रिवर लाइफ रिजूवेनेशन और जियोमॉफऱ्ोलॉजी के लिए आईआईटी बीएचयू करेगा मदद एनजीटी की सख्ती के बाद प्रशासन ने बनाया नया प्लान


वाराणसी (ब्यूरो)अस्सी और वरुणा नदी को अतिक्रमण मुक्त बनाने के साथ पुनर्विकास किया जाएगा। इन नदियों के रिवर लाइफ रिजूवेनेशन और जियोमॉफऱ्ोलॉजी के लिए आईआईटी बीएचयू की मदद लिया जाएगा। इसके लिए वीडीए ने आईआईटी बीएचयू से संपर्क किया है। हालांकि जब-जब एनजीटी की सख्ती होती है, तब-तब जिला प्रशासन इसे लेकर जागता है। करीब पांच साल से अस्सी और वरुणा नदी को अवैध निर्माण से मुक्त कराने की प्रक्रिया चल रही है। हर बार प्लान भी बनाया जाता है, लेकिन जैसे ही एक्शन की बारी आती है, तो अड़ंगा खड़ा हो जाता है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। इस बार लोकसभा चुनाव के बाद ही अवैध निर्माण के साथ ही इसके पुनर्विकास पर काम होगा.

22 लेखपाल, फिर भी सीमांकन नहीं

वाराणसी में गंगा की सहायक नदियां वरुणा और असि के डूब क्षेत्र का सर्वे तो किया गया, लेकिन सीमाकंन आज तक नहीं हुआ है। वीडीए ने वरुणा और नगर निगम ने असि नदी के किनारे 50-50 मीटर क्षेत्र को ग्रीन बेल्ट घोषित किया था, लेकिन सीमांकन न होने से नदियों के अस्तित्व पर खतरा है। पूर्व में जब वरुणा कॉरिडोर बनाया गया तो डूब क्षेत्र में आने वाले 762 लोगों को वीडीए की ओर से ध्वस्त करने का नोटिस दिया गया था। कुछ जगहों पर कार्रवाई भी की गई, लेकिन मामला ठंडे बस्ते में चला गया। हाल ही में असि को लेकर नगर निगम ने अभियान चलाया। कई अवैध निर्माणों को चिह्नित किया गया। कुछ अवैध निर्माण तोड़े गए, लेकिन सीमांकन न होने से ऊहापोह की स्थिति बनी रही। राजस्व विभाग कागजी कार्रवाई कर रहा है। हाल ही में राजस्व से जुड़े मामलों को निपटाने के लिए 22 लेखपाल भी रखे गए। बावजूद सीमांकन अब तक पूरा नहीं किया गया.

कंदवा से कंचनपुर तालाब तक मुआयना

डीएम एस राजलिंगम के आदेश पर जुलाई से पहले अस्सी नदी को मुक्त कराने की योजना के तहत संयुक्त टीम ने कंदवा से कंचनपुर तालाब तक मुआयना किया था। साथ ही अतिक्रमण हटाने का खाका भी तैयार किया था। डीएम एस राजलिंगम ने बाढ़ के पहले ही दोनों नदियों को अतिक्रमण मुक्त कराने का आदेश दिया था। अगस्त से लेकर नवंबर के बीच धार्मिक आयोजन और त्योहारों के चलते इस पर ध्यान नहीं दिया गया। त्योहार खत्म होने और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एनजीटी की सख्ती के बाद अस्सी नदी को मूल स्वरूप में लाने की कवायद फिर शुरू की गई है।

आठ किमी लंबी है नदी

यह नदी आठ किमी लंबी और 200 मीटर चौड़ी है, लेकिन अवैध कब्जे व अतिक्रमण की वजह से अस्तित्व खत्म होने के कगार पर पहुंच गई है। कंदवा से अस्सी घाट तक नदी नाले में तब्दील हो चुकी है। जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते नदी के दोनों छोर और तलहटी में अवैध निर्माण होते गए। स्कूल, शॉपिंग काम्प्लेक्शन और बहुमंजिली इमारतें बनती गई। अब कमिश्नर कौशल राज शर्मा ने सख्स कदम उठाने के आदेश जारी किए हैं। अतिक्रमण हटाने के साथ सफाई का काम भी होगा। दोनों किनारों के ढाल को सही किया जाएगा। यह काम सिंचाई विभाग को कराना है।

डूब क्षेत्र को चिन्हित करने पर संशय

गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए वाराणसी में पूरा सरकारी महकमा जुटा है। करोड़ों रुपये गंगा नदी को साफ करने में खर्च किए जा रहे हैं। वहीं वाराणसी में गंगा की सहायक नदी वरुणा और अस्सी के प्रदूषण को खत्म करने के लिए जिम्मेदार लापरवाह बने हुए हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एनजीटी के आदेश के बाद भी वरुणा और असि के डूब क्षेत्र को चिन्हित करने में यूपी सरकार हिचक रही है। चिह्नांकन की कार्रवाई के लिए जवाब तक देना जिम्मेदार अधिकारी जरूरी नहीं समझ रहे। एनजीटी में याचिकाकर्ता आशीष कुमार मिश्रा ने कहा कि अभी तक गंगा की सहायक नदियां वरुणा और अस्सी के डूब क्षेत्र की सीमाएं चिह्नित नहीं की गई है। वहीं, प्रभावशाली लोग नदी के अंदर जमीन पर अतिक्रमण कर रहे हैं। अवैध रूप से नदियों में सीवरेज गिराया जा रहा है।

आईआईटी बीएचयू की भी रिवर लाइफ रिजूवेनेशन और जियोमॉफऱ्ोलॉजी के लिए वीडीए मदद ले रहा है, जिस आधार पर नदी का पुनर्विकास किया जाएगा। एनजीटी की ओर से पारित आदेश के अनुपालन में अस्सी और वरुणा नदी के चिन्हांकन और अतिक्रमण को हटाने को लेकर प्रशासन गंभीर है। लोकसभा चुनाव के बाद इसके लिए गठित संयुक्त टीम नगर निगम, वीडीए, सिंचाई विभाग, बंधी डिवीजन व संबंधित मजिस्ट्रेट को लगाया जाएगा.

कौशलराज शर्मा, कमिश्नर

Posted By: Inextlive