गोरखपुर में कम हो गए 'भगवान'
-गोरखपुर की चिकित्सकीय स्वास्थ्य व्यवस्था बेपटरी पर, चार हजार लोगों पर एक डॉक्टर
-जिले में लगातार बढ़ती जा रही आबादी, नहीं बढ़ रहे डॉक्टर्स >GORAKHPUR: गोरखपुर की स्वास्थ्य व्यवस्था बद से बदतर है। स्थिति यह है कि यहां तो चार हजार लोगों पर एक डॉक्टर है। यह स्थिति तब है, जब इसमें प्राइवेट डॉक्टरों को भी शामिल किया गया है। सरकारी अस्पतालों के बेडों की स्थिति तो और बदतर है। 36 सौ लोगों पर एक बेड है, जबकि राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 में सरकारी अस्पतालों में प्रति 1000 व्यक्तियों पर दो बेड की योजना बनाई गई है।सरकार की उदासीनता के कारण ही ग्रामीण इलाके के लोगों को लखनऊ, दिल्ली आदि बड़े शहरों में इलाज कराना पड़ता है। सिर्फ इतना ही नहीं डॉक्टर्स की कमी के चलते मरीजों के ऊपर आर्थिक बोझ भी बढ़ जाता है। आराम न मिलने और पूरी नींद न मिलने से उनका चिड़चिड़ापन बढ़ रहा है।
शहर में अस्पताल नर्सिग होम व प्राइवेट हॉस्पिटल --327 प्राइवेट मेडिकल क्लीनिक --199 अल्ट्रासाउंड सेंटर्स--222 सरकारी अस्पताल में बेडों की स्थिति मेडिकल कॉलेज में बेड -950 जिला अस्पताल में बेड--305 जिला महिला अस्पताल में बेड --202 -------------------- सरकारी अस्पताल में डॉक्टर्सअस्पताल पद नियतन उपलब्धता
जिला अस्पताल डॉक्टर 18 14 महिला अस्पताल डॉक्टर 93 35 स्वास्थ्य विभाग डॉक्टर 293 233 बीआरडी मेडिकल कॉलेज में वर्तमान में सीनियर व जूनियर डॉक्टर्स--350 रजिस्ट्रड निजी डॉक्टर --650 ---------------- गोरखपुर की आबादी--52,84,589 पुरुष--27,43,568 महिला--25,41,021 --------------- बीआरडी में डॉक्टरों की ड्यूटी -वार्ड में भर्ती मरीजों को देखना -प्रतिदिन वार्ड का राउंड लेना -अस्पताल में आने वाले मरीजों को भर्ती करना -मरीजों का ऑपरेशन करना -एमबीबीएस स्टूडेंट्स को पढ़ाना -स्टूडेंट्स को क्लीनिकल के लिए ट्रेंड करना -राष्ट्रीय प्रोग्राम में अहम भूमिका अदा करना -संस्था का पूरा कार्य देखना -इमरजेंसी की भी जिम्मेदारी -प्रशासनिक कार्य -वीवीआईपी व इमरजेंसी ड्यूटी ---------------- यह आती है समस्या -कम डॉक्टर्स के चलते मरीजों का अधिक लोड -सुरक्षा की समस्याएं -डॉक्टर्स के रहने की सबसे बड़ी समस्या -सभी पर प्रशासनिक कार्य का बोझ-डॉक्टर्स की कमी के चलते आए दिन अस्पताल में बनी रहती है टकराव की स्थिति
-ज्यादा ड्यूटी होने से डॉक्टर्स को घर जाने की नहीं मिलती है छुट्टी -प्रोग्राम में ड्यूटी होने से काम का अतिरिक्त बोझ पड़ता है -ड्यूटी का अधिक बोझ होने से डॉक्टर्स को आराम नहीं मिल पाता है। -वीवीआईपीज व इमरजेंसी ड्यूटी का अतिरिक्त बोझ ----------------------- कोट जनता को डॉक्टर्स का सम्मान व विश्वास करना जरूरी इस पेशे में बढ़ती व्यवसायिकता पर डॉक्टर चिंतित है। जनता को भी डॉक्टर्स का सम्मान व विश्वास करना होगा। डॉक्टर धरती पर भगवान का दूसरा रूप होते हैं। भगवान तो हमें एक बार जीवन देता है। पर डॉक्टर हमारे अमूल्य जीवन को बार-बार बचाता है। यहीं एक पेशा है जहां दवा और दुआ का अनोखा संगम देखने को मिलता है, इंसान को भगवान भी यहीं बनाया जाता है। डॉक्टर्स ने मानव जाति के लिए बहुत समर्पण किया है। आज भी हमारे भारत में डॉक्टर्स का विशेष आदर सत्कार होता है। आधुनिक युग में डॉक्टर्स की मांग और भी बढ़ गई है। डॉक्टर के इसी समर्पण और त्याग को याद करते हुए एक जुलाई का दिन भारत में राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस के रूप में मनाया जाता है। डॉ। रामरतन बनर्जी, होमियोपैथिक चिकित्सक