मोबाइल पर बात करने में सबको बहुत मजा आती है. पर क्या आपको ये मालूम है कि आपके आसपास लगे मोबाइल टॉवर्स यानि आपके ‘पड़ोसी’ वाकई खतरनाक हैं.


इन टॉवर्स से निकलने वाला रेडियशन सेहत के लिए अच्छा नहीं है। हाईकोर्ट ने रेजीडेंशियल एरिया में 300 मीटर के दायरे में मोबाइल टॉवर न लगाने का आदेश दिया है, मगर सिटी में तो अपार्टमेंट्स में ही नहीं घर, नर्सिंगहोम, कॉलेज तक में टॉवर लगे हुए हैं। सारे नियम-कानून को ताक पर रखकर लगाए गए इन मोबाइल टॉवर्स की वजह से कई एरियाज में स्टैंडर्ड से 2 से 3 गुना तक रेडिएशन है। जोकि कानपुराइट्स को बीमारियों की सौगात दे रहा है। हाईकोर्ट ने खतरनाक रेडिएशन के अध्ययन के लिए कानपुर, दिल्ली समेत चार आईआईटी के विशेषज्ञों की टीम बनाकर 3 महीने में रिपोर्ट मांगी है।एक हजार से अधिक towers


सिटी में करीब 1015 सेलफोन टॉवर्स लगे हुए हैं। इनमें से ज्यादातर टॉवर्स घरों और अपार्टमेंट्स में लगे हुए हैं। इतना ही नहीं कई घरों और मल्टीस्टोरी बिल्डिंग में एक-दो नहीं सात-आठ टॉवर्स लगे हुए हैं। यहां तक की पूरी तरह रोक के बावजूद कॉलेज, नर्सिंग होम, हॉस्पिटल्स तक में मोबाइल टॉवर्स लगे हैं।

पैसे के लालच में बिल्डिंग ओनर्स ने भी टॉवर से निकलने वाले रेडिएशन से होने वाले नुकसान की परवाह नहीं की और लगवा लिए। इतना ही नहीं केडीए से टॉवर लगाने के लिए एनओसी भी नहीं ली गई। न ही केडीए ने नियम-कानून के विपरीत लग रहे मोबाइल टॉवर्स को रोकने की कोई कोशिश की.   Radiation का level सबसे ज्यादासेलफोन टॉवर्स से निकलने वाले रेडिएशन को लेकर यूजीसी की ओर से डीबीएस कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ। अनुराग मिश्रा रिसर्च कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अमेरिकन संस्था आईसीएनआईआरपी ने रेडियएशन का मैक्सिमम लेवल(स्टैंडर्ड) 9.2 माइक्रोवॉट पर स्क्वॉयर मीटर तय कर रखा है। सिटी के अधिकतर एरिया में रेडिएशन का लेवल इससे बहुत अधिक है। स्वरूप नगर,  मॉलरोड, काकादेव, पॉर्वती बांग्ला रोड समेत कई एरिया में रेडिएशन बहुत ज्यादा है।

Posted By: Inextlive