अस्थाई कनेक्शन के नाम पर केस्को में लंबा गोलमाल
-अस्थाई कनेक्शन की समय-सीमा खत्म होने के बावजूद कनेक्शन काटने की बजाए मिलीभगत करके होती रहती है पॉवर सप्लाई
-यूपीपीसीएल, लखनऊ हेडऑफिस से एसपी की अगुवाई में आई विजिलेंस टीम ने मारी थी निर्माणाधीन 3 मल्टीस्टोरी में रेड - तीनों ही बिल्डिंग में अस्थाई कनेक्शन की समय-सीमा खत्म होने के 7-8 महीने बाद भी की जा रही थी पॉवर सप्लाई -एसपी ने इन मामलों में सीधे तौर पर एक्सईएन को ठहराया जिम्मेदारKANPUR: ·¤केस्को को सबसे ज्यादा चपत उसके ही अधिकारी और कर्मचारी लगा रहे हैं। इंजीनियर्स की मिलीभगत से जमकर बिजली चोरी हो रही है। बिजली के अस्थाई कनेक्शन के नाम पर केस्को इम्प्लाई लंबा गोलमाल कर रहे हैं। अस्थाई कनेक्शन की समय सीमा खत्म होने के बावजूद अधाधुंध बिजली जलाने की खुली छूट दी जा रही है। चाहे वह मल्टीस्टोरी ही क्यों न हो? इससे केस्को के खजाने को मोटी चपत लग रही है। केस्को अधिकारी हर साल लाखों के वारे न्यारे कर अपनी जेबें भरने में लगे हैं। इसका खुलासा लखनऊ से आई यूपीपीसीएल की विजिलेंस टीम की रेड रिपोर्ट से हुआ है।
हर साल हजारों कनेक्शनकेस्को में हर साल हजारों की संख्या में अस्थाई कनेक्शन होते हैं। अस्थाई कनेक्शन का पॉवर टैरिफ डोमेस्टिक से काफी ज्यादा होता है। आमतौर ये अस्थाई घर, मल्टीस्टोरी, फैक्ट्री आदि के निर्माण व फंक्शन व अन्य कार्यो के लिए लोग लेते हैं। 25 किलोवाट तक के अस्थाई कनेक्शन संबंधित एरिया के एक्सईएन, 25 से 75 किलोवॉट तक के कनेक्शन संबंधित सर्किल के जीएम(सुपरिटेंडेंट इंजीनियर) और 75 किलोवॉट से अधिक का अस्थाई कनेक्शन केस्को एमडी स्तर पर रिलीज किया जाता है।
विजिलेंस ने पकड़ा एक्सईएन का खेललखनऊ हेडऑफिस से आई विजिलेंस की टीम ने पिछले साल जून में अचानक सिंहपुर, बैरी अकबरपुर व कछार बिठूर में बन रही 3 मल्टीस्टोरी में रेड मारी थी। एसपी विजिलेंस ज्ञानेश्वर तिवारी के द्वारा केस्को को भेजी गई रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 18 जून को अरुण कुमार अग्रवाल के आराजी संख्या 65 कछार बिठूर, एसबीएम डेवलपर्स के 302 बैरी अकबरपुर और अतुल मित्तल के 658 में बनवाई जा रही बिल्डिंग में रेड मारी गई। इन बिल्डिंग्स के निर्माण कार्य के लिए क्रमश: 24, 25 और 20 किलोवॉट के अस्थाई कनेक्शन लिए गए थे। लेकिन अस्थाई कनेक्शन की समय सीमा खत्म होने के बावजूद महीनों तक निर्माणाधीन बिल्डिंग्स में बिजली का यूज किया जा रहा था। जिससे केस्को का लाखों रुपए का नुकसान होता रहा। एसपी ज्ञानेश्वर तिवारी ने अपनी रिपोर्ट के लिए इसके लिए सीधे तौर पर तत्कालीन विकास नगर के एक्सईएन एके गौतम को जिम्मेदार ठहराया है। केस्को के सोर्सेज की मानें तो अस्थाई कनेक्शन दिए जाने से खेल की शुरुआत हो जाती है। कनेक्शन के नाम पर मोटी वसूली की जाती है। घर, दुकान, फैक्ट्री, बिल्डिंग बनाने की मजबूरी में लोग केस्को इम्प्लाइज की डिमांड पूरी करने को मजबूर हो जाते हैं। फिर अपना फायदा देख अस्थाई कनेक्शन की समय-सीमा खत्म हो जाने के बावजूद बिजली के अधाधुंध यूज की छूट दी जाती है। इससे केस्को के खजाने में तो बिल के रूप में मिलने वाला रेवेन्यू नहीं आता है। लेकिन इम्प्लाई इसका भरपूर फायदा उठाते हैं।
रजिस्टर में रखते हिसाब केस्को इम्प्लाइज की मानें तो हर एक अस्थाई कनेक्शन की रिलीज डेट और उसकी समय-सीमा का हिसाब हर डिवीजन में रखा जाता है। हर महीने खासतौर पर अस्थाई कनेक्शन की समय-सीमा खत्म होने पर पैनी निगाहें रखते हैं। जैसे ही अस्थाई कनेक्शन की समय- सीमा खत्म होती है, वैसे ही कुछ दिनों बाद केस्को इम्प्लाइ निर्माणाधीन बिल्डिंग में पहुंचकर सेंटिंग-गेटिंग का खेल शुरू कर देते हैं। भले ही इससे केस्को के खजाने को कितना ही नुकसान क्यों न हो रहा हो? । इनके यहां हुई थी विजिलेंस की रेड केस-क् नाम- अतुल मित्तलपता- म्भ्8 सिंहपुर कछार
अस्थाई कनेक्शन लोड- ख्0 किलोवॉट कनेक्शन लिया गया- क्8-7-ख्0क्ख् समय सीमा- फ् महीने के लिए विजिलेंस रेड - क्9-म्-ख्0क्फ् रिजल्ट- चलता मिला कनेक्शन केस-ख् नाम-मेसर्स एसबीएम डेवलपर्स केयर ऑफ- सुधीर कुमार गुप्ता पता- आराजी संख्या- फ्0ख् बैरी अकबरपुर अस्थाई कनेक्शन लोड- ख्भ् किलोवॉट कनेक्शन लिया- फ्0-8-ख्0क्ख् समय सीमा- ख्9-क्क्-ख्0क्ख् विजिलेंस रेड- क्8-म्-ख्0क्फ् रिपोर्ट- चलता मिला कनेक्शन- केस-फ् नाम- अरुण कुमार अग्रवाल पता- आराजी संख्या म्भ् टी कछार बिठूर अस्थाई कनेक्शन लोड- ख्ब् किलोवॉट कनेक्शन लिया गया-क्फ्-म्-ख्0क्क् समय सीमा- क्ख्-म्-ख्0क्फ् विजिलेंस रेड- क्8-म्-ख्0क्फ् रिपोर्ट-चलता मिला कनेक्शन (डिटेल, विजिलेंस टीम की रिपोर्ट के मुताबिक है) -अस्थाई कनेक्शन की समय-सीमा खत्म होने के बाद पॉवर सप्लाई नहीं की जानी चाहिए। अभी तक विजिलेंस की रिपोर्ट नहीं पढ़ी, पढ़कर आगे की कार्रवाई की जाएगी। - एसएन बाजपेई, एडवाइजर केस्को अस्थाई कनेक्शन देने की पॉवर ख्भ् किलोवॉट तक एक्सईएन ख्भ् से 7भ् किलोवॉट तक सुपरिटेंडेंट इंजीनियर 7भ् किलोवॉट से अधिक ।