लखनऊ में अभी भी ऐसे कई चौराहे हैं जहां ट्रैफिक सिग्नल्स ही नहीं हैं और न ट्रैफिक पुलिस के पास इतनी मैनपावर है कि शहर की ट्रैफिक व्यवस्था दुरुस्त रखा जाए।


लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी में ट्रैफिक व्यवस्था को सुगम बनाने के लिए ट्रैफिक सिग्नल्स और मैनपावर का होना बहुत जरूरी है। अगर इन दोनों की कमी हो तो सोचिये शहर में ट्रैफिक का क्या हाल क्या होगा। हालांकि, इससे निपटने के लिए आए दिन पुलिस विभाग नया-नया प्लान तैयार करता रहता है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि शहर में अभी भी ऐसे कई चौराहे हैं, जहां ट्रैफिक सिग्नल्स ही नहीं हैं और न ट्रैफिक पुलिस के पास इतनी मैनपावर है कि शहर की ट्रैफिक व्यवस्था दुरुस्त रखा जाए। पढ़ें दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के अभियान 'मसला-ए-जिंदगी' पर खास रिपोर्टआम पब्लिक भुगत रही खामियाजा


नेशनल रोड सेफ्टी वीक 11 से 17 जनवरी तक मनाया जा रहा है। इसमें ट्रैफिक पुलिस से लेकर परिवहन विभाग सड़क हादसे को रोकने से लेकर वाहन चालकों को नियमों के पाठ पढ़ाती है, ताकि लोगों में ट्रैफिक रूल्स को लेकर अवेयरनेस पैदा हो, लेकिन कई बार विभागों की ही लापरवाही भी लोगों को ट्रैफिक रूल्स तोड़ने पर मजबूर कर देती है। इसकी वजह है शहर के चौराहों पर लगे ट्रैफिक सिग्नल का बंद या खराब होना या चौराहों पर पुलिसकर्मियों की ड्यूटी न होना। ऐसे में, वाहन चालक अकसर ट्रैफिक रूल्स तोड़ते हैं। इसकी वजह से आए दिन सड़क हादसे होते हैं।

चौराहों पर 350 पुलिसकर्मियों की ड्यूटीशहर में गाड़ियों की बात करें तो यह संख्या पांच लाख से अधिक है। शहर की हर सड़क पर ट्रैफिक का लोड बढ़ रहा है। वहीं, आंकड़े बताते हैं कि ट्रैफिक पुलिस विभाग के पास तकरीबन 750 पुलिसकर्मी हैं, जो काफी कम है। इनमें से अधिकतर की ड्यूटी वीवीआईपी रूट पर लगी रहती है। तकरीबन 350 पुलिसकर्मियों की ड्यूटी ही लोगों को जाम से छुटकारा दिलाने के लिए लगाई जाती है। जेसीपी लॉ एंड आर्डर उपेंद्र कुमार अग्रवाल के मुताबिक, ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की संख्या बढ़ाने के लिए मुख्यालय को पत्र लिखा गया है।180 जगहों पर लगे सिग्नलट्रैफिक पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, शहर में तकरीबन 520 चौराहे हैं, इनमें अगर सिग्नल की बात करें तो करीब 180 जगहों पर सिग्नल लगे हैं। ट्रैफिक पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि सिग्नल लगने से ट्रैफिक व्यवस्था की धज्जियां नहीं उड़ती हैं, साथ ही ऑटोमेटिक सिग्नल से मैनपावर की भी बचत होती है। हालांकि, इन चौराहों में अधिकतर आउटर एरिया के हैं। ऐसे में, अब इन बाकी जगहों के अलावा भी ट्रैफिक सिग्नल के लिए चौराहों का सर्वे किया जा रहा है। यहां पर जल्द ही सिग्नल्स का काम शुरू कर दिया जाएगा।

दो-तीन बार करना पड़ता है इंतजारवर्तमान समय में कई चौराहों और तिराहों पर लगे सिग्नल के टाइमर वाहनों के दबाव के मुताबिक सेट नहीं हैं। कई चौराहों पर एक तरफ से ही सभी वाहनों को निकलने में 70 से 80 सेकेंड लगते हैं, लेकिन टाइमर 40 सेकेंड का ही है। इससे उस दिशा में वाहनों की लंबी लाइन लग जाती है। खासकर माल एवेन्यू पुल, हजरतगंज, अवध चौराहा, इंजीनियरिंग चौराहा, आलमबाग चौराहा, रविंद्रालय चारबाग, तेलीबाग आदि चौराहों पर ऐसा देखने को मिलता है। यहां पर चालकों को अपनी बारी के लिए एक से अधिक बार सिग्नल ग्रीन होने का इंतजार करना पड़ता है। जिससे चौराहों पर ट्रैफिक व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा जाती है।सर्वे करा रूट पर सिग्नल होंगे अपडेट
जिन चौराहों पर ट्रैफिक का लोड अधिक रहता है वहां फिक्स सिग्नल टाइमिंग को बढ़ाने के लिए एक सर्वे शुरू किया जा रहा है। दरअसल, ट्रैफिक के बढ़ते दबाव से चालकों को काफी देर तक सिग्नल पर रुकना पड़ता है। एक ओर का समय पूरा नहीं हो पाता है और दूसरी ओर से नंबर शुरू हो जाता है। इस स्थिति से ट्रैफिक टकराव की स्थिति बनती है। प्रमुख चौराहों पर टाइमिंग बढ़ने के बाद डेढ से दो मिनट का समय एक तरफ का निर्धारित हो सकता है।एक नजर में जानिये-750 है ट्रैफिक विभाग में पुलिसकर्मियों की संख्या-2000 पुलिसकर्मियों को लाने के लिए लिखा पत्र-520 हैं तकरीबन राजधानी में चौराहे-180 जगहों पर ही लगे हैं ट्रैफिक सिग्नल्सयहां पर बिगड़ी रहती है हालत-अब्दुल हामिद चौक-हुसैनगंज चौराहा-कैंट लाल कुर्ती-देवी खेड़ा मोड़-महानगर चौराहा-बालागंज चौराहा-कैसरबाग चौराहापब्लिक ओपिनियनशहर में ऐसे कई चौराहे हैं, जहां ट्रैफिक पुलिसकर्मी तो दिखाई देते हैं, फिर भी जाम की स्थिति बनी रहती है। ऐसे में पुलिस को ठोस कदम उठाने की जरूरत है।सचिन दीक्षितशहर में ट्रैफिक सिस्टम सुधारने के लिए खास प्लान की जरूरत है। अगर सिस्टम में सुधार होगा तभी लोगों को ट्रैफिक जाम से मुक्ति मिलेगी।मुमताज अलीलोगों में सब्र नहीं है और रेड लाइट होने के बावजूद भी वे निकल जाते हैं और अगर सिग्नल पर रुकते भी हैं तो जेब्रा लाइन क्रॉस कर रुकते हैं।आदर्श गुप्तालोगों में ट्रैफिक नियमों को लेकर बिल्कुल धैर्य नहीं है। रेड सिग्नल होने के बावजूद लोग चौराहा क्रॉस कर लेते हैं, जिससे एक्सीडेंट का खतरा बढ़ जाता है।विनोद यादव

Posted By: Inextlive