रोजाना निगरानी के लिए एक सीओ, दो सब इंस्पेक्टर और एक महिला कांस्टेबल की पुलिस लाइन से दो शिफ्टों में ड्यूटी लगाने की व्यवस्था है। 13 अक्टूबर 2016 को बुजुर्ग बंदी की मौत के बाद जेल की सुरक्षा व्यवस्था सवालों में घिर गई थी। जेल में कैदी की मौत के बहाने बंदियों ने जमकर बवाल काटा था।
पहले भी कई बार हो चुके हैं हमले जेल में बंदियों की गुटबाजी से आपस में मारपीट की घटनाएं होती रहती हैं। एक दूसरे पर वर्चस्व के लिए बंदी गुटबाजी करते हैं। कई बार बैरकों में उनके बीच मारपीट होने की घटनाएं सामने आती हैं। बंदियों की गुटबाजी में रोड़ा अटकाने पर उनके इरादे खतरनाक हो जाते हैं। किसी न किसी बहाने बंदियों से जुड़े बदमाश जेल अधिकारियों और कर्मचारियों पर हमले कराकर दबदबा कायम करने का प्रयास करते हैं। जेल में सख्ती बरतने पर जेल अधिकारियों और कर्मचारियों पर हमले हो चुके हैं। जेल अधिकारियों को जानमाल की धमकी मिलना आम बात है। जेल से जुड़े लोगों का कहना है कि वरिष्ठ जेल अधीक्षक, जेलर और डिप्टी जेलर को पुलिस की सुरक्षा मुहैया कराई जानी चाहिए। जेल में ये हैं बंदबीआरडी मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत होने के मामले में सस्पेंड प्रिसिंपल डॉ। राजीव मिश्र, उनकी पत्नी डॉ। पूर्णिमा शुक्ला, डॉ। कफील खान सहित सभी नौ आरेापी जेल में बंद हैं। इनके अलावा पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी, ब्लाक प्रमुख सुधीर सिंह और उनके गैंग के सदस्य, माफिया प्रदीप सिंह, गोपाल यादव, संजय यादव, डब्लू उर्फ कामेश्वर सिंह, चंदन गैंग के बदमाश, रंजीत चौधरी, अभिषेक यादव उर्फ भोलू, मोनू दुबे, डा। तुषार लुहार सहित कई लोग बंद हैं। जेल प्रशासन से जुड़े लोगों का कहना है कि दूसरी जेलों से कई खूंखार बंदियों को शिफ्ट कर गोरखपुर भेजा गया है। ऐसे में जेल की सुरक्षा व्यवस्था को दुरुस्त रखना बड़ी चुनाैती है।
ये हो चुके हैं हमले के शिकार 27 जुलाई 2016: जेल में बंदियों के दो गुटों के बीच मारपीट हुई। विवाद सुलझाने गए जेलर पर बंदियों ने जानलेवा हमला कर दिया था। बैरक बदलने का दबाव बनाते हुए बंदियों ने आपस में मारपीट कर ली थी। 13 अक्टूबर 2016: जेल में 129 मोबाइल फोन बरामद करने से गुस्साए बंदियों ने जमकर बवाल काटा। कैदी की मौत के बहाने बंदियों ने पूरी जेल पर कब्जा कर लिया। दो बंदी रक्षकों को बैरक में खींचकर जानलेवा हमला किया। डीआईजी और वरिष्ठ जेल अधीक्षक को बंधकन बनाकर अपनी मांगे मंगवाई।05 मार्च 2015: जेल के वाच टावर नंबर तीन पर रात में ड्यूटी कर रहे बंदी रक्षक देवेंद्र को असलहा सटाकर बदमाशों ने कपड़े उतरवा लिए। एक माफिया के इशारे पर बदमाशों ने वारदात को अंजाम दिया।
15 मार्च 2015: जेल में बंद माफिया प्रदीप सिंह और विनोद उपाध्याय के गुट के बंदी आपस में भिड़े। काफी मशक्कत के बाद उनको काबू किया जा सका। 08 दिसंबर 2014: जेल में सख्ती बरतने पर डिप्टी जेलर राजेश सिंह के घर में घुसकर बदमाशों ने हमला किया। लूटपाट करके बदमाश फरार हो गए। अलग-अलग गुटों में बंटे बंदियों के बीच टकराव की आशंका रहती है। इसको ध्यान में रखते हुए पहले से ज्यादा सतर्कता बरती जा रही है। कुछ बंदियों को यहां से दूसरी जगह शिफ्ट किया जाएगा। इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। जेल अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ पूर्व में हुई घटनाओं को देखते हुए भी सबको सजग किया है। आरके सिंह, जेलर