सरकारी मकान की आस में गंवाए अपने भी
-नए मकान का सपना दिखाकर डूडा ने तोड़े गरीबों के मकान
-कांट्रेक्टर ने मकान निर्माण का झांसा देकर ठग लिए लाखों रुपए -सैकड़ों बिना छत तो दर्जनों सड़क पर दिन गुजारने को हो रहे हैं मजबूर -समाधान दिवस से लेकर आला अधिकारियों तक कर चुके हैं शिकायतMeerut: गरीब शहरी आबादी वाले वार्ड क्0 के शेखपुरा में डूडा ने गुरवत के मारे लोगों पर मुसीबत का पहाड़ तोड़ दिया है। गरीबों को सरकारी मकान मुहैया कराने का सपना दिखाकर डूडा की कार्यदायी संस्था निर्माण निगम ने न केवल उनके खुद के मकानों पर बुल्डोजर चला दिया, बल्कि कांट्रेक्टर ने मकान निर्माण का झांसा देकर उनसे लाखों रुपए की ठगी भी कर ली। सरकारी मकान की चाह में अपना सब कुछ लुटवा चुके मुसीबत के मारे लोगों का आज ये हाल है कि वो न केवल बिना छत के मकानों के नीचे जीवन बसर कर रहे हैं, बल्कि उनमें से सैकड़ों को खुले आसमान के नीचे सड़क पर रात गुजारनी पड़ रही है।
क्या थी योजनापांच साल पूर्व केन्द्र सरकार की बेसिक सर्विस फॉर अर्बन पूअर यानी बीएसयूपी का शुभारंभ हुआ था। योजना के अंतर्गत गरीबी रेखा से नीचे बसर करने वाले लोगों को सरकारी मकान बनाकर देने थे। योजना के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी जिला नगरीय विकास अभिकरण यानी डूडा को सौंपी गई थी, जबकि मकानों के निर्माण के लिए कार्यदायी संस्था के रूप में राजकीय निर्माण निगम को लगाया गया था।
क्या है मामला बीएसयूपी योजना के अंतर्गत टीपी नगर स्थित शेखपुरा बस्ती में ख्ख्7 सरकारी आवास बनाए जाने थे। इसके लिए लिए डूडा ने पात्र लोगों का चयन कर कार्य करने की जिम्मेदारी कार्यदायी संस्था को दे दी। राजकीय निर्माण के कांट्रेक्टर शफीक अहमद ने आवास निर्माण के लिए पहले तो गरीबों के मकान पर बुल्डोजर चलवा दिया, फिर मकान बनाकर देने के नाम पर प्रति आवास तीस से चालीस हजार रुपए की ठगी कर ली। आज भी लोग मकान निर्माण की बाट जोह रहे हैं। ब्लैकमेलिंग कर अवैध वसूली मकान तोड़े जाने के बाद सड़क पर आए लोगों ने क्षेत्र में काम करने आए राजकीय निर्माण निगम के कांट्रेक्टर शफीक अहमद से निर्माण कार्य शुरू करने की बात कही तो उसने कंस्ट्रक्शन मैटीरियल न होने की बात कही। परिजनों व छोटे-छोटे बच्चों समेत सड़क पर गुजर कर रहे लोगों ने अपनी समस्या बताई तो कांट्रेक्टर ने उनसे निर्माण के नाम पर चालीस पचास हजार रुपए मांगे। मुसीबत के मारे सैकड़ों लोगों ने सरकारी मकान की आस में कांट्रेक्टर को धनराशि सौंप दी। यहां हुआ खेलसरकार की ओर से आया आवासों का फंड जहां डूडा, कार्यदायी संस्था निर्माण निगम व कांट्रेक्टर के बीच बंदरबाट हो गया, वहीं कांट्रेक्टर ने बस्ती के लोगों से मकान निर्माण के नाम पर लाखों रुपए की अवैध वूसली कर ली। परिणाम यह हुआ कि पहले से ही बेघर हुए मुसीबत के मारे लोगों के मुंह का निवाला भी छिन गया।
