असेंबली इलेक्शन को शांतिपूर्ण संपन्न कराने के लिए पुलिस ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रही है. इसमें सबसे अहम लाइसेंसी असलहों को जमा कराने की चुनौती. जिससे इलेक्शन के दौरान इनका दुरुपयोग न हो सके. लगातार नोटिस के बाद भी लोग असलहे जमा नहीं कर रहे हैं. अब तक महज 30 फीसदी असलहाधारकों ने अपेन अपने असलहे जमा कराए हैं. असलहा जमा न करना पड़े इसके लिए तरह-तरह के हथकंडे और जुगाड़ लगाए जा रहे हैं.

कानपुर(ब्यूरो)। असेंबली इलेक्शन को शांतिपूर्ण संपन्न कराने के लिए पुलिस ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रही है। इसमें सबसे अहम लाइसेंसी असलहों को जमा कराने की चुनौती। जिससे इलेक्शन के दौरान इनका दुरुपयोग न हो सके। लगातार नोटिस के बाद भी लोग असलहे जमा नहीं कर रहे हैं। अब तक महज 30 फीसदी असलहाधारकों ने अपेन अपने असलहे जमा कराए हैं। असलहा जमा न करना पड़े इसके लिए तरह-तरह के हथकंडे और जुगाड़ लगाए जा रहे हैं। इसके लिए शस्त्र धारक सिक्योरिटी एजेंसीज और सर्राफा कारोबारियों की शरण में पहुंच गए हैैं। सिक्योरिटी एजेंसी वालों से सेंटिंग-गेटिंग कर सिक्योरिटी गार्ड का फर्जी प्रमाण पत्र ले रहे हैं। ऐसे कई मामले पकड़ में आने के बाद पुलिस अधिकारियों ने सिक्योरिटी एजेंसीज पर भी सख्ती करनी शुरू कर दी है।

थाने में चल रहा सेटिंग का खेल
पुलिस के मुताबिक जांच में सामने आया है असलहाधारकों ने जिन सिक्योरिटी एजेंसी के लेटर लगाए हैं वो सालों पहले बंद हो चुकी हैैं। और तो और इनका रजिस्ट्रेशन भी खत्म हो गया है। पुलिस की जांच में ये बातें सामने आने पर जब जांच हुई तो पता चला कि शस्त्र धारक किसी न किसी प्रत्याशी के बहुत करीबी थे। पुलिस ने ये कहकर इन प्रार्थनापत्रों को खारिज कर दिया कि दोबारा अगर ये सामने आए तो डीएम ऑफिस में लाइसेंस निरस्त कराने की रिपोर्ट भेजी जाएगी।

30 प्रतिशत असलहे ही जमा
कमिश्नरेट के 33 थानों में और आउटर के 11 थानों में मिलाकर 42,500 लाइसेंसी शस्त्र हैैं। आचार संहिता लागू होने के बाद से अब तक केवल तीस प्रतिशत ही लाइसेंसी शस्त्र जमा हो पाए हैैं। अगर कमिश्नरेट और आउटर की तुलना की जाए तो आउटर में कमिश्नरेट की अपेक्षा ज्यादा लाइसेंसी शस्त्र जमा हो चुके हैैं। कमिश्नरेट में लगभग तीन हजार लाइसेंसी शस्त्र धारकों को शस्त्र जमा करने के लिए नोटिस जारी किया जा चुका है। पुलिस कमिश्नर विजय सिंह मीना ने बताया कि बीट पुलिसकर्मियों को लाइसेंसी हथियार जमा कराने की जिम्मेदारी दी गई है। इसमें किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

इन लोगों को मिलेगी असलहा रखने की छूट
- फर्म का कैश लाने और ले जाने वालों को।
- एटीएम बूथ में ड्यूटी करने वाले गाड्र्स को
- बैैंक ड्यूटी करने वाले सिक्योरिटी गाड्र्स को।
- निजी फैक्ट्री में काम करने वाले सिक्योरिटी गाड्र्स
- एटीएम वैन के साथ चलने वाले सिक्योरिटी गाड्र्स
- सर्राफा कारोबारी जो मोटा कैश या सोना-चांदी लेकर चलते हैैं।
- जिनको जान का खतरा है, थाने की रिपोर्ट लगवाकर।
- जिनकी रंजिश चलती है, थाने की रिपोर्ट लगवाकर।


असलहा जमा न करने का ये है तरीका
जिस संस्थान में आप काम करते हैैं। ïïïवहां से सत्यापित कराने के बाद प्रार्थना पत्र संबंधित थाने से वेरिफाई कराया जाता है। संबंधित थाने से सत्यापन के बाद पुलिस अधिकारी आपको चुनाव के दौरान शस्त्र रखने की अनुमति देता है। इसके लिए आपको एक बंध पत्र देना होता है जिसमें लिखा होता है कि अगर जान का खतरा हुए बिना आपके शस्त्र से अगर कोई फायर होता है तो उसके लिए आप जिम्मेदार होंगें। हर्ष फायरिंग नहीं करेंगे।

नियम तोडऩे पर लाइसेंस कैंसिल
पुलिस कमिश्नर विजय सिंह मीना ने बताया कि अगर शस्त्र की वास्तव में आवश्यक्ता है तो उसके लिए आवेदन करें, शस्त्र जमा नहीं किया जाएगा। अगर बेवजह शस्त्र पाया जाएगा, हर्ष फायरिंग में इस्तेमाल किया जाएगा या किसी प्रत्याशी के साथ शस्त्र लेकर चलते हुए पाया जाएगा तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।


असेंबली इलेक्शन को देखते हुए शस्त्र जमा कराए जा रहे हैैं। सभी से मेरी अपील है कि अपने अपने लाइसेंसी शस्त्र जमा कर दें, जिससे आपको कोई असुविधा न हो।
विजय सिंह मीना, पुलिस कमिश्नर, कानपुर कमिश्नरेट

Posted By: Inextlive