20 मिनट में आखिर कैसे हुई 17 बिंदुओं की जांच
- पब्लिक स्कूलों जांच में पहले दिन सुस्त रहे अधिकारी
-पहले ही दिन जांच के नाम पर केवल खानापूर्ति ही हुई - न कोई कागजी निरीक्षण न ही किए बिंदुओं पर विचार, क्या ऐसे चलेगा निरीक्षण MEERUT : न कागजी निरीक्षण और न ही महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विचार। पब्लिक स्कूलों का निरीक्षण तो मानों जैसे खानापूर्ति का ही रह गया हो। निरीक्षण के नाम पर अधिकारी केवल स्कूलों में झांकने तक ही सीमित रहे। टीम की जांच केवल नाममात्र के लिए ही चल रही है। जमीनी हकीकत पर तो स्कूलों को इस कार्रवाई का कोई असर नहीं है। सुस्ती से हुई निरीक्षण की शुरुआतसिटी में प्रशासन द्वारा नियुक्त बीस सदस्यों की पांच टीम के अधिकारी तो मानों सुस्ताने में लगे हुए हों। बता दें कि टीम के प्रशासनिक स्तर के सदस्यों से लेकर शिक्षा विभाग व फायर ब्रिगेड विभाग के सदस्य तक सुस्त ही पड़े हैं। हालांकि सोमवार को एक टीम ने पहल तो की मगर वो भी केवल नाममात्र के लिए ही की है।
फ्भ् मिनट में निपटा डाले दो स्कूलस्कूलों की जांच के लिए पूरे क्7 बिंदुओं पर गौर करने का लक्ष्य था। मगर पहले ही दिन टीम ने इस लक्ष्य को खानापूर्ति तक निपटा दिया है। गौर करने की बात तो यह है कि आखिर टीम ने ख्0 मिनट में एक स्कूल और फ्भ् मिनट में दो स्कूलों का निरीक्षण कैसे कर लिया। जबकि अगर दिए गए बिंदुओं पर गौर किया जाए, तो उसके हिसाब से तो एक दिन में केवल एक या दो स्कूलों की ही जांच हो सकती थी।
यहां होने थे निरीक्षण प्रशासन ने सिटी में पब्लिक स्कूलों के निरीक्षण के लिए पांच टीम बनाई थी। पांच टीम में लिसाड़ी गेट, कोतवाली, देहली गेट के लिए एक टीम, रेलवे रोड, कंकरखेड़ा, लालकुर्ती व सदर के स्कूलों के लिए एक टीम, सिविल लाइन, नौचंदी व मेडिकल के लिए एक टीम, ब्रह्मपुरी, परतापुर व टीपी नगर के लिए एक टीम और एक टीम इंचौली व भावनपुर क्षेत्र के लिए बनाई थी। इनमें से पहले दिन केवल एक इंचौली की टीम ने जांच शुरु की और वो भी हर स्कूल को क्भ् से ख्0 मिनट में ही निपटा दिया, जिनमें जेपी एकेडमी, ट्रांसलेम इंटरनेशनल स्कूल, शांति निकेतन विद्यापीठ स्कूल मवाना रोड व महर्षि मंदिर पब्लिक स्कूल चौला मवाना स्कूलों की जांच की गई। इन बिंदुओं पर होनी है जांच - स्कूलों की मान्यता प्रमाण पत्र व स्कूल का टाइम- स्कूल में लिए जा रहे शुल्क का क्लास वाइज विवरण, क्लास वाइज संख्या।
- शुल्क वृद्धि कितने समयांतराल के बाद की जाती है। इस संबंध में निर्णय हेतु की गई बैठक का कार्य विवरण। - स्कूल का नक्शा संबंधित एमडीए द्वारा पास किया गया है या नहीं। - कम्पलीशन प्रमाण पत्र समक्ष अधिकारी से। - क्या बेसमेंट में भी क्लास का संचालन है या फिर शैक्षिक गतिविधियां की जाती है। - सभी शिक्षण कक्षों में कम से कम दो निकास द्वार है या नहीं। - क्रीड़ास्थल है या नहीं - पार्किंग स्थल, पेयजल, प्राथमिक चिकित्सा आदि की व्यवस्था है या नहीं। - क्या स्कूल में एसी प्लांट है, यदि लगा है तो उसके वार्षिक देख-रेख किस संस्था से हो रही है। - अग्निशमन यंत्र है या नहीं यदि है तो मुख्य अग्निशमन अधिकारी द्वारा निर्गत प्रमाण पत्र है। उसकी देखरेख करने वाले कर्मचारी शिक्षित हैं। - क्या स्कूल में कार्यरत टीचर बीएड, एलटी, बीटीसी आदि द्वारा प्रशिक्षित है। टीचर्स की योग्यता के अनुसार उनका वेतन क्या है। - नेशनल बिल्डिंग कोड प्रमाण पत्र है या नहीं। - विद्युत सुरक्षा व मानक के संबंध में विभिन्न जानकारियां।- स्कूल में प्रयुक्त वाहनों की संख्या व उनकी फिटनेस प्रमाण पत्र।
- स्कूलों में किताबों, स्टेशनरी, ड्रेस स्कूल से ही दिए जाते हैं या फिर बाजार से खरीदे जाते हैं। - स्कूल की आम छवि के संबंध में विशेष विवरण। आखिर अब किस बात की जांच जनवरी में स्कूलों का रजिस्ट्रेशन और फरवरी में रजिस्ट्रेशन ब्लॉक। मार्च में बच्चों की फीस और एनुअल चार्ज भी जमा हो चुके हैं। सोचने की बात तो यह है कि अगर अब पब्लिक स्कूलों की जांच करेंगें भी तो किस बात की जांच करेंगे। स्कूलों का निरीक्षण तो प्रशासन स्तर का मामला है। अब जब-जब जिस टीम को जांच के लिए भेजा जाता है, शिक्षा विभाग के अधिकारी पहुंच जाते हैं। शिव कुमार ओझा, डीआईओएस