-बनारस में खूब फलफूल रहा है अवैध बालू खनन का धंधा

-माफियाओं की संलिप्तता तथा काली कमाई के चलते हर जिम्मेदारी ने मूंद रखी है आंख

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सरकार की लाख सख्ती के बावजूद नदियों से अवैध बालू खनन जोरों पर हैं। इसमें पुलिस, प्रशासन से लेकर सफेदपोश का बेलगाम नेटवर्क शामिल है। कहीं पट्टा तो कहीं सट्टा के नाम पर चल रहा यह खेल इस कदर खतरनाक हो चुका है कि नदियों का वजूद ही खतरे में पड़ता जा रहा है। चंद लोगों की लालच का खामियाजा नदी किनारे रहने वाले चुका रहे हैं।

कई घाटों पर चल रहा खेल

गंगा में बालू खनन के लिए लोकल एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से पट्टा दिया जाता रहा है। लेकिन पिछले कुछ सालों में पर्यावरण मंत्रालय की रोक-टोक ने इसमें अडं़गा डाल दिया। बनारस में डाफी एरिया में तारापुर, टिकरी, सरायनगरी के साथ ही चौबेपुर बलुआ घाट पर बड़े पैमाने पर बालू खनन होता रहा है। यहीं अवैध बालू खनन का धंधा भी फलता-फूलता रहा है। इन घाटों से प्रतिदिन लगभग सात सौ गाड़ी बालू का खनन रोज होता रहा है। घाटों के नजदीक ही बालू को डम्प किया जाता है। इन सबकी जानकारी हर उन जिम्मेदारों को है जिन्हें अवैध खनन रोकना है। लेकिन वह अपनी आंख मूंदें रहते और कान बंद किये रहते हैं। बदले में उन्हें खनन माफियाओं से मोटी रकम मिलती है। अवैध खनन के इस खेल में सिर्फ एक दिन में लाखों का वारा-न्यारा हो जाता है। अधिक से अधिक रुपये कमाने की लालच में नदी से इतना अधिक बालू निकाला जा रहा है कि नदियों के किनारों का संतुलन बिगड़ रहा है। उनके स्वरूप में बदलाव हो रहा है। यहां तक की कटान क्षेत्र भी अनियंत्रित हो रहा है।

Posted By: Inextlive