Lucknow News: बच्चों में इनफ्लेमेट्री बावेल डिजीज आईबीडी हो सकता है जो दुनिया में यूरोप और अमेरिका के बाद भारत में सबसे ज्यादा देखने को मिल रही है। यह बड़ों की समस्या मानी जाती है। इसकी बड़ी वजह फूड हैबिट में बदलाव आना है।


लखनऊ (ब्यूरो)। अगर बच्चों के पेट में दर्द है, उनकी ग्रोथ सही से नहीं हो रही, उन्हें डायरिया, लैट्रीन में खून, फीवर, जोड़ों में दर्द, एनीमिया जैसे लक्षण नजर आएं तो पैरेंट्स को तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। बच्चों में इनफ्लेमेट्री बावेल डिजीज (आईबीडी) हो सकता है, जो दुनिया में यूरोप और अमेरिका के बाद भारत में सबसे ज्यादा देखने को मिल रही है। यह बड़ों की समस्या मानी जाती है। इसकी बड़ी वजह फूड हैबिट में बदलाव आना है। जो 8-10 साल के ऊपर के बच्चों में ज्यादा देखने को मिल रही है। छोटे बच्चों में थोड़ा रेयर है, लेकिन आजकल किसी भी बच्चे में देखने को मिल सकता है। ओपीडी में बड़ी संख्या में ऐसे बच्चे देखने को मिल रहे हैं। यह जानकारी रविवार को संजय गांधी पीजीआई के पीडिया गैस्ट्रो के स्थापना दिवस पर आयोजित दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस के दौरान एम्स दिल्ली से आये डॉ। रोहन मलिक ने दी।ऐसे करें अपना बचाव


डॉ.रोहन ने बताया कि इससे बचाव के लिए बैलेंस डाइट लें, जिसमें फाइबर की मात्रा ज्यादा होनी चाहिए। भारतीय खाना लें, प्रोसेस्ड और अल्ट्रा प्रोसेस्ड मीट जैसे स्मोक्ड मीट, मैदा, प्रिजरवेटिव आदि से दूर रहें। इससे ओबेसिटी के साथ आईबीडी की भी समस्या होती है। यह बीमारी ठीक तो नहीं होती, केवल कंट्रोल की जा सकती है। साथ ही दवा खानी पड़ती है और सर्जरी तक होती है। नवजात बच्चों में काउ मिल्क एलर्जीआयोजन के दौरान विभाग के हेड डॉ। उज्ज्ल पोद्दार ने बताया कि आजकल छोटे बच्चों में काउ मिल्क प्रोटीन एलर्जी ज्यादा हो रही है, क्योंकि अब मदर ब्रेस्ट फीडिंग नहीं करती हैं और अगर कराती भी हैं तो साथ में डब्बे वाला मिल्क भी देती हैं, जिसमें गाय और भैंस का दूध का ही पाउडर मिला होता है। यह समस्या 5-6 पर्सेंट बच्चों में देखने को मिल रही है। हालांकि, यह खतरनाक बीमारी नहीं है। केवल बाहरी दूध के बंद करने से ही इसे ठीक किया जा सकता है।0-6 माह के बच्चे होते हैं अधिक शिकारडॉ। पोद्दार के मुताबिक, 0-6 माह के बच्चों में मिल्क एलर्जी ज्यादा होती है। पर समय रहते इलाज किया जाये जो दो साल से लेकर 3 साल में यह ठीक हो जाती है। अगर बच्चे को उल्टी, लूज मोशन और कभी लैट्रिन में खून आना हो तो सतर्क हो जाना चाहिए। इसके बचाव के लिए शुरुआती 6 माह में केवल ब्रेस्ट फीडिंग ही करानी चाहिए। इससे बच्चों में बीमारी और मोटापा भी नहीं होता है।शहरी बच्चों में समस्या ज्यादा

यह समस्या गांव के मुकाबले शहरी बच्चों में ज्यादा होती है। गांव की महिलाएं आज भी ब्रेस्ट फीडिंग ही कराती हैं, जबकि शहरों में टीवी, एड और दूसरों द्वारा बताने के कारण महिलाएं डब्बे वाला दूध देने लगती हैं। वे अपने फिगर को लेकर सतर्कता भी बरतने लगती हैं कि कहीं मोटापा या अन्य समस्या न हो जाये। जिसके कारण डब्बा बंद या गाय का दूध देने से नवजातों में एलर्जी की समस्या ज्यादा देखने को मिलती है।बोले एक्सपर्ट्स8-10 वर्ष से ऊपर के बच्चों में आईबीडी की समस्या बढ़ रही है। यूरोप-अमेरिका के बाद यह भारत में सबसे ज्यादा है, जो चिंता का विषय है। बच्चों को भारतीय हेल्दी डायट लेनी चाहिए।-डॉ। रोहन मलिक, एम्स-दिल्लीनवजात बच्चों में काउ मिल्क प्रोटीन एलर्जी लगातार बढ़ रही है, जो मदर द्वारा डब्बा बंद दूध या गाय का दूध देने के कारण बढ़ रही है।-डॉ। उज्ज्ल पोद्दार, पीजीआई

Posted By: Inextlive