-सिटी के तमाम चौराहों पर जाम खुलवाने की जगह दिनभर वसूली की जुगत में लीन रहते हैं ट्रैफिककर्मी

-कई जगह तो परेशान लोगों ने खुद का ट्रैफिककर्मी कर दिया तैनात

-होमगार्ड ढूंढते हैं शिकार, बूथों में की जाती है वसूली

LUCKNOW: सिटी में जाम की समस्या समय के साथ विकराल रूप धारण करती जा रही है। लेकिन, इसकी सूरत न बदलने की वजहों में से एक ट्रैफिक कर्मियों की 'लक्ष्मी पूजन' भी है। आलम यह है कि पीक ऑवर्स को छोड़कर ट्रैफिककर्मी इसी पूजा में जुटे रहते हैं और इसके लिये सबसे जरूरी तत्व 'यजमान' का इंतजाम होमगार्ड करते हैं। आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने जब शनिवार दोपहर सिटी के चौराहों की हकीकत की पड़ताल की तो कमोबेश हर चौराहे पर यही नजारा आम था। कहीं, होमगार्ड बिना हेलमेट पहने बाइकर्स को आतंकवादी सरीखा दबोचने में लीन थे तो कहीं, ऑटो ड्राइवर से वसूली की रकम देने या न देने को लेकर मचमच जारी थी।

बूथ से चलता है वसूली का कारोबार

चौराहों की हकीकत जांचते आई नेक्स्ट रिपोर्टर बादशाह नगर चौराहे पर पहुंचा। ट्रैफिक आईलैंड पर सन्नाटा पसरा था वहीं, ट्रैफिक कॉन्सटेबल और होमगार्ड सड़क किनारे शिकार ढूंढने में तल्लीन थे। जबकि, टीएसआई बूथ के भीतर विराजमान थे। यह रिपोर्टर भी वहीं पर ऑटो का इंतजार करते आम लोगों की भीड़ में शामिल होकर नजारा देखने लगा। ड्यूटी पर 'मुस्तैद' एक होमगार्ड ने महिला संग चले जा रहे एक बाइकर को रोका। युवक ने हेलमेट नहीं लगा रखा था और वह छोड़ने के लिये चिरौरी कर रहा था। पर, होमगार्ड ने मानो ठान लिया था कि वह उस युवक को मोटर व्हीकल एक्ट की तमाम धाराओं और उनके उल्लंघन पर मिलने वाली सजा या जुर्माना का पूरा ज्ञान आज ही रटा देगा। आखिरकार युवक ने होमगार्ड से कुछ ले देकर मामला सुलटाने की गुजारिश की। उसकी यह गुजारिश सुनकर भीषण गर्मी में भी होमगार्ड के चेहरे पर ऐसी ठंडक पसरी जैसे किसी ने उसके सिर पर ठंडे तेल की मालिश कर दी हो। पर, आगे का नजारा और भी हैरान कर देने वाला था। होमगार्ड ने करीब खड़े रिक्शा चालक के कान में कुछ फुसफुसाया। उसकी बात सुनते ही वह रिक्शे से उतर पड़ा और उस युवक के पास जाकर कुछ बात की। युवक ने रिक्शे वाले को 100 का नोट पकड़ाया। नोट मिलते ही रिक्शे वाले ने रिहाई का फरमान सुनाया और युवक बाइक को स्टार्ट कर फौरन वहां से छूमंतर हो गया। इधर, रिक्शा चालक ने मिली रकम को होमगार्ड को सौंप दिया। होमगार्ड ने भी बिना देरी किये उस रकम को बूथ में जाकर 'जमा' कर दिया। इस पूरे घटनाक्रम ने साबित कर दिया कि वसूली का यह कारोबार चौराहों के किनारे बने ट्रैफिक बूथों से संचालित होता है।

कॉमर्शियल नंबरों पर रहती है विशेष नजर

बिना हेलमेट या ट्रिपलिंग वाले बाइकर्स से वसूली के अलावा वसूली के शिकार बनने वालों में कॉमर्शियल नंबरों वाली गाडि़यां हैं। आलम यह है कि अगर कोई कॉमर्शियल टैक्सी ड्राइवर अपनी कार से बिना कोई ट्रैफिक रूल वायलेट किये भी जा रहा हो तो इन ट्रैफिक कर्मियों की नजर से बचना बेहद मुश्किल है। रोके जाने के बाद अगर ड्राइवर ने पूरे कागज दिखा भी दिये तो बिना 'चढ़ावा' चढ़ाए उसका वहां से एक मीटर भी बढ़ पाना नामुमकिन ही होता है। इसी तरह लखनऊ से बाहर के नंबर की गाडि़यों को भी जबरन रोका जाता है और उन्हें ट्रैफिक रूल वायलेट करने का आरोप लगाकर चालान करने की धमकी दी जाती है। सिटी के बाहर का ड्राइवर चालान की परेशानी से बचने के लिये फौरन सौदेबाजी पर उतर आता है और उसकी गाड़ी रोकने वाले ट्रैफिक कर्मी या होमगार्ड का 'मिशन' पूरा हो जाता है।

परेशान लोगों ने खड़ा किया खुद का ट्रैफिककर्मी

ट्रैफिक कर्मियों के वसूली में जुटे रहने से परेशान डंडइया बाजार के व्यापारियों ने जाम खुलवाने और ट्रैफिक संभालने का जिम्मा खुद ही उठा लिया। व्यापारियों ने एक शख्स को ट्रैफिक संभालने के लिये तैनात कर दिया। इसकी तनख्वाह सभी व्यापारी आपस में चंदा करके देते हैं। यह शख्स सुबह 10 बजे से रात 8 बजे तक डंडइया बाजार से गुजरने वाले ट्रैफिक को गवर्न करता है।

वसूली के लिये बदनाम प्वाइंट्स

-एयरपोर्ट तिराहा

-बारा बिरवा चौराहा

-ईको गार्डेन

-बादशाह नगर

-कपूरथला चौराहा

-इंजीनियरिंग चौराहा

-पॉलीटेक्निक चौराहा

-लेखराज तिराहा

-टेढ़ी पुलिया चौराहा

-सिकंदरबाग चौराहा

-बांसमंडी चौराहा

-क्लार्क अवध होटल

Posted By: Inextlive