Lucknow News: खर्राटे जब आते हैं तो सांस का प्रवाह कम हो जाता है या कई बार रुक जाता है। जो एक नई बीमारी को जन्म देता है। जिसका नाम ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप ऐपनिया है। जिस अंग में ऑक्सीजन की सप्लाई रात भर कम होती है उन अंगों में बहुत सी बीमारियां डायबिटीज ब्लड प्रेशर हार्ट अटैक व स्ट्रोक आदि का खतरा बढ़ जाता है।


लखनऊ (ब्यूरो)। सोते समय अगर किसी को खर्राटे आते हैं तो यह न माना जाए कि वह घोड़े बेचकर सो रहा है, जैसी कहावत है, बल्कि यह माना जाए कि वह सोते समय बहुत सारी बीमारियों को निमंत्रण दे रहा है। यह जानकारी केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में शुक्रवार को विश्व निद्रा दिवस जागरूकता कार्यक्रम के दौरान विभागाध्यक्ष डॉ। सूर्यकांत ने दी।एक्सीडेंट हो सकता है


डॉ। सूर्यकांत ने आगे बताया कि खर्राटे जब आते हैं तो सांस का प्रवाह कम हो जाता है या कई बार रुक जाता है। जो एक नई बीमारी को जन्म देता है। जिसका नाम ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप ऐपनिया है। जिस अंग में ऑक्सीजन की सप्लाई रात भर कम होती है, उन अंगों में बहुत सी बीमारियां डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक व स्ट्रोक आदि का खतरा बढ़ जाता है। जो ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप ऐपनिया से पीड़ित हैं, उन्हें दिन में जहां भी मौका मिलता है, वे थोड़ी देर के लिए वहीं सोने लगते हैं। कई बार तो लोग अपनी कार, स्कूटर व मोटरसाइकिल को ड्राइव करते-करते भ सो जाते हैं और उनका एक्सीडेंट हो जाता हैं। खर्राटे और स्लीप ऐपनिया देश-दुनिया में होने वाले रोड एक्सीडेंट का एक प्रमुख कारण हैं।शोध में हुआ था खुलासा

डॉ। सूर्यकांत के मुताबिक, जो लोग ड्राइविंग लाइसेंस का रजिस्ट्रेशन के लिए एप्लीकेशन देते हैं, उन पर खर्राटों के संबंध में हुए रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के द्वारा शोध किया गया था। जिसमें यह पाया गया था कि ऐसे 17 प्रतिशत लोग हैं, जो सोते समय तेज खर्राटे लेते हैं व जिनमें ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप ऐपनिया के लक्षण पाये गये। अब सोचिए ऐसे 17 प्रतिशत लोग अगर ड्राइवर बन जाएंगे तो उन्हें गाड़ी चलाते-चलाते सोने और एक्सीडेंट करने का भी खतरा रहेगा। ऐसे लोग अपना ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने आए तो उनका खर्राटे संबंधी परीक्षण किया जाए तथा जरूरत पड़ने पर उनकी स्लीप स्टडी भी की जाए और उसके लिए उनसे कहा जाए कि पहले अपने खर्राटों का इलाज करायें तभी आपको ड्राइविंग लाइसेंस मिलेगा।********************************************प्रोस्टेट के बढ़ने और कैंसर के लक्षण एक जैसेअगर किसी की यूरिन की धार कम है या उसे बार-बार यूरिन हो रही है, पीठ व रीढ़ की हड्डी में दर्द आदि लक्षण हैं तो तत्काल डॉक्टर को दिखाना चाहिए। देर होने पर समस्या गंभीर हो जाती है क्योंकि यह लक्षण प्रोस्टेट कैंसर या प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने के लक्षण हो सकते हैं। यह जानकारी शुक्रवार को केजीएमयू के यूरोलॉजी विभाग के डॉ। मनोज कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दी।

यूरोलॉजी संबंधी बीमारियों पर होगी चर्चाडॉ। मनोज ने बताया कि 16 और 17 मार्च को उत्तर प्रदेश यूरोलॉजिकल एसोसिएशन का 11वां वार्षिक सम्मेलन आयोजित हो रहा है। यह सम्मेलन लखनऊ यूरोलॉजी संगठन, केजीएमयू, लोहिया संस्थान और एसजीपीजीआई के सहयोग से हो रहा है। केजीएमयू स्थित अटल बिहारी वाजपेयी कन्वेंशन सेंटर में आयोजित इस दो दिवसीय सम्मेलन में करीब 300 डॉक्टर और विशेषज्ञ शामिल होंगे। इस सम्मेलन में यूरिन संबंधित बीमारियों के इलाज की नवीन तकनीक पर चर्चा होगी। इसके अलावा रोबोटिक और दूरबीन विधि से सर्जरी के गुर भी विशेषज्ञ सिखाएंगे।बुजुर्गों को ज्यादा ध्यान देने की जरूरतडॉ। हरविंदर सिंह पाहवा ने बताया कि वैसे तो प्रोस्टेट की समस्या 50 की उम्र के बाद देखने को मिलती है, लेकिन अब यह समस्या खराब लाइफस्टाइल के कारण कम उम्र में भी हो रही है। हालांकि, जागरूकता बढ़ने से इसपर समय रहते मरीजों को ज्यादा समस्या नहीं होती है।

Posted By: Inextlive