- सिटी में कोरोना इंफेक्शन के कंट्रोल होते ही डेंगू होने लगा बेकाबू, सिटी में लगातार सामने आ रहे हैं केस

-कोरोना से निपटने में व्यवस्त स्वास्थ्य महकमे ने डेंगू से निपटने को नहीं किए कोई इंतजाम, अलग वार्ड भी नहीं

-सरकारी टेस्टिंग में पहली बार आर टीपीसीआर जांच की बजाय रैपिड कार्ड टेस्टिंग पर फोकस, 1400 कार्ड खरीदे

KANPUR: इस साल मार्च से शुरू हुआ कोरोना वायरस का संक्रमण काबू में आता दिख रहा है। रिकवरी रेट 90 परसेंट के ऊपर पहुंच चुका है वहीं नए केसेस की रफ्तार भी बिल्कुल धीमी पड़ गई है। जिससे प्रशासन के साथ डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टाफ को बड़ी राहत मिली है। लेकिन, इसी दौरान मच्छरों के प्रकोप के कारण डेंगू के डंक ने प्रशासन का सिरदर्द बढ़ा दिया है। डेंगू के केसेस भी लगातार सामने आ रहे हैं। कोरोना को काबू करने में जुटे स्वास्थ्य महकमे का ध्यान डेंगू के बढ़ते प्रकोप पर गया ही नहीं।

अलग वार्ड नहीं

मेडिकल कॉलेज के एलएलआर हॉस्पिटल में इस बार डेंगू पेश्ेांट्स को के लिए कोई अलग वार्ड नहीं बना। ज्यादातर डेंगू पीडि़त पेशेंट्स प्राइवेट हॉस्पिटल्स में भर्ती हुए। डेंगू के केसेस बढ़ने पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से उर्सला अस्पताल में इंतजाम किए जाने के दावे हो रहे हैं। इसी के तहत पहली बार सिटी में स्वास्थ्य विभाग की ओर से डेंगू की पहचान के लिए रैपिड कार्ड टेस्टिंग पर जोर दिया जा रहा है।

रैपिड कार्ड टेस्टिंग पर फोकस

डेंगू के बढ़ते प्रकोप के बीच पहली बार स्वास्थ्य विभाग की ओर से डेंगू की पुष्टि के लिए एंटीजेन रैपिड कार्ड टेस्ट को प्राथमिकता दी जा रही है। बीते सालों में हमेशा ही हेल्थ डिपार्टमेंट की ओर से डेंगू के रैपिड कार्ड टेस्ट को नकारा जाता था और मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायोलॉजी लैब की आरटीपीसीआर जांच में पॉजिटिव आने पर ही आधिकारिक तौर पर डेंगू की पुष्टि की जाती थी। वहीं इस बार हेल्थ डिपार्टमेंट की ओर से कानपुर में 1400 रैपिड कार्ड खरीदे गए हैं। जिसमें से 400 के करीब रैपिड कार्ड उर्सला हॉस्पिटल को जांच के लिए दिए गए हैं। फ्राईडे को रैपिड कार्ड के जरिए जांच शुरू भी हो गई। 5 सस्पेक्टेड पेशेंट्स की रैपिड कार्ड से जांच की गई।

प्लेटलेट्स की भारी किल्लत

सिटी में जितनी तेजी से डेंगू के केसेस बढ़ रहे हैं उतनी ही प्लेटलेट्स की डिमांड भी बढ़ी है, लेकिन सरकारी ब्लड बैंक इस डिमांड को पूरा नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि इनमें पहले से ही ब्लड की कमी है। फ्राईडे को ही जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज ब्लड बैंक में प्लेटलेट्स मात्र 27 यूनिट थी। जबकि उर्सला में प्लेटलेट्स यूनिट की संख्या 32 थी। आईएमए के चैरिटेबल ब्लड बैंक में भी प्लेटलेट्स की डिमांड बढ़ी है,लेकिन उस रेशियो में प्लेटलेट्स उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं।

लार्वासाइडल स्प्रे का छिड़काव नहीं

कोरोना को काबू करने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से इस बार 1500 के करीब टीमें लगाई हैं। इस बीच डेंगू के प्रकोप की अनदेखी हो गई। वेक्टर बार्न डिसीज प्रोग्राम के तहत हर साल इस सीजन में घर घर सर्वे अभियान और लार्वासाइडल स्प्रे का छिड़काव शुरू हो जाता था, लेकिन अधिकतर जगहों पर इस बार ऐसा नहीं हो सका है। जिसकी वजह से मच्छरों का प्रकोप बढ़ा है। खुद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी इस कमी को मानते हैं, लेकिन अब इस पर फोकस बढ़ाने की बात भी कहते हैं।

डेंगू के लक्षण-

- तेज बुखार, सिरदर्द, पीठ में दर्द, शुरू में जोड़ों में भी दर्द रहता है

- ब्लड प्रेशर कम होना शरीर का टेम्प्रेचर 104 डिग्री तक हो जाना

- आंखें लान होना, गले के पास सूजन आना, यह शुरुआती 2 से 4 दिन में होता है

- इसके बाद बीच में कुछ आराम होता है, लेकिन फिर बॉडी टेम्प्रेचर बढ़ता है

- हथेली और पैर लाल होने लगते हैं। यह स्थिति खतरनाक होती है

-इस स्थिति में पेशेंट डेंगू हेमेरेजिक स्टेज में पहुंचने लगता है।

ऐसे करें बचाव-

- यह मच्छरों से फैलने वाली बीमारी है। इसलिए जहां रहें वहां मच्छरों से बचाव के मुकम्मल इंतजाम करें।

- घर में पानी जमा न होने दें, शरीर को ढक कर रखें, रात में सोते वक्त मच्छरदानी का प्रयोग करें

- बुखार दो दिन से ज्यादा हो तो खुद इलाज करने की बजाय सीधे डॉक्टर को दिखाएं, प्लेटलेट्स काउंट पर भी नजर रखें

- यह एक तरह का वायरल इंफेक्शन होता है। जिसमें एंटीबायोटिक दवा की भी जरूरत नहीं होती,सिर्फ पैरासीटामॉल दवा ही काफी होती है

''कोरोना के साथ ही अब डेंगू नियंत्रण पर भी फोकस बढ़ाया है। डेंगू की पहचान जल्द हो सके इसके लिए रैपिड कार्ड टेस्ट की सुविधा भी शुरू की गई है। डेंगू के प्रकोप को नियंत्रित करने में जल्द सफलता मिलेगी.''

- डॉ.अनिल मिश्रा, सीएमओ कानपुर नगर

Posted By: Inextlive