बनारस से जौनपुर सुल्तानपुर लखनऊ वाया मुरादाबाद गांजा जा रहा उत्तराखंड उड़ीसा व पश्चिम बंगाल से सप्लाई दिल्ली से पंजाब तक मूवमेंट


वाराणसी (ब्यूरो)कैंट स्टेशन के शिव मंदिर के पास से ढाई करोड़ की ड्रग्स के साथ एक तस्कर प्रेमचंद्र तिवारी को गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में तस्कर ने कई चौकाने वाली जानकारी दी है। वह लंबे समय से तस्करी से जुड़ा है, जो मुंबई से मेफेड्रोन यानी म्याऊं-म्याऊं ड्रग्स लाकर बनारस में खपाता था, जो बेहद ही खतरनाक है। इसके सेवन से भूख, मांसपेशियों में खिंचाव, शरीर कांपना, सिरदर्द, घबराहट, हाइबल्डप्रेशर जैसे दुष्प्रभाव होते हैं। इसके अधिक सेवन से मौत भी हो सकती है। ड्रग्स के अलावा पश्चिम बंगाल और उड़ीसा से गांजा भी बनारस के रास्ते लखनऊ, बरेली, उत्तराखंड, दिल्ली और पंजाब तक भेजा जाता है।

होली पर गांजा की डिमांड

बनारस समेत पूर्वांचल में महाशिवरात्रि से माहौल होलियाना हो जाता है। इसके साथ ही ड्रग्स और गांजा की डिमांड बढ़ जाती है। साधु-संन्यासी और युवा वर्ग द्वारा सेवन किया जाने वाला ड्रग्स व गांजा, अब आम चलन में आ गया है, जो कभी घाटों पर चोरी छिपे इस्तेमाल किया जाता था, अब खुलेआम हो रहा है। मानों यह ट्रेंड बन गया है। नतीजा सबके सामने है, बनारस में नशेडिय़ों की लंबी फौज खड़ी होती जा रही है। इनमें सबसे अधिक संख्या युवाओं की है। महाशिवरात्रि से होली तक करीब एक करोड़ रुपए की भांग और गांजे की बिक्री का अनुमान है।

खपत 20 क्विंटल पार

फरवरी और मार्च में होली तक गांजे की खपत रहती है। पर्व व चुनाव के समय गांजा की खपत का ग्राफ अचानक बढ़कर रेड जोन में चला जाता है। बनारस में गांजा की दो किस्में प्रचलित हैं। इनमें एक है नागिन और दूसरी मर्चइय्या। बनारसी गंजेड़ी नागिन ढूंढ़ते हैं। एक अनुमान के तहत होली पर 20 क्विंटल गांजा की खतप होती है। इसके साथ ही ड्रग्स-गांजा की तस्करी से तस्करों को अच्छी कमाई होती है। उधर, वर्ष 2015 में महाराष्ट्र सरकार की सिफारिश पर केंद्र सरकार ने खतरनाक ड्रग्स म्याऊं-म्याऊं को भारत में प्रतिबंधित सूची में शामिल कर दिया.

इन रास्तों से सप्लाई

मादक पदार्थ की तस्करी का खेल बनारस के रास्ते से होता है। उड़ीसा व पश्चिम बंगाल से दिल्ली, पंजाब और उत्तराखंड तक मादक पदार्थ की तस्करी होती है। उड़ीसा व पश्चिम बंगाल से माल लाकर बनारस में डम्प किया जाता है। इसके बाद टे्रन के जरिए जौनपुर, सुल्तानपुर, लखनऊ, बरेली के रास्ते दिल्ली, पंजाब और उत्तराखंड तक माल की सप्लाई होती है। इसके अलावा सड़क के जरिए माल की सप्लाई में छोटे-छोटे वाहनों का इस्तेमाल किया जाता है।

पूर्वांचल में ड्रग्स तस्करी करने वालों पर पुलिस व एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स की नजर है। कैंट पर पकड़ा गया तस्कर मुंबई से ड्रग्स लेकर पूर्वांचल में आरोपी ड्रग्स की तस्करी करता था। उससेअन्य साथियों के बारे में जानकारी जुटाई जा रही। तस्कर वाराणसी शहर में लोकल तस्करों के भी संपर्क में था। अन्य तस्करों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस टीम गठित कर कार्रवाई करेगी.

प्रमोद कुमार, डीसीपी काशी जोन

म्याऊं -म्याऊं ड्रग्स को म्यो -म्यो ड्रग्स भी कहा जाता है। यह तस्करों का एक प्रकार का कोड वर्ड है, लेकिन इसे मेफेड्रोन कहा जाता है। इसका इस्तेमाल पेड़ -पौधो में कीड़े मरने के लिए बनाया जाता है, लेकिन नशेड़ी इस फर्टिलाइजर को ड्रग के रूप में नशे के लिए इस्तेमाल करते है। नशा करने वाले इस ड्रग्स का इस्तेमाल उत्साह बढ़ाने वाला मानते है, लेकिन इसका अधिक सेवन करने पर डिप्रेशन, अनिद्रा जैसे खतरनाक दौर से गुजराना पड़ सकता है। इस ड्रग्स का इस्तेमाल करने से हार्ट से संबंधित रोग बढ़ जाते है।

सुरेश गिरी, एसआई, नॉरकोटिक्स विभाग

Posted By: Inextlive