- निर्वाचन विभाग के नाम से सोशल मीडिया पर वायरल किए जा रहे हैं भ्रमित करने वाले पोस्ट

-भ्रम में न पड़ें मतदाता, चुनाव में अपनी मर्जी के उम्मीदवार का ही करें चयन

GORAKHPUR: यूपी में लगातार बदल रहे चुनावी समीकरण को देखते हुए राजनैतिक पार्टियों के हाथ-पांव फूलने लगे हैं। लिहाजा इस बार विधान सभा चुनाव में अपनी नैया पार लगाने के लिए तमाम तरह के दांव-पेंच आजमाए जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर अफवाहों को फैलाना भी इनमें से एक है। इस कड़ी में ईवीएम मशीनों और चुनाव आयोग को भी मोहरा बना लिया जा रहा है। ईवीएम मशीनों में खराबी होने की बातें खूब फैलाई जा रही हैं। आई नेक्स्ट हर वोटर को अवेयर करता है कि वह इन अफवाहों के जाल में न फंसे।

वायरल हो रही फर्जी सूचना

इन दिनों फेसबुक, वॉट्सअप और ट्विटर आदि पर फर्जी पोस्ट जमकर पोस्ट शेयर हो रही है। इसमें लिखा है कि 'एक आवश्यक सूचना: चुनाव आयोग ने जारी किए निर्देश। वोट डालने से पहले कमल का बटन दबाकर चेक कर लें कि मशीन ठीक है या नहीं। इस पोस्ट को अधिक से अधिक शेयर करें'। इसको पढ़कर तमाम मतदाता भ्रमित हो जा रहे हैं। कुछ लोग तो इसे वॉट्सअप ग्रुप और फेसबुक पेजेज पर शेयर भी कर रहे हैं।

जनहित में जारी कर दे रहे पोस्ट

इतना ही नहीं कई पोस्ट में तो ईवीएम मशीनों की खराबी चेक करने के लिए निर्वाचन विभाग की ओर से जनहित में सूचना की फर्जी पोस्ट भी की जा रही है। इस वजह से इन पोस्ट्स को सोशल मीडिया पर इन दिनों खूब शेयर भी किया जा रहा है। जानकारों के मुताबिक इस तरह के पोस्ट्स से काफी अधिक संख्या में वोटर्स भ्रमित हो सकते हैं और इससे वोटर्स में भ्रम फैलाकर एकतरफा मतदान की कोशिश की जा रही है।

वायरल कराने के दे रहे पैसा

सोशल मीडिया के एक्सप‌र्ट्स के मुताबिक राजनैतिक पार्टियां इस तरह के पोस्ट पैसे देकर वायरल करा रहीं हैं। जानकारों का मानना है कि कम समय में अधिक से अधिक लोगों तक किसी भी सूचना को फैलाने के लिए सोशल मीडिया से बेहतर अन्य कोई साधन नहीं है। ऐसे में इस तरह के पोस्ट से लोग खूब भ्रमित हो रहे हैं।

खूब चल रहा फर्जी मैसेज का खेल

1- चुनाव आयोग की ओर से अधिसूचना 4 जनवरी को जारी की गई, लेकिन नवंबर महीने से ही सोशल मीडिया पर फर्जी पोस्ट के जरिए चुनाव की डेट कई बार घोषित कर दी गई।

2- अधिसूचना जारी होने के बाद 16 जनवरी की देर शाम भाजपा ने अपने प्रत्याशियों की लिस्ट जारी की, लेकिन सोशल मीडिया पर दिन में दो बार प्रत्याशियों की फर्जी लिस्ट जारी हो चुकी थी।

इस तरह के फर्जी पोस्ट को मेन्यूपुलेटिंग कहा जाता है। इसमें स्पैमर के जरिए तमाम तरह के फर्जी मैसेज बनाकर लोगों के बीच अफवाह फैलाई जाती है। इसके लिए ई-मेल माकेटिंग, वॉट्सअप प्रमोटिंग, बल्क एसएमएस, सोशल मीडिया ऑप्टीमाइजेशन के जरिए यूजर्स का ध्यान पोस्ट की ओर आकर्षित किया जाता है। इसके लिए स्पैमर को प्रति मैसेज व्यू के मुताबिक पैसे मिलते हैं। पोस्ट वायरल कराने का पहले ही ठेका तय हो जाता है। लेकिन यह पूरी गलत है। साइबर सेल के जरिए ऐसे पोस्ट को तत्काल ट्रेस किया जा सकता है और पोस्ट करने वाले कानूनी कार्रवाई के दायरे में आते हैं।

-यासिर अम्मार, साइबर एक्सपर्ट

आप भी रहिए सावधान

- चुनाव आयोग या निर्वाचन विभाग की ओर से सोशल मीडिया पर नहीं जारी होता कोई निर्देश।

- इलेक्शन कमीशन की वेबसाइट पर अपडेट रहते हैं चुनाव आयोग के सभी निर्देश।

- आयोग की वेबसाइट पर जाकर चेक कर सकते हैं कि पोस्ट सही है या गलत।

- गलत पोस्ट मिलने पर उसे डिलीट कर दें और पुलिस में इसकी कंप्लेन दर्ज करा सकते हैं।

- गलत पोस्ट शेयर करने पर हो सकती है सख्त कार्रवाई, जाना पड़ सकता है जेल

चुनाव आयोग या निर्वाचन आयोग की ओर से इस तरह के कोई पोस्ट नहीं किए जाते। यह पूरी तरह फेक पोस्ट है। आयोग की ओर से जारी सभी निर्देश आयोग की बेवसाइट पर अपडेट होते हैं। मतदाता इस तरह के पोस्ट पर कतई ध्यान न दें। अगर किसी पार्टी की ओर से इस तरह के पोस्ट के जरिए गलत अफवाह फैलाई जा रही है तो इसकी जांच कराकर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

- संध्या तिवारी, जिला निर्वाचन अधिकारी

Posted By: Inextlive