समर्पण देख हाफिज सईद ने सौंपी थी फाइनेंस विंग की कमान
- एटीएस की पूछताछ में आतंकी सलीम ने किये अहम खुलासे
- ट्रेनिंग के दौरान हाफिज सईद से चार बार और जकीउर्रहमान लखवी से एक बार हुई मुलाकात - फोन पर मिलते थे निर्देश, एजेंट्स को कोडवर्ड में देता था टास्कLUCKNOW : आतंकी सलीम खान का जिहाद के प्रति समर्पण से प्रभावित होकर ही लश्कर ए तैय्यबा चीफ हाफिज सईद ने उसे कश्मीर के अलावा बाकी देश में आतंकी गतिविधियों को अंजाम दिलाने के लिये फाइनेंस विंग की कमान सौंपी थी। एटीएस की पूछताछ में यह खुलासा किया है खुद आतंकी सलीम खान ने। उसने बताया कि उसे पाकिस्तान में सरगना से फोन पर निर्देश मिलते थे, जिन्हें वह देशभर में फैले अपने एजेंट्स के जरिए अंजाम दिलाता था। इसके लिये वह हवाला के जरिए उन्हें रकम भेजता था। एजेंट्स को निर्देश भी कोडवर्ड में दिये जाते थे, ताकि अगर उनका फोन सिक्योरिटी एजेंसी के राडार पर हो तो भी कोई समझ न पाए कि आखिर बात क्या हो रही है।
बेगम मतलब बम, दोस्त मतलब पिस्टलएटीएस सूत्रों के मुताबिक, पुलिस कस्टडी रिमांड के शुरुआती दो दिनों में कुछ भी खास जानकारी देने से कतरा रहा सलीम खान आखिरकार एटीएस की सख्त पूछताछ में टूट गया। उसने बताया कि उसे पाकिस्तान से आतंकी घटनाओं को अंजाम दिलाने के लिये फोन पर निर्देश मिलते थे। जिन्हें वह अपने अंडर में काम करने वाले एजेंट्स को फोन पर ही पास करता था। हालांकि, एजेंट्स को टास्क देने में पूरी सावधानी बरती जाती थी। उन्हें कोडवर्ड में बताया जाता था कि आखिर उन्हें करना क्या है। कुछ चीजों के लिये इस्तेमाल होने वाले कोडवर्ड भी सलीम ने एटीएस टीम को बताए हैं। उसने बताया कि बम के लिए बेगम शब्द का इस्तेमाल किया जाता था जबकि, पिस्टल के लिये 'दोस्त'। इसके अलावा भीड़भाड़ वाली जगह को 'स्टोर रूम' कहकर संबोधित किया जाता था। रुपये के लिये खुशबू नाम रखा गया था।
अमीर से चार बार मुलाकातलश्कर चीफ हाफिज सईद को अमीर नाम से संबोधित करने वाले सलीम ने बताया कि उससे उसकी मुलाकात चार बार हो चुकी है। ट्रेनिंग के दौरान तीन बार अमीर कैंप में आया था। जहां उसने साथ में खाना खाया था। एक बार जकीउर्रहमान लखवी भी अमीर के साथ आया था और उससे भी सलीम की मुलाकात हुई थी। सलीम ने बताया कि लखवी ने मुलाकात के दौरान उससे एक घंटे तक बातचीत की और उसे जिहाद और लश्कर के बारे में तफसील से समझाया था। उसी दिन ट्रेनिंग कैंप में मौजूद सभी आतंकियों को शाम के वक्त होने वाली मगरिब की नमाज लखवी ने ही अता कराई थी।
काफी शॉप में लेबर था सलीम ने बताया कि वह सऊदी अरब के अनेजा शहर में कॉफी शॉप में लेबर का काम करता था। उसकी शॉप के सामने सब्जी की दुकान थी जिसमें केसर आता-जाता था। उसकी केसर से दोस्ती हो गयी और अक्सर वह मस्जिद जाने के दौरान उसके घर जाता था। केसर ने उसे शेख से मिलवाया जिसने उसको आतंकी साहित्य अहले हदीस के बारे में बताया और तमाम वीडियो टेप और कैसेट के जरिए उसका आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रेरित करने लगा। इसके बाद उसे ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तान भेजा गया। कराची एयरपोर्ट से उसे बहावलपुर ले जाया गया। दस दिन मुजफ्फराबाद ले जाकर पहाडि़यों के बीच कैंप में उसकी ट्रेनिंग शुरू हो गयी। वहीं उसकी मुलाकात हाफिज सईद और लखवी से हुई। पाक आर्मी करती है हाफिज सईद की सिक्योरिटीसलीम ने एटीएस टीम को बताया कि हाफिज सईद पाकिस्तानी आर्मी के संरक्षण में ही मूवमेंट करता है। उसका काफिला डेढ़ दर्जन गाडि़यों का होता है, जिसमें पाकिस्तानी आर्मी की गाडि़यां भी होती हैं। उसे हर वक्त चार दर्जन से ज्यादा आर्मी के कमांडो अपने घेरे में लिये रहते हैं। इसके अलावा हाफिज सईद के लश्कर के एक दर्जन खास बॉडीगार्ड भी उसकी रक्षा के लिये हर वक्त तैनात रहते हैं। लखवी को भी पाकिस्तानी आर्मी सिक्योरिटी कवर देती है।