आपने थाने मेें लगी क्रिमिनल्स की हिस्ट्रीशीट जरूर देखी होगी. फ्लाईशीट पर हर हिस्ट्रीशीटर का नाम और उसके अपराधों की सूची दर्ज होती है लेकिन दैनिक जागरण आई नेक्स्ट आपको एक ऐसी जानकारी देगा जो आपने आज तक न तो सुनी होगी और न ही पढ़ी होगी. क्या आपने कभी घोड़ों की हिस्ट्रीशीट के विषय में सुना है? या क्या आपके पास ये जानकारी है कि जिस तरह से पुलिस कर्मियों का पीएनओ नंबर होता है उसी तरह घोड़ों का भी नंबर होता है

कानपुर(ब्यूरो)। आपने थाने मेें लगी क्रिमिनल्स की हिस्ट्रीशीट जरूर देखी होगी। फ्लाईशीट पर हर हिस्ट्रीशीटर का नाम और उसके अपराधों की सूची दर्ज होती है, लेकिन दैनिक जागरण आई नेक्स्ट आपको एक ऐसी जानकारी देगा जो आपने आज तक न तो सुनी होगी और न ही पढ़ी होगी। क्या आपने कभी घोड़ों की हिस्ट्रीशीट के विषय में सुना है? या क्या आपके पास ये जानकारी है कि जिस तरह से पुलिस कर्मियों का पीएनओ नंबर होता है, उसी तरह घोड़ों का भी नंबर होता है। नहीं न तो आज इस समाचार में आपको पुलिस के घोड़े यानी माउंटेन पुलिस के विषय में रोचक बातें पढऩे को मिलेंगी, जो शायद आज तक आपकी जानकारी में नहीं होंगी।

निर्धारित समय पर मेडिकल होता
एसआईएमपी (सब इंस्पेक्टर माउंटेड पुलिस) दिलशाद अहमद ने बताया कि माउंटेड पुलिस लाइन में एक एसआईएमपी, पांच हेड कांस्टेबिल और 25 कांस्टेबिल हैैं। सुबह घोड़े के जागने के साथ ही इन कर्मचारियों की सुबह होती है। पहले अस्तबल की सफाई की जाती है। इसके बाद हार्स डस्टिंग की जाती है। इसके बाद हार्स रोलिंग एक्सरसाइज कराई जाती है। एक्सरसाइज के बाद हार्स को बाथ कराया जाता है और धूप में कुछ देर रखने के बाद उन्हेें शेड में रख दिया जाता है। निर्धारित समय पर इनका मेडिकल होता है। इनके खाने पीने का ध्यान रखा जाता है। खराब मौसम में इनकी पीठ पर झूल (गर्म कपड़ा) डाल दिया जाता है और रूम हीटर तक लगाया जाता है।


उपद्रव में हेल्पफुल रहे थे घोड़े
जिन गलियों में जीप और बाइक आसानी से नहीं जा पाते, वहां माउंटेन पुलिस की हेल्प ली जाती है। इनके मूवमेंट से उपद्रव करने वाले भागते तो हैैं लेकिन उन्हें चोट नहीं लगती क्योंकि ये यूपी पुलिस के ट्रेंड घोड़े हैैं। तीन जून और सीएए के उपद्रव के दौरान इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही थी।


घोड़ों ने दिलाए 120 पदक
एसआईएमपी दिलशाद अहमद बताते हैैं कि वे मुरादाबाद, आगरा और अब कानपुर की माउंटेड पुलिस में हैैं। इन घोड़ों को वे अपनी औलाद की तरह प्यार करते हैैं। पहले घोड़ों को गुड़, चना और खाना खिलाते हैैं, उसके बाद खुद खाना खाते हैैं। इन घोड़ों ने दिलशाद को 120 मेडल दिलाए हैैं।

हिस्ट्रीशीट में दर्ज होंगी ये बातें
- माउंटेन पुलिस के बेड़े में शामिल घोड़े का जन्म स्थान और जन्म तिथि।
- घोड़ा किस प्रजाति का है? किस शहर में किस दल में शामिल हुआ है।
- घोड़े की वंशावली क्या है? उसके पूर्वज किस शहर में किस दल में हैैं।
- पुलिस में घोड़े की भर्ती कब हुई थी और वह कितने साल का है?
- घोड़े का पीएनओ नंबर यानी हिस्ट्रीशीट का नंबर क्या है?
- घोड़े ने किन-किन प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया है?
- किन नेशनल और इंटरनेशनल प्रतियोगिताओं में कौन सा मेडल जीता है?
- कितने बार घोड़े का प्रमोशन हुआ है, उसका राइडर कौन है?
- कितने बार उसने यूपी पुलिस का नाम ऊंचा किया है?
- घोड़े के भर्ती होने पर क्या पगार थी और कितनी बार पगार बढ़ी है?
- किस घोड़े का पसंदीदा खाना क्या है?
इन स्थानों पर अभी किया जाता है उपयोग
वीआईपी ड्यूटी, लॉ एंड ऑर्डर मेंटेन करने के लिए, पुलिस प्रोग्राम ,फेस्टिवल टाइम में मेन मार्केट में घोड़ों का मूवमेंट कराया जाता है।

ये हैैं कानपुर कमिश्नरेट के मुख्य घोड़े
पार्थ, मयंक, बहादुर, हिमालय, अकबर, रनक समेत 17 घोड़े।

ये है घोड़ों की डाइट
चना, जौ, चोकर, गुड़, तेल
ये होती हैैं घोड़ों की प्रतियोगिताएं
टेंट पेगिंग, टीम टेंट पेगिंग, मिडलैैंड रिले, ड्रेसाज, शो जंपर, मीडियम टॉपर
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घोड़ों की पीठ पर इनका नंबर खुदा होता है, जिससे इनकी पहचान होती है। माउंटेन पुलिस के ऑफिस में इनका हिस्ट्रीशीट (मस्टररोल) होता है। जिससे प्रतियोगिताओं में इनके चयन में आसानी होती है।
दिलशाद अहमद, एसआईएमपी

Posted By: Inextlive