जब भी हम ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से पेमेंट करते हैं तब हमारे डेबिट कार्ड क्रेडिट कार्ड की डिटेल वहां सेव हो जाती है। इन सॉफ्टवेयर में ऑनलाइन की-लॉगर्स होते हैं। ऐसे में ये डेटा वहां पर फीड हो जाता है। इससे डेटा की सिक्योरिटी भी कम हो जाती है।


लखनऊ (ब्यूरो)। वर्चुअल वर्ल्ड जितना बड़ा है, उतना ही खतरनाक भी है। सोशल मीडिया और ऑनलाइन सिस्टम के जितने फायदे हैं, उतने ही नुकसान भी। सावधानी नहीं बरती तो हर मोड़ पर साइबर क्रिमिनल्स आपके लाडले को शिकार बना सकते हैं। जब खतरा घर में ही मौजूद हो तो मामला और सीरियस हो जाता है। दरअसल, इंटरनेट का फीवर इस कदर बच्चों पर चढ़ रहा है कि अब वे भी साइबर क्राइम करने से पीछे नहीं रहते हैं। ऑनलाइन गेमिंग और महंगे शौक पूरे करने के लिए बच्चे साइबर क्राइम कर रहे हैं और अपने पैरेंट्स का ही अकाउंट खाली कर रहे हैं। ऐसे एक-दो नहीं बल्कि हर माह 10 से 12 मामले साइबर क्राइम सेल में आ रहे हैं। आज से हम आपको बताने जा रहे हैं साइबर वल्र्ड के डार्क साइड। पेश है रिपोर्ट।केस 1अकाउंट से गायब हो गए ढाई लाख रुपये


कैंट एरिया में रहने वाले आर्मी मैन लद्दाख में पोस्टेड हैं। उनकी फैमिली कैंट के नीलमथा में रहती है। फैमिली खर्च के लिए उन्होंने अपने बैंक अकाउंट से दो डेबिट कार्ड बनवाए थे। जिसमें से एक वह अपने पास रखते थे जबकि दूसरा पत्नी को दे रखा था। अकाउंट में करीब ढाई लाख रुपये थे। धीरे-धीरे अकाउंट में पैसा खाली होने लगा। उन्हें इसकी जानकारी हुई तो पत्नी से पूछा। पता चला कि न तो आर्मी मैन ने पैसे खर्च किए और न ही पत्नी ने निकले, फिर भी अकाउंट खाली हो गया। साइबर अटैक की आशंका पर वह छुट्टी लेकर लखनऊ पहुंचे और साइबर क्राइम सेल में ठगी की शिकायत की। साइबर क्राइम टीम ने अकाउंट की जांच की तो पता चला कि उनके अकाउंट से फ्री फायर को पेमेंट की गई थी। उनके 12 वर्षीय बेटे ने मोबाइल फोन पर फ्री फायर गेम डाउनलोड किया था। गेम में गन खरीदने के लिए अकाउंट डिटेल मांगी गई थी, जिसमें उसने फादर के डेबिट कार्ड का नंबर डाल दिया और ओटीपी शेयर कर दिया, जिसके बाद हर बार गेम के दौरान पैसा कटता चला गया।केस नंबर 2पेटीएम के जरिए कर दी फ्री फायर को पेमेंट

महानगर में रहने वाले एक बिजनेसमैन का 10 वर्षीय बेटा मोबाइल फोन पर फ्री फायर गेम डाउनलोड कर उसे खेलने लगा। गेम के आगे बढऩे पर उसे अकाउंट की डिटेल मांगी गई तो उसने फादर की पेटीएम डिटेल भर दी। पेटीएम में फ्री फायर के लिए गेटवे है, जिसके चलते न तो मैसेज आया न ही पैसा ट्रांसजेक्शन की परमिशन मांगी गई। धीरे-धीरे 40 से 50 हजार रुपये अकाउंट से खाली हो गए। बिजनेसमैन ने साइबर फ्राड की शिकायत की तो साइबर क्राइम सेल की जांच में सामने आया कि फ्री फायर को पेटीएम के जरिए पेमेंट की गई है। छानबीन में पता लगा कि उनके बेटे ने पेटीएम के जरिए पेमेंट की थी।केस 3दादी के अकाउंट का अपने नंबर से बना लिया पेटीएमकपूरथला में रहने वाली बुजुर्ग महिला के अकाउंट से उनकी पोती ने ही पेटीएम अकाउंट बना लिया। पोती 12वीं क्लास में पढ़ती है। उसके पिता महाराजगंज में प्रधान हैं, जबकि पूरी फैमिली निशातगंज में रहती थी। बुजुर्ग दादी के अकाउंट से धीरे-धीरे 11 लाख रुपये गायब हो गए। अकाउंट से पैसा गायब होने पर शिकायत साइबर क्राइम सेल में की गई। जांच में पता चला कि उनके अकाउंट का पेटीएम अकाउंट बनाया गया है और जिस नंबर से पेटीएम बनाया गया वह उनकी पोती का है। पोती ने अपने ब्वायफ्रेंड को आईफोन व कपड़े खरीद कर दिए थे। इसके अलावा वे पार्टी में भी पैसा खर्च करते थे।केस 4मां के अकाउंट से 30 लाख उड़ाये

