kanpur: इस बिजी लाइफ में कानपुराइट्स अपनी आंखों की देखभाल को लेकर बेहद बेपरवाह हो गए हैं. शॉकिंग फैक्ट ये है कि खुद के साथ-साथ अपने बच्चों के मामले में भी उनका लापरवाह रवैया सामने आ रहा है. इस बात का खुलासा पिछले दिनों एक बड़े आई केयर सेंटर और आईएमए द्वारा सिटी के दो दर्जन से ज्यादा स्कूलों के बच्चों का आई चेकअप करने के बाद हुआ. स्कूल में 8 से 16 साल की उम्र के बच्चों में लगभग 36 परसेंट में आंखों की कोई न कोई प्राब्लम सामने आई.


आउटडोर गेम हुए कम, टीवी के सामने ज्यादाआई एक्सपट्र्स का कहना है कि बच्चों में आंखों से रिलेटेड प्राब्लम बढऩे के लिए सबसे बड़ी वजह माडर्न लाइफ स्टाइल और पेरेंट्स का उनके लिए कम समय निकाल पाना है। माडर्न लाइफ स्टाइल में सबसे पहले टीवी, कंप्यूटर, लैपटॉप और मोबाइल फोन का यूज हद से ज्यादा करना है। पेरेंट्स के साथ बातचीत न हो पाने के कारण बच्चे टीवी शोज देखकर अपना समय बीताते हैं। जिसकी वजह से उनकी आंखों की रोशनी पर बेहद खतरनाक असर पड़ रहा है।क्योंकि आंखें हैं अनमोल


सीनियर आई सर्जन डॉ। आलोक गहलोत ने बताया कि आंखें किसी भी व्यक्ति के लिए अनमोल हैं। आंखों से ही व्यक्ति इस बाहरी दुनिया की खूबसूरती को देख पाता है। लेकिन आमतौर पर लोग आंखों की केयर नहीं करते हैं, जो बेहद खतरनाक साबित होता है। यही वजह है कि सिटी में आंखों से रिलेटेड बीमारियों के पेशेंट्स बढ़ रहे हैं।सिर्फ सोच बदलने की जरूरत है

डॉक्टर्स के मुताबिक हैक्टिक लाइफ स्टाइल ही पब्लिक की आंखों की दुश्मन बन रही है लेकिन अगर हम सभी सोच बदल लें तो चीजें आसान हो जाएंगी। डॉ। आलोक बताते हैं कि प्राइवेट सेक्टर में जॉब करने वाले लगभग 200 लोगों की केस हिस्ट्री से चौकाने वाली बात सामने आई। इनमें से ज्यादातर लोगों ने आई साइड के चश्में बनवा रखे थे लेकिन लापरवाही के चलते लगभग 70 लोग चश्मे का यूज प्रॉपरली नहीं कर रहे थे, जिसकी वजह से उनका विजन दिन पर दिन और भी ज्यादा खराब होता गया। इसलिए बेहद जरूरी है कि हम अपनी सोच बदलकर अपनी आंखों को भी उसी तरह से ट्रीट करें और ध्यान रखें जैसे अपने खाना खाने का ध्यान रखते हैं।अवेयरनेस से ही कुछ हो सकता हैडॉ। आलोक ने बताया कि आंखों की रोशनी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए रेगुलर बेसिस पर अवेयरनेस प्रोग्राम आर्गनाइज किए जा रहे हैं। बहुत हद तक सफलता मिली है। लेकिन अभी भी टारगेट ऑडियंस से पीछे हैं। अवेयरनेस प्रोग्राम के जरिये सिटी के लोगों को आंखों से रिलेटेड बीमारियों के बारे में जानकारी दी जा रही है। साथ ही उनसे बचने के उपाय भी बताए जा रहे हैं। इसके अलावा वर्कशॉप लगाकर कर ऐसे टिप्स दिए जाएंगे जिनका यूज करने से आंखों की बीमारी न हो।---------इम्पार्टेंट फैक्ट-आईएमए और बड़े आई केयर सेंटर ने अलग-अलग स्तर पर लगभग 38 स्कूलों में सर्वे किया था।

-स्कूल में पढऩे वाले 8 से 16 साल की उम्र के बच्चों में 36 परसेंट बच्चों में आंखों से रिलेटेड कोई न कोई प्राब्लम सामने आई।-माडर्न एरा में बच्चे आउटडोर गेम खेलने के बजाय टीवी, कंप्यूटर, लैपटॉप और मोबाइल पर ज्यादा वक्त बिता रहे हैं।-एलईडी लाइट्स की रोशनी में जरूरत से ज्यादा समय तक सम्पर्क में रहने से बढ़ रहा है खतरा

Posted By: Inextlive