सामुदायिक केन्द्र बना भूत बंगला निर्माण निगम की ओर से बस्ती के बाहर एक सामुदायिक केन्द्र का भी निर्माण कराया गया, जो पूरा नहीं हो सका। आज स्थिति यह है कि अधूरा पड़ा सामुदायिक केन्द्र वहां के लोगों के लिए अभिशाप बन गया है। लोगों ने बताया कि जहां दिन भी इसके असामाजिक तत्व घूमते नजर आते हैं, वहीं रात के अंधेरे में चोर उचक्के उतर आते हैं। डूडा ने बताया निर्माण निगम का फाल्ट परेशान लोगों ने जब डूडा पीओ से मामले की शिकायत की तो उन्होंने इसके लिए निर्माण निगम को गुनाहगार बताया। पीओ ने कहा कि मकान बनाने के जिम्मेदारी निर्माण निगम की रही है। यदि निर्माण संबंधी कोई परेशानी है तो वहीं शिकायत करो। थाना दिवस में सुनवाई नहींपिछले तीन सालों से बिना मकान के खुले में दिन गुजार रहे लोगों इसकी शिकायत थाना टीपी नगर में की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद पीडि़त लोगों ने मामले की शिकायत थाना दिवस में भी की। उच्च अफसरों के कहने पर हल्के के दरोगा को जांच भी सौंपी गई, परिणाम सिफर ही रहे।
इससे तो पहले ही अच्छा थे कम से कम अपना मकान तो था। डूडा ने हमे कहीं का नहीं छोड़ा। अपना न अपना मकान रहा और न सरकारी मिला। वीरमती, शेखपुरा मकान तो मिला नहीं ऊपर से कांट्रेक्टर ने चालीस हजार रुपए भी ले लिए। मकान बनवाने के लिए कर्ज उठाया था। अब मकान तो मिला नहीं कर्ज और उतारना पड़ रहा है। अन्नू विभाग के ठेकेदार ने मकान तोड़ दिया। फिर बनाया नहीं। अब खाली प्लॉट में ही झोपड़ी डाल ली है। कई बार शिकायत भी की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। सुदेश कांट्रेक्टर ने रशीद कटवाने के लिए तीस हजार रुपए लिए थे, लेकिन कोई रशीद नहीं लौटाई। रशीद के लिए पूछा तो उसने कहा कि तुम्हें मकान से मतलब है या रशीद से, लेकिन मकान भी अधर में छोड़ दिया। ईश्वरपहले खुद का मकान था। अब मकान के नाम पर जमीन व छत के नाम पर आसमान है। गर्मी, सर्दी व बरसात में भी यहीं काटनी पड़ रही है। अफसरों से शिकायत की कोई फर्क नहीं पड़ा।
कोमल विभाग के अफसर सरकारी हैं और ठेकेदार पावरफुल। किसी के खिलाफ कोई शिकायत करते हैं, तो कोई कार्रवाई नहीं होती। जीवन नरक बन गया है। मुन्नी कौन देगा इन सवालों का जवाब -सरकार से जितने मकानों का पैसा आया था, उतने मकानों को पूरा क्यों नहीं किया गया। -जब पात्रों से रशीद के नाम पर मोटा पैसा ऐंठा गया तो उन्हें रशीद क्यों नहीं दी गई। -मकान अधूरे छोड़ने पर विभाग की ओर से कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई। -विभागीय सर्वे में अधूरे मकानों का कांट्रेक्टर को भुगतान कैसे कर दिया गया। -विभागीय जेई ने भवन निर्माण में इस्तेमाल होने वाली सामग्री की जांच क्यों नही की। -मकानों के नाम पर धांधली करने वाले कांट्रेक्टर पर विभागीय कार्रवाई क्यों नहीं की गई। -सरकार की ओर से कंट्रोलिंग संस्था बनी डूडा ने अपनी जिम्मेदारी क्यों नहीं निभाई। - सरकारी विभाग को बट्टा लगा रहे कांट्रेक्टर के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई। राजकीय निर्माण निगम की ओर से बहुत सारे मकान अधूरे छोड़ दिए गए हैं। कांट्रेक्टर ने भी लोगों से जमकर वसूली की है। अधिकतर काम पूर्व पार्षद के कार्यकाल में हुआ है। परमानंद भैया, पार्षद वार्ड क्0 मकान अधूरे छोड़ने व ठगी का मामला गंभीर है। मामले की जांच कराई जाएगी। साथ ही डूडा के मकानों की जांच कराई जा रही है। प्रकरण में दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कराई जाएगी। पंकज यादव, डीएम मेरठ राजकीय निर्माण निगम के पीएम सतीश उपाध्याय को कई बार फोन मिलाया गया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। इससे पूर्व में भी उनसे फोन पर संपर्क साधने का प्रयास किया गया, लेकिन फोन नहीं उठा।