आशियाना में रहने वाली एक महिला के 17 वर्षीय बेटे ने अपने महंगे शौक पूरे करने के लिए पहले मां के अकाउंट नंबर से अपने मोबाइल फोन पर पेटीएम बनाया। अकाउंट नंबर, आईएफएससी कोड के जरिए पेटीएम जनरेट किया। प्राइवेट बैैंक से पेटीएम को लिंक कराने के बाद अकाउंट से दोस्तों के पेटीएम में पैसा ट्रांसफर करने लगा। उन्हें पेटीएम कर वह उनसे कैश पैसा लेता था। एक मोबाइल शॉप ओनर से उसकी दोस्ती थी, उसने सबसे ज्यादा पेटीएम उसी को किया था। उसने करीब 30 लाख रुपये मां के अकाउंट से उड़ा लिए। साइबर सेल में शिकायत होने पर जांच की गई तो राज खुला। बेटे ने पूछताछ में बताया कि वह गर्लफ्रेंड व दोस्तों के साथ घूमता था। पब में जाकर शराब पार्टी करता था। मां ने बताया कि कुछ दिन पहले आशियाना क्षेत्र में जमीन बेची थी, उसी का पैसा अकाउंट में रखा था।खुलासे के बाद पैरेंट्स नहीं लेते एक्शनसाइबर क्राइम सेल में ऐसे जितने भी मामले आए उनमें जांच पड़ताल के बाद अकाउंट से गायब होने वाली रकम का पता तो लगा लिया गया, लेकिन जब अपने बच्चे के ही साइबर फ्राड करने का मामला पैरेंट्स के सामने आया तो उन्होंने परिवारिक मामले का हवाला देकर एक्शन (एफआईआर) न दर्ज कराने की बात कहकर चुप्पी साध ली।नेक्स्ट लेवल के चक्कर में कर रहे चोरी
कई मामले ऐसे भी आए हैं जिमसें गेम के नेक्स्ट लेवल के जाने के लिए बच्चों ने अपने घर में चोरी तक की है। इसके साथ ही कई बच्चे अपनी बाइक और साइकिल तक बेच रहे हैं। क्योंकि कई गेम ऐसे है जिसमें उनकी अगली स्टेज में जाने के लिए ऑनलाइन कुछ गैजेट खरीदने होते है जैसे गन, कार, सूट आदि।बच्चों पर ये पड़ा रहा असर-आपराधिक प्रवृत्ति का बढऩा-पढ़ाई-लिखाई पर विपरीत असर-मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव-सोशल आइसोलेशन की आदत-ऑनलाइन हिसंक गेमिंग की लत से सीरियस हेल्थ डिसऑर्डर-बच्चों में सुसाइड की घटना का बढऩा- रिसर्च फर्म रेडसीर के अनुसार 2026 तक भारत में गेमिंग सेक्टर की वैल्यू 7 बिलियन डॉलर (लगभग 57,000 करोड़ रुपये) के लगभग होगी।- जन गेम्स में पैसों का इनवॉलमेंट है उन पर केंद्र सरकार नया नियम बना सकती है। कुछ गेम्स जिनमें करनी पड़ती है पेमेंट-फ्री फायर-कूपन रिडीम-तीन पत्ती-रमी-कसीनो-ब्लैक जैक-पोकरऑनलाइन ठगी का गेमिंग फंडागेमिंग ऐप हर साल लाखों लोगों को इस मानसिक बीमारी का शिकार बना रहे हैं। कोविड के दौरान इस तरह की साइट्स में काफी ज्यादा इजाफा हुआ है और पहले के मुकाबले अब ज्यादा लोग इनका शिकार बन रहे हैं। पिछले दो सालों में इस इंडस्ट्री में 40 प्रतिशत तक की तेजी देखी गई है। ऑनलाइन गैम्बलिंग इंडस्ट्री की हर साल की इनकम 10 हजार करोड़ से ज्यादा है। यह ऐसी ठगी है जिसमें पीडि़त शख्स आखिरी वक्त तक ये नहीं समझ पाता कि वह एक बहुत बड़े रैकेट का हिस्सा बन चुका है। जब उसे यह समझ आता है तब तक वह अपना सारा पैसा गंवा चुका होता है।जब भी हम ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से पेमेंट करते हैं, तब हमारे डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड की डिटेल वहां सेव हो जाती है। इन सॉफ्टवेयर में ऑनलाइन की-लॉगर्स होते हैं। ऐसे में ये डेटा वहां पर फीड हो जाता है। इससे डेटा की सिक्योरिटी भी कम हो जाती है। इससे गेमिंग ऐप ही नहीं बल्कि दूसरे ऐप्स से भी अकाउंट से पैसे निकलने का खतरा होता है। कई ऐप्स में ट्रोजन या दूसरे मैलवेयर भी होते हैं।-शिशिर यादव, साइबर एक्सपर्ट

Posted By: Inextlive